*वनाधिकार : ‘सुप्रीम’ फैसले पर टिका देश के 16 लाख आदिवासी परिवारों का भविष्य, छत्तीसगढ़ सरकार ने नहीं दिया हलफनामा*
रायपुर। वन अधिकार अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कल 10 नवम्बर 2022 को सर्वोच्च न्यायालय में अंतिम सुनवाई होनी है और फिर 16 लाख आदिवासी परिवारों का भविष्य 'सुप्रीम' फैसले पर टिक जाएगा। यदि सर्वोच्च न्यायालय कथित 'अपात्र' आदिवासियों को वनों से बेदखल करने के अपने पहले के आदेश पर कायम रहती है, तो पूरे देश भर में 80 लाख से एक करोड़ आदिवासियों को वनों से विस्थापित होना पड़ेगा। चूंकि राज्यों द्वारा यह विस्थापन 'बलपूर्वक' किया जाएगा, पहले से ही संकटग्रस्त भारतीय समाज में एक नया संकट व असंतोष और पैदा होगा।
पूरे देश में आदिवासी समुदाय अलग-अलग कारणों से अपने-अपने राज्यों में आंदोलित है। इन कारणों में प्रमुख है कि संविधान में उल्लेखित अधिकारों से आज भी आदिवासी समुदाय या तो वंचित है या फिर इनका सही ढंग से क्रियान्वयन ही नहीं किया जा रहा है। आज भी आदिवासी समुदायों की आजीवि...