Thursday, October 3

चीन की सड़कों पर कोरोना वायरस से पसरा सन्नाटा, बढ़ी मरीजों की संख्या, कोरोना से कराह रहे चीन की खुल गई पोल, आखिर भारत कैसे बचा

  चीन में इस वक्त कोविड-19 से कोई बच नहीं पा रहा है। बीजिंग और दूसरे कई शहरों में क्लीनिक में मरीजों की भीड़ है और फुटपाथ तक मरीजों की कतार लगी हुई हैं। लोग कड़ाके की ठंड में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। विरोध के चलते कोरोना नियमों में छूट दी गई लेकिन उसके बाद हालात और भी खराब हो गए हैं।

  • नियमों में छूट देते ही चीन में बेकाबू हुआ कोरोना, मरीजों को ट्रैक करना ‘असंभव’
  • चीन छूट रहा पीछे, कोरोना के बाद दुनिया के कई मंचों से हो रही है भारत की तारीफ
नई दिल्ली(IMNB): कोरोना का नाम सुनते ही अब वैसा डर नहीं जैसा कुछ महीने पहले था। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों ने इससे राहत की सांस ली है लेकिन चीन अब भी इससे कराह रहा है। कोरोना की वजह से चीन में कुछ ऐसा हुआ जो वहां दशकों में कभी नहीं देखने को मिला। कोरोना की सख्त पाबंदियों को लेकर ऐसा विरोध प्रदर्शन जिसकी कल्पना चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी नहीं की थी। चीन के कई शहर, रेस्टोरेंट, सड़कें वीरान हैं। विरोध देख पाबंदियों में कुछ राहत दी गई तो एक और बड़ा संकट पैदा हो गया। कोरोना के मरीजों को ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है। इस पूरे मामले में चीन की पोल खुल रही है। चीन जिसको लेकर कई बार वायरस के वहीं से निकलने की आशंका जताई गई। चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला देश है लेकिन सरकार के कई ऐसे फैसले रहे जिससे कि कोरोना का प्रभाव उस पर कम पड़ा। कोरोना के चलते जहां दुनिया के कई देशों की आर्थिक हालत बिगड़ गई वहीं भारत के फैसलों की तारीफ वैश्विक मंच पर हो रही है।

दशकों में कभी नहीं हुआ ऐसा, क्यों हैं चीनी राष्ट्रपति टेंशन में

कुछ ही दिनों पहले की बात है जब चीन के कई शहरों में कड़े प्रतिबंधों के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। इस प्रदर्शन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पद छोड़ने की मांग की गई। चीन में ऐसा प्रदर्शन हालिया दशकों में पहले कभी नहीं हुए थे। चीन स्थित एप्पल आईफोन के दुनिया के सबसे बड़े कारखाने में विरोध देखने को मिला। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों में दिखा कि कुछ कर्मचारियों को कोरोना वायरस के कारण लागू प्रतिबंधों के बीच पीटा गया और हिरासत में भी रखा गया। झोंगझोउ स्थित कारखाने के वीडियो में नकाब पहने हजारों प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों का सामना करते नजर आ रहे हैं। एक व्यक्ति के सिर पर डंडा मारा गया और एक अन्य को उसके हाथ पीछे की ओर बांधकर ले जाया गया। चीन में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाई गईं कड़ी पाबंदियों का विरोध अमेरिका में व्हाइट हाउस के पास भी दिखा। यहां सैकड़ों लोग एकत्र होकर चीन को आजाद करो के नारे लगाए। इस पूरे एपिसोड में ऐसा दिख रहा है कि वहां की जनता अपनी तानाशाही सरकार के साथ नहीं है। वहीं भारत में कोरोना के समय जनता का पूरा विश्वास सरकार पर बना रहा।

