Friday, March 29

Tag: वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…अंधा कानून, भूलन कांदा और मोदी-शाह का जतन, बदल रहे शासन के मायने, बदल रहा है वतन
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…अंधा कानून, भूलन कांदा और मोदी-शाह का जतन, बदल रहे शासन के मायने, बदल रहा है वतन

{दिलचस्प मगर दुखद - मोदी-शाह की जोड़ी देश में न्याय को सुलभ करने के लिये क्या कर रही है,उसकी चर्चा करने से पहले एक बेहद दिलचस्प बात आपको बता दें, जिसे जानकर आपका मन दुख से भर जाएगा कि किस तरह तत्कालीन सत्ताधीश देश को  लूटने-खसोटने में लिप्त रहा करते  थे। दरअसल स्व सुषमा स्वराज का संसद में दिया गया एक बयान देखने को मिला जिसमें उन्होंने कहा कि ‘अध्यक्षजी इस देश में एक ही समय में चीनी आयात भी हो रही थी निर्यात भी हो रही थी। और एक समय तो ऐसा आया, वो दृश्य देखने लायक था कि कांगड़ा बंदरगाह पर दो जहाज खड़े थे एक चीनी लेकर आया था, दूसरा चीनी लेकर जा रहा था। और आप हैरान होंगी, आंकड़े सुनकर हैरान होंगी कि जो चीनी  बेची जा रही थी साढ़े बारह रूप्ये किलो से बेची जा रही थी, जो खरीदी जा रही थी 36 रूप्ये किलो से खरीदी जा रही थी। आदरणीय सुषमा स्वराज के इस वक्तव्य से तत्कालीन सरकार की बेईमान प्रवृति उजागर ह...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…बढ़िया दिमाग चलाया है, बात है जबर्दस्त, कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हो सकता है निरस्त, क्या आयोग की पिटेगी भद्द, चुनाव हो जाएगा रद्द
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…बढ़िया दिमाग चलाया है, बात है जबर्दस्त, कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हो सकता है निरस्त, क्या आयोग की पिटेगी भद्द, चुनाव हो जाएगा रद्द

बात में दम है जब आप चुनाव में वोट डालने जाएंगे और आपके पास फूल होगा तो वहां का चुनाव अधिकारी आपको तत्काल फूल निकालने को कहेगा। ये माना जाता है कि इससे वहां पर फूल चुनाव चिन्ह वाले प्रत्याशी का प्रचार हो सकता है और उस क्षेत्र में प्रचार की अनुमति नहीं होती। मान लीजिये किसी का चुनाव चिन्ह लोटा है तो किसी को भी बूथ पर लोटा ले जाने की अनुमति नहीं होती। बस इसी बात को मुद्दा बनाकर एक प्रत्याशी ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है कि   जब कांग्रेस का चुनाव चिन्ह पंजा है तो फिर पंजा लेकर बूथ के अंदर जाने की अनुमति कैसे दी जाती है। बात मे दम है। एक बार तो सुनकर हंसी आती है लेकिन बात सही है, इसकी गंभीरता को कम नहीं आंका जा सकता। हर इंसान के पास दो हाथ होते हैं जिसमें दो पंजे होते हैं। करोड़ों लोग करोड़ों पंजे लेकर वोट देने जाते हैं तो ये पंजे क्या चुनाव चिन्ह नहीं हुए ? जब चुनाव चिन्ह होने ...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… बड़ी शंका है बड़ी फतह में झूठी मुस्कुराहटें हैं सतह में धूमिल सी दिखती फतह सियासी संभावनाएं पुलकित-पुलकित इण्डी गठबंधन के सदस्य
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… बड़ी शंका है बड़ी फतह में झूठी मुस्कुराहटें हैं सतह में धूमिल सी दिखती फतह सियासी संभावनाएं पुलकित-पुलकित इण्डी गठबंधन के सदस्य

