Wednesday, March 22
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Tag: वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम टेक इट ईज़ी अध्यक्ष खड़गे न खड़का सके पत्ता जमी थीं जड़ें जहां,वहां से भी गयी सत्ता राहुल उलटी दौड़ क्यों जारी है सच पर चम्मच क्यांे भारी है
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम टेक इट ईज़ी अध्यक्ष खड़गे न खड़का सके पत्ता जमी थीं जड़ें जहां,वहां से भी गयी सत्ता राहुल उलटी दौड़ क्यों जारी है सच पर चम्मच क्यांे भारी है

बदनियत पड़ोसी की लाईट जलाते हैं मोदीजी मैं बहुत दयालु और उदार और मानवीय आदमी हूं। नहीं ... नहीं.... आदमी नहीं इंसान हूं। यानि इंसानियत है। बिल्कुल मोदीजी की तरह। ऐसे देश जो हमेशा भारत के खिलाफ बोलते रहते हैं, जिनकी गतिविधियां पूरे विश्व में हमारे खिलाफ होती हैं, वक्त आने पर मोदीजी उनकी मदद करते हैं। किसी दुश्मन के यहां भूकम्प आ जाए तो मोदीजी मदद करते हैं। हमेशा चिड़चिड़ाने वाले पड़ोसी के घर अगर बिजली चली जाए तो अपने घर से तार खींचकर लाईट देने को आतुर रहते हैं। हां तो बस इंसानियत से लवरेज मैं एक ऐसे शख्स के बारे में अच्छा सोच रहा हूं, उसकी चिन्ता कर रहा हूं जिसे कुछ खास पसंद नहीं करता बल्कि हिंदुओं को ठगने, हिंदुओं को कुचलने का प्रयास करने के लिये, भारत माता का अहित करने के लिये, इंसानी जज़्बातों को नेस्तनाबूत करने के लिये मै जिससे नाखुश भी रहता हूं। कांग्रेस के वरिष्ठ लीडर राहुल गांधी ...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम: टेक इट ईज़ी किसकी मां ने दूध पिलाया जो आॅटो में मीटर लगवा सके
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम: टेक इट ईज़ी किसकी मां ने दूध पिलाया जो आॅटो में मीटर लगवा सके

 आज एकाएक पेपर पढ़ते वक्त एक खबर पढ़कर विनोद खन्ना की याद आ गयी। बेहतरीन कलाकार स्मार्ट। पुरानी हेराफेरी में... र... र... र... र... हेराफेरी मतलब फिलिम हेराफेरी। वो भी नयी अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल वाली नहीं, अमिताभ, रेखा और विनोद वाली  इसमे एक बार में दारू पीकर पैसे न देने पर जब विनोद खन्ना एक दादा टाईप के आदमी को पैसे देे देने की सिफारिश करता है तो वो कहता है किसकी मां ने दूध पिलाया है जो मुझसे पैसे वसूल कर सके’। बस अपना हीरो शुरू हो जाता है दे दनादन, दे दनादन। उस दादा और उसके पोतों की आई मीन उसके चम्मच गुण्डों की धुनाई करता है पैसे वसूल करता है और कहता है ‘देखा मेरी मां ने दूध पिलाया है’। बस ऐसी ही सिचुएशन अपने यहां भी है। पहला दृश्य ‘किसकी मां ने दूध पिलाया वाला तो नज़र आ रहा है बरसों से....’, दूसरा दृश्य ‘देखा मेरी मां ने दूध पिलाया है’ वाला दृश्य अभी तक तो नहीं दिखा है। ...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल… केजरीवाल को समर्पित
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल… केजरीवाल को समर्पित