खुल गई चीन की पोल, यू टर्न लेना कहीं पड़ न जाए महंगा

कोरोना नियमों को लागू रखने के बाद चीनी सरकार ने यू टर्न लिया लेकिन ऐसा करते ही वहां हालात और भी खराब हो गए हैं। कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और कितने मरीज सामने आ रहे हैं इसको ट्रैक करना मुश्किल हो गया है। पूरे चीन में इस कदर मामले फैल गए हैं कि उन पर नजर रखना असंभव हो गया है। चीन में दवाएं खत्म हो रही हैं। हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों की बाढ़ आ गई है। कई डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद वह इलाज कर रहे हैं। लॉकडाउन में ढील के साथ संक्रमण की नई लहर फैलने की आशंका भी बढ़ गई है। नियमों में छूट देने के बाद जिस प्रकार तेजी से मामले बढ़ रहे हैं उससे ऐसी आशंका जताई जा रही है कि एक बार फिर सरकार को कहीं यू टर्न न लेना पड़े।

रेस्टोरेंट खुले लेकिन खोजने से भी नहीं मिल रहे कर्मचारी

चीन ने विरोध प्रदर्शनों के बाद कोविड-19 से जुड़ी बड़ी पाबंदियों को वापस ले लिया। इसे उस खतरनाक जीरो कोविड नीति खत्म करने की दिशा में उठाये गये कदम के रूप में देखा गया। चीन की इस नीति के चलते वहां की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा था। कई शहरों में लॉकडाउन लगा था। सोशल मीडिया पर कई ऐसी तस्वीरें दिखीं जिसमें देखा गया कि वहां की सरकार अपने नागरिकों को साथ जानवरों जैसा सलूक कर रही है। अब नियमों में ढील देने के बाद चीन को यह उम्मीद थी कि विकास की पटरी पर वह वापस लौटेगा लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। कोरोना मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। अब भी चीन के कई इलाके वीरान हैं। रेस्तरां ज्यादातर बंद या खाली हैं, क्योंकि उन्हें ऐसे कर्मचारी खोजने में कठिनाई हो रही है जो संक्रमित नहीं हुए हैं। कोविड-19 नियमों में छूट के बावजूद बीजिंग का भीड़भाड़ वाला इलाका भी वीरान है।

कमरों तक सीमित रह गए छात्र, नहीं हो रहा कोई फायदा

चीन के कई विश्वविद्यालयों ने कहा है कि वे जनवरी में नए साल की छुट्टियों के दौरान कोरोना के मामले और अधिक बढ़ने की वजह से छात्रों को घर से पढ़ाई करते हुए सेमेस्टर पूरा करने की अनुमति देंगे। हालांकि अभी तक यह क्लियर नहीं है कि कितने स्कूल-कॉलेज ऐसा करेंगे लेकिन शंघाई और आसपास के शहरों में विश्वविद्यालयों ने कहा कि छात्रों को या तो जल्दी घर लौटने या परिसर में रहने और हर 48 घंटे पर जांच कराने का विकल्प दिया जाएगा। इस बार चंद्र नववर्ष 22 जनवरी को आ रहा है जो पारंपरिक रूप से चीन में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। विश्वविद्यालयों में पिछले तीन साल में कई बार लॉकडाउन लगाए गए जिसके कारण कैंपस या कमरों तक सीमित रह गए छात्रों का कभी कभार अधिकारियों के साथ टकराव भी हुआ।

भारत तेजी से बढ़ रहा है आगे

कोरोना के चलते चीन से कई कंपनियों ने बोरिया बिस्तर समेट लिया और उसके विकास पर भी ब्रेक लग गया। वहीं कोरोना महामारी और इसके बाद के मुश्किल हालात में भारतीय अर्थव्यवस्था ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। दूसरी ओर चीन और यूरोप समेत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अभी इससे जूझ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के कई बड़े फैसलों की सराहना हो रही है। सरकार के उठाए गए कदमों और नीतियों की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभाव से उबर गई। उसने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ ली है। कोरोना के दौरान जिस तेजी के साथ लोगों को टीके लगाए गए उसकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है। बड़ी आबादी के लिहाज से इतने कम समय में ऐसा कर पाना आसान नहीं था। भारत ने जल्द अपनी वैक्सीन भी बना ली। चीन और यूरोप समेत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की हालत खराब है, ऐसे में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में कोई देश सबसे अच्छी तरह अर्थव्यवस्था को बढ़ा रहा है तो वह भारत है।

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