Friday, October 4

भाजपा आदतन आदिवासी विरोधी-कांग्रेस

रायपुर/04 फरवरी 2023। भाजपा की पत्रकार वार्ता पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण केंद्र सरकार द्वारा लिखित दस्तावेज होता जिसका परंपरागत रूप से राष्ट्रपति पठन करते है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में टीका टिप्पणी संसदीय परंपरा का हिस्सा रहा है। विपक्ष जिन बिंदुओं से असहमत होता है उस पर टिपपणी करता है। भाजपा इसको आदिवासी राष्ट्रपति से जोड़कर संसद, संविधान और राष्ट्रपति का अपमान कर रही है। भाजपा का चरित्र ही आदिवासी विरोधी है।

भाजपा आदतन आदिवासी विरोधी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आदिवासियों को लंगोट में रखने का षड़यंत्र तो भाजपा ने रखा था। भाजपा कभी नहीं चाहती कि आदिवासी आर्थिक और शैक्षणिक रूप से आत्मनिर्भर बने। भाजपा आदिवासियों को उनकी संस्कृति को हमेशा से दमन करना चाहती है। भाजपा यदि आदिवासियों का हित चाहती तो अभी तक आदिवासी समाज का आरक्षण बिल राजभवन में अटका नहीं होता। कोर्ट ने आदिवासी समाज का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटाकर 20 कर दिया था। कांग्रेस सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आदिवासी समाज का आरक्षण फिर से 32 प्रतिशत किया। ओबीसी का आरक्षण 27 प्रतिशत, एससी का 13 प्रतिशत तथा ईडब्ल्यूएस का 4 प्रतिशत आरक्षण किया। यह आरक्षण विधेयक भाजपा के षड़यंत्र के कारण राजभवन में रोका गया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि पूर्व के रमन सरकार के दौरान सबसे ज्यादा पीड़ित, प्रताड़ित और शोषित आदिवासी वर्ग था। आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन पर कब्जा करने के लिए उनके कानूनी अधिकारों का हनन किया गया। आदिवासी वर्ग के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, उनके मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी प्रकार से काम नहीं किया गया था। भाजपा ने 2003 में आदिवासियों को 10 लीटर दूध वाली गाय देने का वायदा किया था, हर आदिवासी परिवार से एक को सरकारी नौकरी का वायदा किया था, पूरा नहीं किया। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के दौरान बस्तर के 600 गांव उजाड़े, तीन लाख से अधिक आदिवासियों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। 1379 फर्जी प्रकरण दर्ज कर हजारों आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल में बंद किया गया था जिसे जस्टिस पटनायक कमेटी के रिर्पोट के आधार पर रिहा किया गया। ऐसा कानून छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने लागू किया, नियम बनाएं। रमन सरकार आदिवासियों को जल जंगल जमीन के अधिकार से वंचित करती रही, लोहंडीगुड़ा में जमीन छीने, भूपेश सरकार ने ना केवल छीनी गई जमीन लौटाई बल्कि पौने पांच लाख एकल वनाधिकार पट्टे और 50 हज़ार सार्वजनिक पट्टे वितरित किए गए। हाल ही में मोदी सरकार ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों में संशोधन कर आदिवासियों के अधिकार को संकुचित किया। मोदी सरकार देश की पहली सरकार है जिन्होंने 2014 के बाद अंधाधुन कमर्शियल माइनिंग की अनुमति दी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने आदिवासी वर्ग के चहुमुखी विकास के लिए रोजगार मूलक योजनाएं बनाई। बस्तर क्षेत्र में आदिवासी के वर्ग शिक्षा के लिए 300 से अधिक बंद स्कूलों को खोला गया। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विश्वास, विकास और सुरक्षा के नीतियों के तहत काम किया गया। रमन सरकार के दौरान दस गांवों के 1707 आदिवासी परिवार से छीनी गई 4200 एकड़ जमीन को लौटाई गई, जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को जेल से मुक्त कराया गया। तेंदूपत्ता का मानक दर 2500 रु से बढ़ाकर 4000 रु प्रति बोरा किया गया, 52 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदी की गई, चरणपादुका खरीदने नगद राशि दी गई, बस्तर में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया। 24827 व्यक्तिगत 20,000 से अधिक सामुदायिक व 2200 वन संसाधन पट्टे वितरित किए गए, 16 लाख से अधिक हेक्टर भूमि आदिवासी वर्ग को वितरित किया गया है। 4,38,000 से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किया गया। 44,300 से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किया गया। 2175 से अधिक वन संसाधन अधिकार ग्राम सभा को प्रदान की गई। मिलेट मिशन शुरू किया गया और बस्तर के वनोपज को देश-विदेश तक पहुँचाया गया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से धान, गन्ना, मक्का, कोदो, कुटकी, रागी, मक्का, दलहन-तिलहन, फलदार वृक्ष, सब्जी लगाने वाले आदिवासी किसानों को 10,000 रू. प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। बिजली बिल हाफ की सुविधाएं। सिंचाई कर माफ किया गया। बस्तर बटालियन में स्थानीय युवाओं के नौकरी के द्वार खोले गए। एनएमडीसी में स्थानीय स्तर के युवाओं को रोजगार के अवसर दिया गया। आदिवासी वर्ग की बहुप्रतीक्षित मांग आदिवासी विकास प्राधिकरण में नेतृत्व देने की मांग को पूरा किया गया। बस्तर विकास प्राधिकरण, सरगुजा विकास प्राधिकरण, मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के माध्यम से आदिवासी वर्गों के विकास के रोडमैप तैयार करने की जिम्मेदारी उन्हीं वर्ग को दी गई पेशा कानून को लागू करने के लिए प्रपोजल मंगाया जा रहे हैं एक मजबूत पेशा कानून बनाया गया है। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के माध्यम से बीहड़ वन क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं सुपोषित आहार पहुंचाया गया। 85 विकास खंडों में वनों उपज प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना के लिए आठ करोड 50 लाख रुपए प्राधिकरण मद से दिया गया। जनजाति सलाहकार परिषद छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति जनजाति आयोग बैगा विकास अभिकरण चिराग परियोजना, आमचो बस्तर के माध्यम से कॉफी, काजू, हल्दी जो बस्तर में उत्पादित होते हैं, उनकी ब्रांडी की गई। महारानी अस्पताल का उन्नयन किया गया। आदिवासी संस्कृति के संरक्षण हेतु देवगुड़ी का विकास। अधोसंरचना का विकास, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सौर ऊर्जा विद्युतीकरण, गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी पशुधन का नस्ल सुधार, पशुओं का संरक्षण एवं पशुपालकों को लाभान्वित किया जा रहा है, विश्व आदिवासी दिवस के दिन 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन सहित अनेक जनकल्याणकारी योजना बनाकर आदिवासी वर्ग को आर्थिक रूप से मजबूत सक्षम बनाने के लिए काम किया गया।

सुशील आनंद शुक्ला
अध्यक्ष कांग्रेस संचार विभाग
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *