लेख जवाहर नागदेव बात दया दिखाने की नहीं है लेकिन हम लोग हैं ही ऐसे। कोई कितना भी गलत चला हो, किसी ने कितना भी पाप किया हो भ्रष्टाचार किया हो, जब उसे सजा मिलती है तो दिल के किसी कोने में उसके लिये सहानुभूति जरूर पैदा होती है। जो इस वक्त हो रही है उद्धव ठाकरे के प्रति।
उससे भी अधिक ठाकरे खानदान के प्रति और सबसे अधिक माननीय श्रद्धेय हिंदु शेर बाला साहब ठाकरे के प्रति। वे क्या थे और ये क्या हैं। जिस शिवसेना को अपनी बहादुरी, साहस, दिमाग और कलम से खड़ा किया था कि देश की राजनीति में उसका असर दिखने लगा था। जिस ईमानदारी के साथ वे राजनीति करते थे वो बेमिसाल है। इतनी ईमानदारी और वचनबद्धता कि देश का बड़े से बड़ा नेता, चाहे वो किसी भी पद पर हो, देश का बड़े से बड़ा अभिनेता चाहे वो विदेश तक लोकप्रिय क्यों न हो उनके दर पर माथा टेकने जाता था। बाला साहब ठाकरे शायद ही कभी किसी के दरवाजे गये हों। सा...