जीवन की खुशहाली और अखंड सुहाग का पर्व ‘गणगौर'(लेख प्रियंका सौरभ)
गणगौर एक ऐसा त्यौहार है, जो जन मानस की भावनाओं से जुड़ा है। ग्राम्य जीवन की वास्तविकताओं के दर्शन है इसमें। देवी देवताओं और धार्मिक आस्था से जुड़े ये त्यौहार जीवन की वास्तविकताओं से परिचित करवाते है। गणगौर का त्यौहार ऐसे समय में आता है जब फसल कटकर आ चुकी है। कृषक वर्ग फुरसत में है। आर्थिक रूप से भी हाथ मजबूत है। ऐसे में माहौल और खुशमिजाज हो जाता है। लोगों की धार्मिक आस्था भी मजबूत हो जाती है। दुगुने जोश खरोश से जिंदगी चलने लगती है। एक नई ऊर्जा पैदा हो जाती है। एक और खास बात धर्म के माध्यम से, मीठे मीठे गीतों के जरिये बेटियों को जीवन जीने की उचित शिक्षा मिल जाती है। वो भी बिना कुछ कहे। यह पर्व नारी को शक्तिशाली और संस्कारी बनाने का अनूठा माध्यम है। वैयक्तिक स्वार्थों को एक ओर रखकर औरों को सुख बांटने और दुःख बटोरने की मनोवृत्ति का संदेश है। गणगौर संपूर्ण मानवीय संवेदनाओं को प्रेम और एकता म...