
लोकसभा में जहां भाजपा ने 400 सीटों पर कब्जा करने का संकल्प लिया था और ऐलान भी कर दिया था।
चारों ओर मोदी के नाम की धूम मची थी।
राममंदिर बनाने का सहारा था। लग रहा था जैसे भाजपा पहले की तुलना मे कहीं अधिक आगे दिखेगी।
याद कीजिये बीस साल पहले का नारा इण्डिया शाईनिंग। प्रमोद महाजन की व्यवस्था में चारों ओर भाजपा के नाम की धूम मची थी।
कांग्रेस के नेता कूदफांद कर भाजपा में प्रवेश लेकर कृतार्थ हो रहे थे। कांग्रेस के पास कोई सर्वमान्य नेता नहीं था। सेम टू सेम इस बार जैसा माहौल था।
भाजपा आकाश में छाती दिख रही थी और कांग्रेस डूबती।
इस बार भी कुछ ऐसा लगा। बस इंडिया शाइनिंग की जगह नारा था 400 पार का
बाकी सब वैसा ही बल्कि हौसला, विश्वास पहले से कहीं अधिक।
पहले से अधिक उंचाईयों पर पहंुचने की आस। भाजपा पहले से अधिक मजबूत।
दुर्योग देखिये वही हुआ जो तब हुआ था। बीस साल पहले भी भाजपा को अप्रत्याशित हार मिली, इस बार भी।
फर्क सिर्फ इतना कि तब की हार से सरकार नहीं बन पाई।
इस बार की कथित हार से केवल लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाई यानि जो आस थी, जो नारा था 400 पार का, वो नहीं पा सकी लेकिन सरकार बना ही ली।
बेहद निराश किया यूपी ने
इस बार लक्ष्य से काफी दूर रूकना पड़ गया। सबसे दुखद…. रहा यूपी। यानि रामलला का घर, जिस राममंदिर को बनाने और न बनाने के लिये पक्ष क्या विपक्ष क्या, सभी ने सारे देश को झिंझोड़ दिया गया।
वो मंदिर बनवाया भाजपा की सरकार ने।
मजेदार पहलू ये रहा कि जब मंदिर बना तो विपक्ष ने श्रेय कोर्ट को दिया मगर मंदिर बनाने में देरी के लिए ताना भाजपा को मारता रहा।
निशाना भाजपा को बनाया विपक्ष ने।
कहा ‘मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे’।
कोर्ट से जीतने के बाद ये ताना सुनाया विपक्ष ने।
फिर मंदिर का काम भी तेजी से चला। अंततः 22 जनवरी को सारे देश में दीवाली मनाई गयी। कई दिवालियों जैसा वातावरण था।
हर गली हर कूचे में था। दीवाली तो केवल रात को मनाई जाती है। लेकिन उस दिन तो दिन भी दीवाली थी।
इस मुद्दे पर विपक्ष की बोलती पूरी तरह बंद हो गई।
तब लगा कि बस ये एक काम ही काफी है भाजपा को राजमुकुट पहनाने के लिये, मोदी को सिरमौर बनाने के लिये।
सबको यही लगा कि भाजपा ने लोकसभा की लड़ाई जीत ली। बस तभी 400 पार के लक्ष्य पर भरोसा हो गया था।
हालांकि कई ज्योतिष, कई प्रकाण्ड पण्डित, कई स्थापित पत्रकार, कई अनुभवी नेता इस बात पर कायम थे कि 400 बहुत बड़ा लक्ष्य है और इसमें संदेह है।
हां ये सभी ने माना कि पहले से यानि 303 से भाजपा काफी निकल जाएगी। अकेली भाजपा की सीटें 325 से 360 तक आ सकती हैं।
मगर जोर का झटका भाजपा और भाजपा के चाहने वालों को जोर से लग गया।
भाजपा केवल 240 पर सिमटकर रह गई।
घोर निराशा, हताशा और हौसला टूट जाने जैसी स्थिति हो गईl विपक्ष ने भी ऐसा तांडव मचाया कि मानो भाजपा सत्ता से बाहर ही हो गई।
इसे यूं समझें कि एक छात्र जिसे 90% आने की उम्मीद थी वह 80 पर अटक गया तो दुखी हो गया
और दूसरा छात्र जिसे फेल होने का शक था वह 50% पाकर पास हो गया पहले छात्र और उसके परिवार वाले दुखी हो गए और दूसरा छात्र और उसके परिवार वाले खुश ।
बस तो फिर इसी गम और खुशी के बीच भाजपाइयों का हौसला तब लौटा जब यह स्पष्ट हुआ कि भाजपा सरकार बना रही है…..