*मदमस्त दरबारी, पर्यटक राजा : धूमधड़ाके से बजा रहे, संविधान का बाजा*
इधर आरिफ मृदंग बजा रहे हैं, उधर रिरिजु सुप्रीम कोर्ट को तुरही सुना रहे हैं। सबके सब लोकतंत्र की छाती पर पाँव रखे संविधान का बाजा बजा रहे हैं। उधर राजा पर्यटन पर है। अभी तक 66 देशों का पर्यटन कर चुका है, जिनमें से कई में अनेक अनेक बार की गयी यात्राओं का जोड़ शामिल नहीं है। इन दिनों वह धुंआधार देशाटन पर है। प्रमुदित, उत्फुल्लित, आल्हादित, बालसुलभ उत्साह से उत्साहित होकर दिन में 7 बार परिधान बदल रहा है। राजतंत्र के जमाने के राजा एक ही मुद्रा में बैठकर तैलचित्र बनवाते थे, मरे हुए शेर के ऊपर पाँव रखकर फोटो उतरवाते थे। उन्ही की नक़ल करने की कोशिश में वह नारद स्वयंवर काण्ड दोहरा रहा है। कभी हाथ फैला कर अभिराम मुद्रा में पोज दे रहा है, कभी युवा उत्साही पर्यटकों की तरह सूरज को हथेली में लेकर, तो कभी ऊंचे पर्वतीय शिखर पर हाथ रखकर फोटो सेशन कर रहा है। उसके अलावा फोटो फ्रेम में कोई और न आये, इसके लि...