
एमओयू में ग्रामीण, जनजातीय और कृषक समुदायों में आजीविका सृजन पर जोर
सीएसआईआर के महानिदेशक डा. एन. कलैसेल्वी ने इव अवसर पर कहा कि यद्यपि सीएसआईआर की प्रयोगशालायें संभावित उपयोगकर्ताओं के लिये उनमें विकसित प्रौद्योगिकियों का प्रचार-प्रसार करतीं हैं लेकिन विशेष तौर पर सामाजिक क्षेत्र तक इनकी पहुंच बढ़ाने के लिये जमीनी स्तर पर काम करने वाले एमएसएसआरएफ जैसे संगठनों के साथ हाथ मिलाकर ही यह काम किया जा सकता है।
एमएसएसआरएफ की चेयरपर्सन डा. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा फाउंडेशन जनजातीय और कमजोर समुदायों तक पहुंचने के अपने प्रयासों के तहत इस व्यापक समझौता ज्ञापन के माध्यम से एक प्रौद्योगिकी प्रदाता भागीदार के तौर पर सीएसआईआर प्रयोगशालाओं से चुनींदा कम लागत वाली, सस्ती और सामर्थ्यवान प्रौद्योगिकी और तकनीकी समर्थन की मांग कर रहा है, क्योंकि आदिवासी अथवा ऐसे ही अन्य समूह उनकी भौगोलिक स्थिति, संचार की भाषा और जरूरी संसाधनों की कमी जैसे कई अंतर्निहित कारणों से सीएसआईआर प्रयोगशालाओं तक सीधे पहुंचने में सक्षम नहीं हैं।
एमओयू में समस्त सीएसआईआर प्रयोगशालाओं/संस्थानों में उपलब्ध सामाजिक सरोकारों वाली सस्ती, प्रमाणित और चुनींदा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के लिये एक रूपरेखा और सार्थक सहयोग बनाना तथा आजीविका सृजन और महिलाओं, जनजातीय आबादी के सशक्तिकरण के लिये एमएसएसआरएफ द्वारा चयनित स्वयं सहायता समूहों/गैर-सरकारी संगठनों/कृषक उत्पादक संगठनों तथा अन्य स्वैच्छिक संगठनों को परामर्श देना शामिल है।
सीएसआईआर, वैश्विक प्रभाव के लिये प्रयासरत विज्ञान, नवाचार-संचालित उद्योग को सक्षम बनाने वाली प्रौद्योगिकी और ट्रांसडिसिप्लिनरी नेतृत्व को पोषित करने के विजन के साथ भारत के लोगों के लिये समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से विविध क्षेत्रों जैसे कि 1. स्वास्थ्य सेवाओं, 2. कृषि, पोषण और जैव प्रौद्योगिकी, 3. उर्जा और उर्जा उपकरणों, 4. रसायन, चमड़ा और पेट्रोरसायनों, 5. खनन, खनिज, धातु और सामग्री, 6. नागरिक अवसंरचना और इंजीनियरिंग, 7. एयरोस्पेस, इलेक्ट्रानिक्स और इंस्ट्रमेंटेशन और रणनीतिक क्षेत्र, 8. पारिस्थितिकी, पर्यावरण, पृथ्वी विज्ञान और जल, में परिणाम- संचालित मोड में अनुसंधान और विकास कार्य करता है।
एमएसएसआरएफ, भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट है। भारत सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग द्वारा एक वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान संगठन के रूप में इसे मान्यता प्राप्त है। यह विशेष रूप से जनजातीय और ग्रामीण समुदायों में गरीब, महिलाओं और प्रकृति के अनुकूल दृष्टिकोण रखते हुये काम करता है। फाउंडेशन देशभर में फैले अपने उप-केन्द्रो और जमीनी स्तर पर काम करने वाले स्टेशनों के माध्यम से कृषि, खाद्य और पोषण क्षेत्र में ग्रामीण आबादी के समक्ष आने वाली व्यवहारिक समस्याओं के समाधान के लिये उपयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकल्पों को लागू करता है।