हम भ्रष्टन के, भ्रष्ट हमारे सहारे (आलेख : बादल सरोज)
कहते हैं कि कोई अगर गिरने के लिए अपनी पर भी आ ही जाये, तब भी उसकी कोई न कोई सीमा होती ही है। मगर भारतीय जनता पार्टी एक अलग तरह की पार्टी है – इसकी किसी मामले, किसी प्रसंग में कोई सीमा नहीं है। इनकी बेशर्मी की भी कोई सीमा नहीं है – वह अनंत है, अनादि है, अनवरत है। निर्लज्जता – बेशर्मी -- की इसी प्रतिभा का प्रदर्शन इन्होने पिछले सप्ताह किया, इतने धड़ल्ले और ढीठपन के साथ किया कि खुद शर्म को भी अपने होने पर इतनी शर्म आई होगी कि उसने भी कोई कोना ढूंढना ही ठीक समझा होगा। आजादी के बाद के भ्रष्टाचार कांडों में सबसे विराट रकम वाले चुनावी बांड्स के महा-घपले का भांडा फूटने के बाद ऊपर से नीचे तक पूरी भाजपा की बेशर्मी इसी की मिसाल है।
हालांकि यह कोई पहली मिसाल नहीं है, राफेल से लेकर इनकी सरकारों के भ्रष्टाचार के काण्ड इतने हैं कि उनकी जानकारी लिखने के लिए देश के सारे कागज़ कम पड़ जायेंगे। मगर खुद भाजपा ...