Saturday, April 20

बिलासपुर: रेल पटरी के पास स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के रिश्तेदार का शव मिला

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में पुलिस ने रेल पटरी के पास से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के रिश्तेदार का शव बरामद किया है. पुलिस ने आशंका जताई है कि उनकी मौत रेलगाड़ी में सफर के दौरान गिरने से हुई है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने शुक्रवार को बिलासपुर शहर के पास कोटा थाना क्षेत्र के अंतर्गत सलका रोड और बेलगहना रेलवे स्टेशन के मध्य वीरभद्र प्रताप सिंह उफर्Þ सचिन बाबा (42) का शव बरामद किया है.

बिलासपुर जिले की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर ने बताया कि शुक्रवार सुबह पुलिस को सलका रोड और बेलगहना रेलवे स्टेशन के मध्य गलिया नाला के करीब रेल पटरी पर एक शव होने की जानकारी मिली थी. सूचना के बाद पुलिस दल को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया. बाद में पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा.

माथुर ने बताया कि शव की पहचान वीरभद्र प्रताप सिंह के रूप में की गई है, जो स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के रिश्तेदार हैं. पुलिस अधिकारी ने बताया कि वीरभद्र प्रताप सिंह बृहस्पतिवार को दुर्ग-अंबिकापुर एक्सप्रेस ट्रेन से अंबिकापुर लौट रहे थे और जिस स्थान पर उनका शव बरामद हुआ है, वहां से ट्रेन रात एक बजे के आस-पास गुजरती है.

उन्होंने कहा कि पुलिस को आशंका है कि वीरभद्र दुर्घटनावश ट्रेन से बाहर गिर गए, जिससे उनकी मौत हो गई. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में अधिक जानकारी जांच के बाद ही मिल सकेगी. अंबिकापुर से मिली जानकारी के अनुसार, वीरभद्र प्रताप सिंह सरगुजा राजपरिवार की धौरपुर शाखा के प्रमुख सदस्य थे. वह टी एस सिंहदेव के करीबी रिश्तेदार सोमेश्वर प्रताप सिंह के पुत्र थे. वीरभद्र प्रताप सिंह सरगुजा जिले के अंतर्गत लुंड्रा जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष भी थे.

इस बीच, राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है. भाजपा की छत्तीसगढ़ इकाई के मुख्य प्रवक्ता और विधायक अजय चंद्राकर ने जारी एक बयान में आशंका जताई है कि वीरभद्र प्रताप सिंह की मौत राजनीतिक हत्या का मामला है. चंद्राकर ने कहा है कि सचिन पूर्व में कांग्रेस विधायक पर हुए हमले के मामले में गिरफ्तार हुए थे.
उन्होंने मांग की है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मामले की तत्काल न्यायिक जांच के आदेश जारी करें और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से उच्च स्तरीय जांच कराएं.

 

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