बस्तर एकेडमी ऑफ डांस आर्ट एंड लिटरेचर (बादल) बस्तर की कला, संस्कृति व भाषा के संरक्षण में होगी सहायक :  कवासी लखमा

जगदलपुर। बस्तर जिले के बकावंड मार्ग पर स्थित बादल एकेडमी देखते देखते ऊंची उड़ान पर है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बीते माह में यहां शिरकत की थी। और अनेक सौगातों की बौछार भी की थी और कहा था कि यह एकेडमी एक दिन ऊंची ऊंचाईयों पर होगी। वर्तमान कलेक्टर चंदन कुमार के अथक प्रयासों से मुख्यमंत्री के मंशानुरूप विधाओं में अध्ययन की सुविधा मिलने लगेगी। इसी तारतम्य में उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने बस्तर जिले के बस्तर एकेडमी ऑफ डांस आर्ट एंड लिटरेचर (बादल) अकादमी में प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस अवसर पर मंत्री श्री लखमा ने बादल में प्रवेश ले रहे नए छात्रों को शुभकामनाएं दी और कहा कि मुख्यमंत्री के घोषणा के उपरांत बादल संस्था की स्थापना हुई। बादल के माध्यम से बस्तर की कला, संस्कृति, भाषा को संरक्षित कर नई पीढ़ी को हस्तांतरित करने का कार्य किया जा रहा है। संस्था को खैरागढ़ के कला विश्वविद्यालय से जुडऩे पर यहां अध्ययन करने वाले बच्चों को इसका लाभ होगा। उल्लेखनीय है कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से संबद्धता के उपरांत बादल को परीक्षा केन्द्र की मान्यता मिली है, जिसमें अध्ययनरत विद्यार्थियों के उत्साह एवं ज्ञानवर्धन के लिए प्रवेशोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मंत्री लखमा ने कहा कि हमारी सरकार लोक परंपरओं के संरक्षण के साथ ही पूरी तत्परता के साथ विकास के कार्य कर रही है।  बस्तर के दरभा में कॉफी, पपीता के उत्पादन की बात अब दिल्ली में भी होने लगा है। बस्तर के महुआ की बिक्री अब विदेशों में होने लगी है। देश में कपड़ा के क्षेत्र में भी बस्तर एक अलग पहचान मिली है। इस अवसर पर बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री लखेश्वर बघेल इंद्रावती विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजीव शर्मा कर्माकर मंडल के सदस्य श्री बलराम मौर्य ने भी सम्बोधित किया। कलेक्टर श्री चंदन कुमार ने जानकरी दी कि  बादल में  1. प्रथमा एवं मध्यमा (गायन एवं तबला) इसके अंतर्गत प्रथमा (एक वर्ष) एवं मध्यमा (एक वर्ष) डिप्लोमा कोर्स सिखाया जायेगा, जिसमें शास्त्रीय-सुगम एक वर्षीय एवं द्विवर्षीय शास्त्रीय-सुगम संगीत का पाठ्यक्रम पूरा कराया जायेगा। 2. गीतांजलि जूनियर एवं सीनियर इसके अंतर्गत संगीत एवं तबला वादन सिखाया जायेगा। 3. लोकसंगीत  पाठ्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ एवं बस्तर के लोकसंगीत का प्रशिक्षण दिया जायेगा। 4. चित्रकला आर्ट द्विवर्षीय पाठ्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ एवं बस्तर के लोकचित्रकला का प्रशिक्षण एप्रीसिएशन कोर्स कराया जायेगा। उक्त सभी पाठ्यक्रमों का अध्यापन खैरागढ़ से डिप्लोमा-डिग्री प्राप्त अनुभवी शिक्षको द्वारा कराया जायेगा। उपरोक्त पाठ्यक्रमों का संचालन बादल एकेडमी में प्रत्येक सप्ताह में शुक्रवार, शनिवार एवं रविवार को निर्धारित समय सारिणी के अनुसार सुचारू रूप से संचालित किया जायेगा। इन विषयों में वर्तमान में लगभग 50 विद्यार्थीयों ने प्रवेश लिया है, जिसमें बस्तर एवं कोंडागांव जिले के विद्यार्थी शामिल है। कार्यक्रम में महापौर श्रीमती सफीरा साहू, अक्षय ऊर्जा के अध्यक्ष श्री मिथलेश स्वर्णकार, नगर पालिक निगम के अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव सहित विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि व अन्य अतिथिगण उपस्थित थे।

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