23 नवंबर 2020 को आंवला नवमी का शुभ त्यौहार मनाया जाता है स्वामी राजेश्वरानंद जी के अनुसार दीपावली के 8 दिन बाद यानी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी व्रत किया जाता है इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है ऐसी मान्यता है की आंवला नवमी स्वयं सिद्ध मुहूर्त है इस दिन दान जप एवं तक सभी अक्षय होकर मिलते हैं अर्थात इनका कभी 6 नहीं होता है भविष्य पुराण स्कंद पुराण पद्म पुराण विष्णु पुराण के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है पूरे दिन व्रत रखा जाता है पूजा के बाद इस पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाया जाता है एवं ब्राह्मणों को भी खाना खिलाया जाता है माना जाता है कि ऐसा करने से हर तरह के पाप और बीमारियां दूर होती है स्वामी राजेश्वरानंद जी के अनुसार पूरे परिवार के सहित आंवले के पेड़ के नीचे भोजन तैयार कर ग्रहण करते हैं एवं ब्राह्मणों को जब अन्य एवं अन्य वस्तुओं का दान करते हैं मान्यता है कि इस दिन महर्षि चौहान ने आंवले का सेवन किया था जिससे उन्हें फिर से यौवन मिला था इसलिए इस दिन आंवला खाना चाहिए कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी पर आंवले के पेड़ की परिक्रमा करने पर बीमारियां और पापों से छुटकारा मिलता है इस दिन भगवान विष्णु का वास आंवले में होता है इसलिए इस पेड़ की पूजा में समृद्धि बढ़ती है और दरिद्रता का नाश होता है अक्षय नवमी पर माल लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा आंवले के रूप में की थी और इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया था मान्यता यह भी है कि इस पेड़ के नीचे पूजा करने से समृद्धि बढ़ती है एवं भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी ने भी इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन किया था इसी दिन भगवान कृष्ण ने कंस का वध से पहले 3 वर्षों की परिक्रमा की थी इसी वजह से अक्षय नवमी पर लाखों भक्त मथुरा वृंदावन की परिक्रमा भी करते हैं श्री सुरेश्वर महादेव पीठ में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आंवले की पूजा की जाएगी जिसकी पूरी तैयारी स्वामी राजेश्वरानंद जी ने कर ली है