Saturday, April 20

*महामहिम काहे पगलाने!* *(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)*

 

अब क्या महामहिम गुस्सा भी नहीं हो सकतेॽ केरल के महामहिम आरिफ मोहम्मद खान साहब ने गुस्सा करने के सिवा और कुछ किया हो, तो कोई कह देॽ कहने को सरकार उनकी है‚ फिर भी सरकार को बर्खास्त करने की बात छोड़ दो‚ एक बाबू तक को बर्खास्त नहीं किया। न किसी को बर्खास्त किया‚ न किसी को जेल में डलवाया‚ फिर भी इल्जाम है‚ राजाओं की तरह मनमानी करने का! बेचारे को करने के नाम पर मन से गुस्सा तो करने दोगे या उसे भी मनमानी करना कहोेगे!! और अगर अगले को मन से कुछ करने ही नहीं देना है‚ तो घर का नाम राज निवास क्यों रखा हुआ है– सिर्फ तरसाने के लिएॽ

और खान साहब तो अपने मन से गुस्सा भी नहीं हो रहे हैं। गुस्सा हो रहे हैं, क्योंकि मलयाली उन्हें गुस्सा दिला रहे हैं। मलयाली और उस पर लाल झंडे वाले‚ अच्छे-खासे महामहिम की मिट्टी पलीद कर के रख दी है। उनके रहते हुए उनकी पार्टी का चुनाव में सफाया किया, सो किया‚ महामहिम का सारा डर ही लोगों के दिल से निकाल दिया है। मुंह से सब महामहिम कहते हैं‚ पर मजाल है जो छोटा-सा बच्चा तक डरता हो।

बताइए‚ बूढ़े इरफान हबीब साहब ने प्रोफेसरी के चक्कर में पब्लिक के सामने महामहिम की बात काट दी। फिर भी न गिरफ्तारी, न मुकदमा‚ सरकार ने अगले को यूं ही निकल जाने दिया। और अब तो मंत्री तो मंत्री‚ वीसी से लेकर छात्र नेता तक‚ कोई भी महामहिम को संविधान का पाठ पढ़ाकर चला जाता है। अदालत तक का भरोसा नहीं रहा। थोक में वीसीओं का इस्तीफा मांगा‚ तो रुकवा दिया। मंत्री से इस्तीफा मांगा‚ तो पिनरायी ने संविधान दिखा दिया। इस नाफरमानी पर महामहिम को गुस्सा नहीं आएगा, तो क्या प्यार आएगा!

महामहिम को गुस्सा आता है क्योंकि वे महामहिम हैं। बेशक‚ केरल ही नहीं, बंगाल‚ ओडिशा‚ पंजाब‚ तेलंगाना‚ तमिलनाडु‚ राजस्थान‚ दिल्ली, छत्तीसगढ़ –जहां परायी सरकारें हैं‚ मोदी जी के बैठाए महामहिमों को गुस्सा आता है। पर क्यों न आए गुस्सा। महामहिम मोदी जी की सरकारें उनके महामहिमों की‚ फिर ये पराए सीएम वगैरह कहां से चुनकर आ गए‚ बीच में टांग अड़ाने के लिए। एमपी–महाराष्ट्र की तरह‚ हर जगह पराए सीएम हटा भी नहीं सकते‚ सो गुस्सा तो बनता है।

*(व्यंग्यकार प्रतिष्ठित पत्रकार और ”लोकलहर” के संपादक हैं।)*

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