भाजपा, भाजपा ना रही; एनडीए, एनडीए ना रहा! (आलेख : राजेन्द्र शर्मा)
मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के शोर शराबे के बीच, इसकी ओर शायद ही किसी का ध्यान गया होगा कि जिस सरकार की सालगिरह इतनी धूम-धाम से मनाई जा रही थी, उसके नाम के आगे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन या एनडीए का अगल्ला जुड़ा हुआ है। यह इसलिए कि मोदी राज के नौ साल में न सिर्फ एनडीए के अस्तित्व को करीब-करीब पूरी तरह से भुला दिया गया है, बल्कि शीर्ष पर सत्ता के लगभग निरंकुश केंद्रीयकरण के जरिए, नाम के वास्ते सत्ताधारी पार्टी के गिर्द किसी गठबंधन की मौजूदगी तक को, लगभग असंभव ही बना दिया गया है। हैरानी की बात नहीं है कि मोदी राज के नौ साल, इस गठबंधन के बिखरने के ही नौ साल रहे हैं। इस गठबंधन की मौजूदा रूप में शुरूआत, 1998 में 15 मई को हुई थी। मकसद था अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार को, जिसमें भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं था, सहयोगियों के संख्या बल के सहारे ही नहीं, एक गठबंधन की राजनीतिक वैधता के जरिए भी, स्...