सुनने मंे बड़ी खराब लग रही है लेकिन सच यही है कि एण्डी गठबंधन के दलों को धुकधुकी लगी थी कि कहीं कांग्रेस को इन विधानसभा चुनावों मे फायदा न मिल जाए। वे दिल से चाहते थे कि कांग्रेस को बहुत बड़ी सफलता न मिले। कांग्रेस की इस अवस्था से उन्हें खुशी ही मिल रही है। क्योंकि यदि कांग्रेस को इन चुनावों में बड़ी सफलता मिल जाती तो उम्र में, अनुभव में, सफलता के परसेन्टेस में यानि हर बात मे राहुल गांधी से आगे स्थापित नेताओं पर राहुल गांधी को नेता मानने की तलवार लटकने लग जाती। सीनियर नेता दिल से अपने से जूनियर को नेता मानने को तैयार नहीं हैं। एक समय था जब सारे देश में कांग्रेस का बोलबाला था तो सहज रूप् से सारे दल कांग्रेस को अपना अगुवा बनाने को तैयार थे, पर अब वो बात नहीं। अब कांग्रेस को भी एक छोटे दल के रूप् मे देखा जा रहा है उससे भी ज्यादा एक असफल दल के रूप् में। ऐसे असफल दल के रूप् में जिसे किसी न कि...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…द्वापर हो या कलयुग… मामा को मोहन ने ही निपटाया… नये चेहरों के मायने… कांग्रेस की स्थिति गंभीर…
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…द्वापर हो या कलयुग… मामा को मोहन ने ही निपटाया… नये चेहरों के मायने… कांग्रेस की स्थिति गंभीर…

मौसम... किसी के लिये बना किसी के लिये बिगड़ा। सियासी तूफान ने किसी का घर उजाड़ा तो कोई इस तूफान में भी मजे लेते दिखा। कोई समारोह मना रहा है तो कोई मातम। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान जब इस्तीफा देने राज्यपाल के पास गये तो उनके चेहरे की रौनक गायब थी.... ये अच्छा नहीं हुआ। राजनैतिक कैरियर तो अभी बाकी है, संभावनाएं हैं, इस तरह निराश क्यों होना ? फिर हर चीज स्थायी तो नहीं होती न। याद करें कि किस तरह उमा भारती नाराजगी में मुख्यमंत्री का पद छोड़ती हैं फिर पार्टी से उन्हें निकाला जाता है तब शिवराज को मुख्यमंत्री बनाया जाता है। और जब उमा भारती की पार्टी में वापसी की बारी आती है तो मुख्यमंत्री बन चुके शिवराज उन्हें अपना प्रतिद्वंदी समझकर विरोध करते हैं। ऐसे उतार-चढ़ाव तो जीवन में राजनीति में आते-जाते रहते हैं। इन्हें गंभीरता और धैर्य के साथ स्वीकारने में ही परिपक्वता दिखती है। और फ...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव खरी… खरी…वसुंधरा सीएम पद से दूर, हमसे क्या भूल हुई जो ये सजा हमको मिली: दीपक बैज, जनता नहीं नादान यकीन मानिये,सुनाया है हार का फरमान, सच जानिये
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव खरी… खरी…वसुंधरा सीएम पद से दूर, हमसे क्या भूल हुई जो ये सजा हमको मिली: दीपक बैज, जनता नहीं नादान यकीन मानिये,सुनाया है हार का फरमान, सच जानिये

दिलचस्प: वसुन्धरा नहीं: बातचीत शुरू करने से पहले एक दिलचस्प बात आपको बता दें कि एक भविष्यवणी के अनुसार वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगी। हालांकि उन्होंने विधायकांे की बैठकें करके दबाव बनाने की मुहिम चालू कर दी है मगर दबाव में आना भाजपा हाईकमान के स्वभाव में नहीं। और फिर कुदरती संकेत उनके मुख्यमंत्री बनने के अनुकूल नहीं हैं। हमने काम किया,पर जनता ने झूठ का साथ दिया छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख दीपक बैज ने एक बयान मे कहा कि हमारे काम पे भाजपा का झूठ भारी पड़ गया। ये बात उन्हांेने सही नहीं कही। फिर आगे कहा कि ‘हमने पांच साल काम किया, उसके बाद भी अगर कमियां रहीं तो समीक्षा करेंगे’ ये बात बैज ने आधी सही कही। पहली बात कि यदि आपने काम किया था तो जनता को क्या मोतियाबिंद है कि आपका काम दिखा नहीं। आप अगर सच्चे थे और भाजपा झूठी तो जनता क्या मूर्ख है कि आपकी सच्चाई...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…नेस्तनाबूत नारा पचहत्तर पार, पार्टी में मचा हाहाकार, धुल गई कांग्रेस, खुश है इण्डी, मोदी मैजिक बरकरार
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…नेस्तनाबूत नारा पचहत्तर पार, पार्टी में मचा हाहाकार, धुल गई कांग्रेस, खुश है इण्डी, मोदी मैजिक बरकरार

