
नई दिल्ली (IMNB).
मुख्य बातें:
- एनसीआरएफ, औपचारिक शिक्षा प्रणाली छोड़ चुके छात्रों को, उनके व्यावहारिक अनुभव के साथ उपयुक्त फ्रेमवर्क स्तर को जोड़ते हुए, पुन: एकीकृत होने में मदद करेगा – श्री संजय कुमार
- करियर मार्गदर्शन और भौतिक हस्तक्षेप, जो स्कूलों में ही किये जा सकते हैं, की भूमिका पर भी चर्चा हुई।
शिक्षा मंत्रालय ने 16 दिसंबर 2022 को नई दिल्ली में यूनिसेफ और ‘युवा’ (वाईयूडब्लूएएएच) के सहयोग से स्कूली छात्रों के लिए ‘व्यावसायिक शिक्षा और करियर मार्गदर्शन पर पुनर्विचार’ विषय पर एक दिवसीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव श्री संजय कुमार ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, प्रशिक्षण महानिदेशालय (आईटीआई), पीएसएससीआईवीई, भोपाल, एनसीईआरटी, सीबीएसई, एनसीवीईटी, एआईसीटीई आदि के साथ परामर्श कार्यशाला और दो गोलमेज संवाद सत्रों की अध्यक्षता की। कार्यशाला और गोलमेज संवाद सत्रों में पीडब्लूसी, ‘युवा’ (वाईयूडब्लूएएएच), सिविल सोसाइटी संगठनों, राज्य शिक्षा विभाग, व्यवसायिक शिक्षा और करियर परामर्श के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों एवं कॉरपोरेट जगत के विशेषज्ञों तथा वर्तमान और उत्तीर्ण छात्रों ने भी भाग लिया।
अपने मुख्य भाषण में, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव, श्री संजय कुमार ने कहा कि छात्र की पढ़ाई के वर्षों के दौरान औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से कार्यबल को कुशल बनाने के क्षेत्र में भारत को अन्य देशों की बराबरी करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 ने ऐसे मुद्दों की पहचान की है और उपचारात्मक उपायों का सुझाव दिया है।
श्री कुमार ने कहा कि एनईपी, 2020 के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा को अगले दशक में चरणबद्ध तरीके से सभी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में एकीकृत करने की आवश्यकता है। विषयों और पाठ्यक्रमों को कौशल-अंतर विश्लेषण और स्थानीय अवसरों की जरूरतों के आधार पर चुना जाएगा, ताकि यह मांग को पूरा करने में सक्षम हो सके। व्यावसायिक शिक्षा से जुड़ी निंदा को समाप्त करने और इसे आकांक्षात्मक बनाने के लिए सभी हितधारकों के ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जो ज्ञान व कौशल प्राप्ति के विभिन्न क्षेत्रों के बीच पारंपरिक पदानुक्रम और अलग-थलग रहने आदि समस्याओं को भी समाप्त कर देगा। यह कला और विज्ञान, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों एवं व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच जटिल अलगाव को दूर करने में भी मदद करेगा। अकादमिक, पाठ्येतर और अनुभवात्मक शिक्षा के लिए क्रेडिट प्रदान करके, एनसीआरएफ औपचारिक शिक्षा प्रणाली छोड़ चुके छात्रों को, उनके व्यावहारिक अनुभव के साथ उपयुक्त फ्रेमवर्क स्तर को जोड़ते हुए, पुन: एकीकृत होने में भी मदद करेगा।
परामर्श सत्रों को यूथ डेवलपमेंट एंड पार्टनरशिप्स के जनरेशन अनलिमिटेड (वाईयूडब्लूएएएच) की प्रमुख सुश्री धूवरखा श्रीराम और यूनिसेफ के शिक्षा प्रमुख श्री टेरी ड्यूरियन ने भी संबोधित किया। व्यावसायिक शिक्षा की पुनर्कल्पना, पुनर्रचना आदि से संबंधित विभिन्न विचारों पर विस्तार से चर्चा की गई। जीवन कौशल का महत्व – ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज दोनों, व्यावसायिक शिक्षा स्कूल के उत्थान में आकांक्षी अंतर और सूचना विषमता, व्यावसायिक शिक्षा का लैंगिक परिप्रेक्ष्य, आदि विषय भी इन चर्चाओं के केंद्र में थे। नई लॉन्च की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के आलोक में; हमारा उद्देश्य, छात्रों को क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, साइबर सिक्योरिटी आदि कौशल देकर सशक्त बनाने का होना चाहिए, ताकि व्यावसायिक स्नातक वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा कर सकें। वर्चुअल लैब स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया, ताकि सभी छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाले व्यावहारिक और स्व-अनुभव तक समान पहुंच प्राप्त हो। सम्मेलन में उन छात्रों ने महत्वपूर्ण फीडबैक भी प्रस्तुत किये, जिन्होंने बहु-कौशल पाठ्यक्रम और सूचना प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई की है।
दूसरे गोलमेज सम्मेलन में स्कूलों में करियर परामर्श की वर्तमान प्रणालियों, इनसे जुड़े तथ्यों और सर्वोत्तम तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया। डीओएसईएल के सचिव ने कहा कि समाधानों को स्कूलों के सन्दर्भ में करियर परामर्श के एक संस्थागत मॉडल के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए तथा इसके लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित तकनीकी नवाचारों का उपयोग करते हुए पैमाने, गति और स्थायित्व पर विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संसाधनों का मानचित्रण करने और उनका एक डेटाबेस बनाने की आवश्यकता है। करियर मार्गदर्शन और भौतिक हस्तक्षेप, जो स्कूलों में ही किये जा सकते हैं, की भूमिका पर भी चर्चा हुई।
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