अडानी भी इंडिया नहीं, तो फिर कौन? (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
भक्त गलत नहीं कहते हैं कि मोदी जी के विरोधी तो होते ही एंटी-नेशनल हैं। बताइए! अपने अडानी जी पर भारी मुसीबत आन पड़ी है, उनकी कमाई रातों-रात उड़ती जा रही है, उनकी कंपनियों के शेयरों के दाम लगातार लढक़ रहे हैं; विदेशी बैंक उन्हें कर्ज देने से इंकार करने के एलान कर रहे हैं; और तो और, देश तक में सेबी-आरबीआइ तक को गड़बडिय़ों की जांच का दिखावा करना पड़ रहा है। पर इन्हें सिद्घांत सूझ रहे हैं। कह रहे हैं कि तिरंगा लपेटकर आ जाए, तब भी ठग तो ठग ही रहेगा। हमारा क्या और पराया क्या, ठग तो ठग ही होता है। इन्हें तो यह मानने में भी आपत्ति है कि अडानी की पोल-पट्टी खोलना, इंडिया के खिलाफ षडयंत्र है। अडानी का नुकसान, इंडिया का नुकसान है। अडानी पर हमला, इंडिया पर हमला है। हमला भी ऐसा-वैसा नहीं, साजिश कर के किया गया हमला। कह रहे हैं कि यह तो अडानी इज इंडिया वाली बात हो गयी। हम तो अडानी को इंडिया नहीं मान सकते। दु...