विधानसभा चुनावों में कांग्रेसी नेता पचहत्तर पार का दावा करते थे। पिछली बार 2018 में 68 सीटों पर शानदार जीते थे तो मनोबल उंचा था। फिर उपचुनावों में भी विजय पताका फहराई तो मनोबल टनों के हिसाब से बढ़ गया। काॅन्फीडेन्स बढ़ा तो एटीट्यूड दिखने लगा। जनता को झिड़का जाने लगा, सार्वजनिक रूप् से मंच से डांटा जाने लगा। जीत सामने देखकर अकड़ जाते हैं संदर्भवश दस साल पहले की घटना याद आती है। जलविहार काॅलोनी में एक चैनल के कार्यालय में हम लोग बैठे हुए थे तो कांग्रेस पर झल्लाते हुए हमारे पत्रकार और कैमरामैन आए। उन्होंने बताया कि बस्तर में कांग्रेस के आगे हो जाने से कांग्रेसी नेताओं का घमण्ड बढ़ गया है और देवेन्द्र नगर में उनके निवास पर जाने पर उनके चैकीदार ने बाहर के गेट पर ही रोक लिया। अंदर नहीं आने दिया। जब कुछ पत्रकारों ने आवाज लगाई तो दूर से घर के दरवाजे से ही नेताजी हमसे मुखातिब हुए बिना चैकी...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… मोदी पर देवी की कृपा है परमात्मा का सुरक्षा चक्र प्राप्त है उन्हें
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… मोदी पर देवी की कृपा है परमात्मा का सुरक्षा चक्र प्राप्त है उन्हें

इतिहास उठाकर देख लीेजये विभिन्न मंचों से विभिन्न नेताओं ने मोदीजी को विभिन्न विषयों पर कोसा है। यहां तक कि उनके हर कदम पर उनकी निंदा की है। इन तमाम निंदाओं के बावजूद, झूठे हांे सच्चे, ये बात नहीं है लेकिन तमाम आरोपों के बावजूद मोदी विरोधियों की साख खराब ही हुई है जबकि मोदी का बाल भी बांका नहीं हुआ है। उनकी साख और लोकप्रियता में लगातार इजाफा ही होता नजर आया है। विपक्ष की कोई भी पार्टी, कोई भी नेता जितनी अधिक कटुता से मोदीजी को कोसता है, मोदीजी के नंबर उतने बढ़ जाते हैं और कोसने वाले के घट जाते हैं। देवी की कृपा एक ज्योतिषी का लेख पढ़ने को मिला जिसमें उन्होंने लिखा था कि मोदीजी पर देवी माता की कृपा है। उन्हें बुरा-भला कहने वाले का स्वतः ही नुकसान हो जाता है। इस तरह उन्हें ईश्वर का सुरक्षा चक्र प्राप्त है। यही कारण है कि उनके प्रति बुरा बोलने वाले को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। -----...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… दिग्गजों को लग सकता है सदमा, खतरे में कांग्रेसी मंत्री अमर, गुरू, रविन्द्र, जयसिंह, लखमा,
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… दिग्गजों को लग सकता है सदमा, खतरे में कांग्रेसी मंत्री अमर, गुरू, रविन्द्र, जयसिंह, लखमा,

