Wednesday, March 22
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Tag: Lessons from the election results and the hue and cry of corporate cheerleaders* *(Article: Badal Saroj)

चुनाव नतीजों के सबक और कारपोरेट चीयरलीडर्स का कोहराम (आलेख : बादल सरोज)
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चुनाव नतीजों के सबक और कारपोरेट चीयरलीडर्स का कोहराम (आलेख : बादल सरोज)

  यह मार्केटिंग और चीयर लीडर्स - चीखाओं - का काल है। उन्ही के हाथ में तूती है और गजब की ही बोलती है। इसे बार–बार बजाकर वे इतिहास बदलने की कोशिश तो कर ही रहे हैं, दिनदहाड़े आँखों के सामने घटी घटनाओं को, ताजे घटित हो रहे वर्तमान को भी बदल रहे हैं। वे रात को दिन और दिन को रात साबित करने से भी आगे बढ़ चुके हैं। इसकी ताजातरीन मिसाल दो प्रदेशों, गुजरात और हिमाचल प्रदेश की विधानसभाओं और दिल्ली की मुनिसिपैलिटी -एमसीडी - के चुनाव नतीजे हैं। चुनाव परिणामो के बाद भाजपा के चीयर लीडर मीडिया ने सिर्फ गुजरात की जीत का तूमार खड़ा कर कुल मिलाकर सामने आये उस रुझान को लोगों की निगाह से दूर रखने की कोशिश की है, जो न सिर्फ इन चुनावों के हिसाब से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि 2023 के कुछ विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों के हिसाब से भी ध्यान देने के लायक हैं। इन दिनों तो इस चीयर लीडर्स की हालत यह हो गयी है कि यदि भाजपा ह...