नई दिल्ली। झारखंड चुनाव 2019 में भी राज्य में 19 सालों से चला आ रहा अंधविश्वास नहीं टूट पाया। राज्य की सियासत में मिथक रहा है कि जो भी नेता मुख्यमंत्री रहा, उसे कभी न कभी चुनाव में हार झेलनी पड़ी है। रघुवर दास भी इस मिथक को नहीं तोड़ सके। जमशेदपुर पूर्व से लगातार पांच बार चुनाव जीतने वाले रघुवर दास को निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय ने हार का स्वाद चखा दिया।
रघुवर दास से पहले झारखंड के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हेमंत सोरेन विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इस बार सीएम रघुवर दास के सामने यह चुनौती थी कि इस तिलिस्म को तोड़ पाते हैं या नहीं। रघुवर दास न सिर्फ राज्य के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, बल्कि वह राज्य के वह पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है।
झारखंड में कोई सीएम नहीं तोड़ सका है ये मिथक
– 2008 में मुख्यमंत्री रहते हुए शिबू सोरेन तमाड़ सीट से उपचुनाव में उतरे। उन्हें 6 महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था।
उन्हें झारखंड पार्टी के प्रत्याशी राजा पीटर से हारना पड़ा था।
– 2014 विधानसभा चुनाव में झारखंड के पहले सीएम बाबूलाल मरांडी दो सीटों (राजधनवार और गिरिडीह) पर लड़े। दोनों सीटों पर वह हारे।
– 2014 में तीन बार सीएम रहे अर्जुन मुंडा खरसावां सीट से हारे।
– पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी 2014 में मझगांव विधानसभा सीट से हारे। वह जय भारत समानता पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे थे।
– 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो- जेएमएम) के हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे। राज्य में झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन की सरकार चल रही थी। 2014 विधानसभा चुनाव में हेमंत दो विधानसभा सीट दुमका और बरहेट से झामुमो प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे थे। हेमंत बरहेट सीट से तो चुनाव जीत गए, लेकिन दुमका सीट से उन्हें बीजेपी के उम्मीदवार डॉ. लुइस मरांडी ने हरा दिया।
– 2019 में 24 सालों से जमशेदपुर पूर्व सीट से विधायक और राज्य के मौजूदा सीएम रघुवर दास को निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने वाले सरयू राय ने हरा दिया है। इस बार के चुनाव रघुवर दास को 58112 वोट मिले जबकि उनको मात देने वाले सरयू राय को 73945 वोट मिले हैं।