इस बार के अत्यंत दिलचस्प चुनावों में कई नतीजे ऐसे मिलने वाले हैं जो दिग्गाजों को भी चैंका देंगे और एक अच्छा संदेश भी भारतीय लोकतंत्र के लिये जाएगा कि अब वोटर लकीर का फकीर नहीं रहा और न ही किसी बड़ी शख्सियत के सामने हेय महसूस करके उसके प्रभाव में आ जाता हैै।  दरअसल कई सर्वे ऐसा भी बता रहे हैं कि कांगे्रसी दिग्गज, मंत्री अमरजीत भगत, रविन्द्र चैबे, कवासी लखमा, गुरू रूद्र, जयसिंह अग्रवाल को भी टक्कर मिल रही है। कहा जा सकता है कि पार्टी आगे होने के बावजूद कई कांग्रेसी दिग्गज नकारे जा सकते हैं। हालांकि ये केवल सर्वे की बात नहीं है। वास्तविकता से तो ये दिग्गज भी वाकिफ हैं। सीतापुर खतरा सीतापुर सीट से अमरजीत भगत कभी नहीं हारे । 2003 से लगातार जीते हैं हर बार उनका मार्जिन बढ़ता ही गया है ंपर इस बार उनका मार्जिन कम हो सकता है। टक्कर मिल रही है। कोई आश्चर्य नहीं कि वे सीट खो भी देें। ...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… बदल जाएंगे समीकरण बदल जाएंगे नजारे नयी सैटिंग को अधिकारी फिरते मारे-मारे
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… बदल जाएंगे समीकरण बदल जाएंगे नजारे नयी सैटिंग को अधिकारी फिरते मारे-मारे

यदि ध्यान हो तो 2018 में भाजपा को हराकर जब कांग्रेस जीती तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बयान में कहा था कि अवंति विहार में इंटेलिजेंस विभाग के अधिकारियों ने दो ट्ªक दस्तावेज जला दिये और अगले दिन गृहमंत्री के घर में भी फाईलों को जलाया गया। सीएम बघेल ने इसे गंभीरता से लिया। हालांकि बाद में इस दिशा में कुछ हुआ नहीं। कोई पकड़-धकड़ होती नहीं दिखी। अब केवल दो दिन रह गये हैं और ये दो दिन दो युगों जैेसे लग रहे होंगे अधिकारियों को। बेईमान नेता मिठलबरे अधिकारी मौसेरे भाई सरकार बदलते ही आम तौर पर देखा गया है कि जब भी सरकार बदल जाती है तो पहले के अधिकारी और पहले के नेताओं के हाथ-पैर फूल जाते हैं। पहले कम फूलते थे अब अधिक फूलते हैं। क्योंकि पहले का माहौल आम तौर पर ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ जैसा हुआ करता था। यानि हर पार्टी का हर नेता जमकर खाता-पीता था। जिसका दांव चल गया जो जीत गया वो खाने में...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… ये अपनी है गैरंेटी, बेईमानों के गले बंधेगी घंटी बेईमानी करके आज हंसेगा, वो एक दिन जरूर फंसेगा
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… ये अपनी है गैरंेटी, बेईमानों के गले बंधेगी घंटी बेईमानी करके आज हंसेगा, वो एक दिन जरूर फंसेगा

गैरेंटी का दौर चल रहा है। हर नेता किसी न किसी बात की गैरेंटी देकर अपना विजय स्तंभ खड़ा करना चाहता है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने गैरेंटी दी और फिर देश को रूलाया, क्रोधित किया, निराश किया। इन लोगों ने तो ईमानदारी की परिभाषा ही बदल दी। बहरहाल.... भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में गैरेंटी दी। भाजपा वालों ने अपने सबसे कारगर ब्रह्मास्त्र को चलाया यानि मोदी की गैरेंटी दी। ये पहले से प्रचलित था कि मोदी है तो मुमकिन है और भूपेश हो तो भरोसा है। इस संभावना और विश्वास पर से जनता का यकीन जब कम होने लगा तो गैरेंटी का ईजाद हुआ। गैरेंटी का प्रयोग होने लगा धड़ल्ले से। जैसे ईमानदार के बाद केजरीवाल ने कट्टर ईमानदार का प्रयोग किया। और... कट्टर शब्द की ऐसी की तैसी कर दी। कट्टर ईमानदार को गाली बना दिया। किसी को कट्टर ईमानदार बोलो तो सामने वाला संदेह के घेरे मे आ जाता है। उसे खुद को भी अपमान जैसा लगता है...