ईमान का चोला उतरने की नाराजगी अच्छी खासी है तभी मिजाज में हताशा बौखलाहट, बदहवासी है पढ़ते थे कभी ताल ठोक के ईमानदारी, नेकी के पहाड़े सारी दुनिया को चोर बताते बजा के पोंगे, ढोल, नगाड़े मासूमियत पे इनकी ‘जवाहर’ दुनिया करती थी वाह-वाह नौटंकीबाज करने लगे बेईमानी, छल-कपट गुनाह सत्ता लोलुपता में फिर दाएं-बाएं देखने लगे बेईमानों के चैखट पे बेहया माथा टेकने लगे सत्ता पे काबिज ‘आप’ को नहीं किसी का डर रहा है फूटेगा इक दिन ये भी के पाप का घड़ा भर रहा है ...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल… सिंहदेव ने रमन को दोस्त माना तो भूपेश को गाना पड़ेगा ये गाना
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल… सिंहदेव ने रमन को दोस्त माना तो भूपेश को गाना पड़ेगा ये गाना

अत्यंत प्रचलित कहावत है ‘दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है’। यहां बात सियासी प्रतिस्पर्धा की हो रही है। सियासी संदर्भ में दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाने में फायदा होता ही है। एक ही पार्टी में रहने वाले एक ही कद के नेता आपस में दोस्त हांे ये लगभग नामुमकिन होता है। क्योंकि कद समान होने से लक्ष्य भी समान हो जाता है। जाहिर है इससे प्रतिस्पर्धा होगी ही। किसी समय में प्रदेश में डाॅ रमनसिंह के सियासी दुश्मन कांग्रेसी अजीत जोगी का कद मुख्यमंत्री पद के लायक था चूंकि वे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे तो निस्संदेह उससे कम उन्हें कुछ भी पसंद नहीं था। सब जानते हैं कि उनकी महात्वाकांक्षा और काबिलियत किसी प्रकार कम नहीं थी। साफ तौर पर राजनैतिक पण्डित कहते रहे हैं कि भाजपा की सरकार बनाने में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की अहम् भूमिका रही। कहा जाता है कि जोगीजी का साफ कहना था कि मैं {मुख्यमंत्री} नही...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ती की टेढ़ी चाल… राहुल नहीं ये आंधी है, पवन खेड़ा का महात्मा गांधी है
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ती की टेढ़ी चाल… राहुल नहीं ये आंधी है, पवन खेड़ा का महात्मा गांधी है

 {जोर का झटका धीरे से.... बोलने के ढंग से बात का अर्थ, बात का वनज और बात का भाव बदल जाता है। जैसे रूको, मत जाओ इसका अर्थ हुआ कि रूक जाओ, ठहरो। और रूको मत, जाओ। इसका अर्थ हुआ कि वहां रूकने की जरूरत नहीं है, चल दो। ये बड़ा काॅमन सा उदाहरण है। एक बार मालवीय रोड में हम चार यार घूम रहे थे, मुझे साढ़े आठ बजे कहीं बहुत जरूरी पहुंचना था। तब मैने अपने साथी से टाईम पूछा। दोस्त ने कहा ‘नौं’। नौ सुनते ही मैं पहाड़ से गिरा, मैने चीखकर उसकी ओर देखा और बोला नौं ? उसने आराम से कहा... बजने में पचास मिनट.... यानि उस समय आठ बजकर दस मिनट हुए थे।} बड़े बेतरतीब किस्से हैं जो जितना बड़ा दरबारी उसके दरबार में उतने बड़े हिस्से हैं। पवन खेड़ा ने भी राहुल गांधी को महात्मा बताने की कोशिश की है। हां भाई बड़े दरबारी हैं। महात्मा गांधी की ‘भारत छोड़ो’ से लेकर राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा तक का किस्सा बयान कर ...
टेक इट ईज़ी सोनिया, राहुल, प्रियंका, पवन और खड़गे, सब्बो मन के पैर एक साथ हमर माटी पे पड़गे
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टेक इट ईज़ी सोनिया, राहुल, प्रियंका, पवन और खड़गे, सब्बो मन के पैर एक साथ हमर माटी पे पड़गे

सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल ,,,,, खास दोस्त झण्डू और बण्डू घूमते हुए राजनैतिक चर्चा न करें और ब्लड प्रेशर न बढ़ाएं ऐसा हो ही नहीं सकता। इस बार का विषय का निस्संदेह कांग्रेस अधिवेशन था। झण्डू ने बात शुरू की....  ‘राजधानी रायपुर में  85वें अधिवेशन में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने व्याख्यान में 1998 में पहली बार अध्यक्ष बनने से लेकर मनमोहन सिंग को प्रधानमंत्री बनाने और अंत में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा तक का उल्लेख कर कहा कि उन्हें अपने निर्णय पर संतोष है। क्यों नहीं होगा भैया.... एक इतना मौन रहने वाला मन के लिये  मोहक जी हुजूर ब्राण्ड प्रधानमंत्री मिला था। किया आपने और भ्रष्टाचार के लिये गरियाए वो गये’। संतोष तो होगा ही न। तभी तो प्रणव  मुखर्जी को  मौका नहीं दिया गया और राष्ट्रपति बनाकर किनारे कर दिया गया’। बण्डू ने कंधे पे हाथ रखा है मुस्कुराकर कहा ‘टेक इट ईज़ी, टेक इट ईज़ी.... । अब बारी बण...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल  हाथ जोड़ कांग्रेस निकली हर मोहल्ले हर गलीे शायद जनमानस को झिंझोड़ न पाई जनता का रूख अपनी ओर मोड़ न पाई
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल हाथ जोड़ कांग्रेस निकली हर मोहल्ले हर गलीे शायद जनमानस को झिंझोड़ न पाई जनता का रूख अपनी ओर मोड़ न पाई

वन्देमातरम् { श्रीराम को विजय हमने दिलाई, अमिताभ ने की कांगे्रस की खिंचाई - खड़गे यानि कांग्रेस अध्यक्ष ने आजादी की लड़ाई में योगदान की तुलना करते हुए कहा कि हमने आजादी दिलाई जबकि आरएसएस का कुत्ता भी नहीं था। इस बात पर देश का अच्छा खासा वर्ग उखड़ गया। पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने एक डिबेट में खड़गे की खिंचाई करते हुए कहा कि अच्छा हुआ आपने ये नहीं कहा कि 1857 की क्रांति भी कांग्रेस ने की थी और राम रावण यु़द्ध में भी राम को विजय हमने दिलवाई। यानि भगतसिंह, सुभाष चंद्र बोस, आजाद और फांसी चढ़ने वाले गोली खाने वाले लाखांे लोगों का कोई रोल नहीं था, ये कहां गये ? दूसरी ओर कोई भी ऐसा वरिष्ठ कांग्रेसी नहीं होगा जो फंासी चढ़ा हो या जेल गया हो।} हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा - छत्तीसगढ़ कांग्रेस अपना झण्डा लगाएगी साथ ही अपने पदाधिकारियों का नाम भी दरवाजों पर लगाएगी। केंद्र सरकार की गलत बातों और प्रदेश कांग्रेस स...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ती की टेढ़ी चाल  कौन कब मारे पलटी, चलता नहीं पता मांग है सियासत की, नहीं किसी की खता
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ती की टेढ़ी चाल कौन कब मारे पलटी, चलता नहीं पता मांग है सियासत की, नहीं किसी की खता

