प्रियंका चुनौती भाजपा के लिये या खतरा राहुल के लिये, सोनिया की मंशा प्रियंका नहीं वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…

 

एक वीडियो देखा जिसमें प्रियंका वाड्रा कह रही हैं कि मैं राजनीति में नहीं आउंगी क्यांेकि राजनीति में इंसानियत नहीं रही’। ये वीडियो 2011 का बताया गया है जब कांग्रेस की सरकार थी।
इसका अर्थ ये हुआ कि अब राजनीति में इंसानियत आ गयी है और तभी प्रियंका राजनीति में आने के लिये तैयार हुईं। ये तो भाजपा सरकार की उपलब्धि है भाई।

वायनाड जहां से पहले राहुल गांधी सांसद रहे प्रियंका गांधी ने परचा भर दिया है और जैसे कि आसार नजर आ रहे हैं उनके हारने की संभावना नगण्य है और भाजपा को स्वाभाविक हार का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वहां पर आधे से अधिक वोट मुस्लिम हैं।

सोनिया नहीं चाहतीं कि
प्रियंका आए राजनीति में

पूर्व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन का जब भी टीवी पर कोई बयान देखने को मिलता था तो उसमें वे प्रियंका वाड्रा की भरपूर पैरवी करते थे। और भी कई कांग्रेस नेता ऐसे हैं जो बरसों से प्रियंका को चुनावी राजनीति में लाने के पक्षधर रहे हैं।

लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि स्वयं उनकी माता सोनिया गांधी इस बात के पक्ष में नहीं थीं। इस तारतम्य में एक किस्सा याद आता है कि एक बच्चे ने अपने सफल नेता पिता से कहा पिताजी मुझे भी राजनीेति सिखाईये। जब बच्चे ने जिद की तो पिता ने उसे छत पर जाकर कूद जाने को कहा।

बच्चा झिझका तो नेता पिता बोला ‘चिन्ता मत करो मैं हूं न। मैं पकड़ लूंगा’। बेटा पिता का आश्वासन पाकर छत से कूद पड़ा। परन्तु ये क्या, पिता तो पीछे हट गया। बेटे को काफी चोट आई।

रूंआसें बेटे ने पिता से शिकायत की तो पिता बोला ‘राजनीति का पहला सबक यही है अपने बाप पर भी भरोसा मत करना’।
रिश्ता चाहे अलग-अलग है लेकिन कहानी कुछ इसी तरह की है। भाई, बहन के बीच अविश्वास और प्रतिस्पद्र्धा साफ दिखाई पड़ती है

ऐसा समझा जाता है कि प्रियंका का आना राहुल की राह में रोड़ा बन जाता, इसलिये सोनिया राहुल को ही आगे रखना चाहती थीं और बार-बार आवाज़ उठने के बाद भी प्रियंका को राजनैतिक दौड़ से बाहर रखा गया।

डाॅमिनेट होगे राहुल गांधी

तो ? अब क्या होगा ? अब चूंकि प्रियंका सांसद बनती दिख रही हैं और उनके भाई राहुल पहले से सांसद हैं और नेता प्रतिपक्ष हैं तो दोनों की संसद में क्या स्थिति होगी ?

किसको पार्टी अधिक महत्व देगी ? गांधी परविार के दोनों सदस्यों के बयानों की व्यवहार की तुलना की जाएगी। राहुल गांधी वैसे भी अपने बालसुलभ बयानों के लिये जाने जाते हैं अब प्रियंका क्या प्रभाव छोड़ंेगी ये देखने लायक होगा।
संसद के अंदर पार्टी किसे अधिक महत्वपूर्ण जवाबदारी देगी ?

जहां तक सवाल विपक्ष का है तो विपक्ष कदाचित् जानबूझकर प्रियंका को ज्यादा महत्व देगा, ज्यादा पूछ-परख करेगा जिससे राहुल का मनोबल कम हो। राहुल को डाॅमिनेट करने का पूरा प्रयास करेगा विपक्ष। कई विपक्षी सांसद मजे भी लेंगे।

यानि ये तय है कि भाई और बहन की बीच वैमनस्य बढ़ने की आशंका अधिक है।

ज्योतिष की दृष्टि में…

नयी ज्योतिषीय घोषणा के अनुसार प्रियंका गांधी का राजनैतिक उदय नजर आ रहा हैै। प्रियंका से वायनाड से वे जीतेंगी और लोकसभा में जाएंगी।

कुण्डली देखने से ये पता चलता है कि राहुल गांधी की तुलना मे ये अच्छा बोलेंगी। राहुल गांधी जिस तरह से अपना एंग्रीयंग मैन का रूप दिखाने की कोशिश करते हैं लेकिन सफल नहीं होते, वैसा कुछ नहीं करेंगी। कहां क्या बोलना है ये संेस इनमें राहुल से अधिक है। राहुल के हाल ही में दिये गये जलेबी वाले बयान और ऐसे कई बयान पहले भी हमने देखे हैं।

प्रियंका का कद बढ़ेगा। गांधी परिवार में ही गुटबाजी बढ़ेगी। ये कांग्रेस पर अच्छा प्रभाव नहीं डालेगी।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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