जन औषधि योजना सभी के लिए सस्ती कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयां सुनिश्चित करने को लेकर माननीय प्रधानमंत्री की सोच को साकार करती है
ब्रांडेड दवाओं की तुलना में इसकी कीमत 50 से 90 फीसदी तक कम होती है
पिछले 8 वर्षों में इस परियोजना के माध्यम से लगभग 18,000 करोड़ रुपये की बचत की गई है
भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधीन औषध विभाग ने नवंबर, 2008 में प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) को शुरू किया था। इसका उद्देश्य सभी को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत दिसंबर, 2017 में 3,000 केंद्र खोलने का लक्ष्य प्राप्त किया गया। इसके अलावा मार्च, 2020 में कुल 6000 आउटलेट्स को खोलने का संशोधित लक्ष्य भी प्राप्त कर लिया गया था। इस यात्रा में पिछले वित्तीय वर्ष में इन केंद्रों की संख्या 8,610 से बढ़कर अब 9,000 हो गई है। इसे देखते हुए सरकार ने पूरे देश के 766 जिलों में से 743 को कवर करते हुए 9,000 से अधिक केंद्रों के साथ इसकी पहुंच का विस्तार किया है। सरकार ने मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा है। पीएमबीजेपी की उत्पादों की सूची में सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों को कवर करने वाली 1759 दवाइयां और 280 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं। इनमें कार्डियोवस्कुलर, कैंसर-रोधी, डायबिटिक-रोधी, संक्रमण-रोधी, एलर्जी-रोधी, गैस्ट्रो-इन्टेस्टाइनल दवाइयां और न्यूट्रास्यूटिकल्स आदि शामिल हैं। इसके अलावा विभिन्न न्यूट्रास्युटिकल उत्पाद, जैसे कि प्रोटीन पाउडर, माल्ट-बेस्ड फूड सप्लीमेंट्स आदि भी उपलब्ध हैं। वहीं, कुछ आयुष उत्पादों जैसे कि आयुरक्षा किट, बालरक्षा किट और आयुष-64 टैबलेट को प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में परियोजना की उत्पाद सूची में जोड़ा गया है।
पीएमबीजेपी के तहत उपलब्ध दवाओं की कीमत ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 से 90 फीसदी तक कम है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 893.56 करोड़ रुपये की बिक्री हुई है. इससे नागरिकों को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में लगभग 5,300 करोड़ रुपये की बचत हुई है। चालू वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में इन केंद्रों ने 30 नवंबर, 2022 तक 758.69 करोड़ रुपये की बिक्री की है। इससे नागरिकों को लगभग 4,500 करोड़ रुपये की बचत हुई। कुल मिलाकर इसकी बिक्री में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी गई है, जो जन औषधि की व्यापक स्वीकृति को दिखाती है।
यह योजना स्थायी और नियमित आय के साथ स्वरोजगार का एक अच्छा स्रोत प्रदान कर रही है। पीएमबीजेपी के तहत वित्तीय सहायता के रूप में जनऔषधि केंद्रों को 5.00 लाख रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। इसके अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालयी क्षेत्रों, द्वीप क्षेत्रों व नीति आयोग की ओर से घोषित आकांक्षी (पिछड़े) जिलों में खोले गए जनऔषधि केंद्र या फिर महिला उद्यमी, पूर्व सैनिक, दिव्यांग,अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की ओर से खोले गए केंद्र को 2.00 लाख रुपये का एकमुश्त अतिरिक्त प्रोत्साहन (आईटी और अवसंरचना खर्च के लिए) प्रदान किया जा रहा है।
पूरे देश के 9,000 पीएमबीजेपी केंद्रों पर जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन की बिक्री 1 रुपये प्रति पैड के हिसाब से की जाती है। इस योजना को शुरू किए जाने के बाद से 30 नवंबर, 2022 तक पूरे देश के प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों पर 31.40 करोड़ जनऔषधि सुविधा सेनेटरी पैड की बिक्री की चुकी है। गुरुग्राम, चेन्नई, गुवाहाटी और सूरत में इसके चार गोदाम हैं। यह एसएपी आधारित इन्वेंट्री प्रबंधन प्रणाली पर आधारित है, जिससे सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध आपूर्ति और तेजी से वितरण की सुविधा प्राप्त हो सके।
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