जब भूपेश के दर पर मुर्मु राष्ट्रपति के चुनाव में समर्थन लेने के लिये द्रोपदी मुर्मु भाजपा के विरोधियों के दर पर भी गयीं। बरसों से चुनावों से जुड़ा अनुभव कहता है कि वोट मांगने निकली टोली में ये चर्चा होती ही है कि ‘इसके घर जाएं या न जाएं, ये तो विरोधी है’। लेकिन बाद में वरिष्ठजन ये कहते हैं ‘हमें सबके पास जाना है। हर किसी से निवेदन करना है। चाहे वो अपने पक्ष का हो या विरोधी। पता नहीं कब कोई अपने नेता से नाराज चल रहा हो। उसे पलटाया जा सकता है’। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता कांग्रेेस के नेताओं को रिझाने में कहीं भी पीछे नहीं रहे। एक किस्सा कांग्रेसी सांसद अरविंद नेताम का पार्टी के विरूद्ध जाकर राष्ट्रपति पद के लिये विपक्ष के प्रत्याशी को वोट करने का प्रसिद्ध है। हाल ही मे जो माहौल दिखता रहा है उसमें साफ दिख रहा है कि विपक्षी पार्टी भाजपा कांगे्रसी दिग्गज टीएस सिंहदेव की ओर आस लगाए बैठी है। का...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम  सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल क्या कहूं क्या ना कहूं ये कैसी मुश्किल हाए कोई तो ऐसा मिले जो राहुल को पीएम बताए
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल क्या कहूं क्या ना कहूं ये कैसी मुश्किल हाए कोई तो ऐसा मिले जो राहुल को पीएम बताए

एक बहस के दम्र्यान कांग्रेस प्रवक्ता अजीब धर्मसंकट में पड़ गये। दरअसल एक टीवी बहस में एक छात्र ने पूछा कि आप लोग मोदी के विरोध में सब एकजुट होने का दम भरते हंै लेकिन क्या विपक्ष के पास प्रधानमंत्री पद का कोई चेहरा भी है। विपक्ष के पास तो प्रधानमंत्री का चेहरा नज़र नहीं आता। इस विषय पर कांग्रेस प्रवक्ता चें-पें करने लगे और बोले मोदी के खिलाफ एक सौ चालीस करोड़ चेहरे हैं। जब एंकर ने बार-बार प्रधानमंत्री पद के चेहरे के बारे में पूछते हुए कहा कि ‘आप राहुल गांधी का नाम लेने से क्यांे सकुचाते हैं। क्या आप उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लायक नहीं समझते ?’ तब कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा ‘हां राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने लायक हैं।’ फिर शायद उसकी ईमानदारी पर उसकी कांग्रेस के प्रति वफादारी हाॅवी हो गयी और वो जोर-शोर से राहुल गांधी की पैरवी करने लगा। क्या मिला और क्या छपा कैसे कोई बताए छापों से छपाई.....
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल मार भी खाएंगे अपमान भी कराएंगे आॅटोवाले को अगर नियम सिखाएंगे
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल मार भी खाएंगे अपमान भी कराएंगे आॅटोवाले को अगर नियम सिखाएंगे

दिल रो पड़ेगा आपका कांकेर में एक आॅटो के एक्सीडेन्ट का सुनकर। जिसमें 7 छोटे स्कूली बच्चे काल के गाल में समा गये। वे बेचारे मासूम एक आॅटो वाले की बेवकूफी भरी दादागिरी के शिकार हो गये। ऐसा क्यों कह रहा हूं, ये भी समझिये। रायपुर तो प्रदेश की राजधानी है। पूरा प्रशासन यहां पर है। मंत्री विधायकों का डेरा यहीं रहता है। फिर भी कभी सड़क पर आपको कट मारकर कोई आॅटो वाला आगे निकल जाए और उसके कट मारने से आप गिरते-गिरते बचें और अगर आप बुजुर्ग हैं और आपका ब्लडप्रेशर हाई हो जाए। आपके साथ आपकी पत्नी, बेटी या छोटा बच्चा हो, और.... अगर आपने उस आॅटो वाले को कुछ कह दिया, कोई नसीहत दे डाली तो यकीन मानिये वो न सिर्फ आपको सड़क पर जलील कर देगा बल्कि ज्यादा बहस करने पर आपके परिजनों के सामने ही मारने मे भी गुरेज नहीं करेगा। इनको कोई लिहाज नहीं, कोई मुरव्वत नहीं , कोई संस्कार नहीं, कोई रहम नहीं। साथ ही इनको उपर वाले भगव...