वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक, विश्व आदिवासी दिवस की बधाई मंगलकामनाएँ …
आजादी के लगभग सात दशक गुजर चुके है परन्तु आज भी कागजो और भाषणों में संरक्षित कहे जाने वाले बैगा , कमार, कोरवा , बिंझवार , उँराव जैसी जनजातियां मुलभूत सुविधाओं साफ़ पानी , स्वास्थ्य , राशन , शिक्षा और आवागमन के साधन के लिए तरसती शासन प्रशासन की योजनाओ और अपने रहनुमाओं के रहमोकरम के इंतज़ार में है। शहरो की किसी एक गली में एक दिन पानी ना आये तो हा हा कार मच जाता है । घण्टे दो घण्टे बिजली बंद हो जाय तो शोशल मीडिया में तूफान आ जाता है , हॉस्पिटल में किसी की मौत हो जाय तो मीडिया में बड़ी बड़ी खबरे बन बहस का मुद्दा बन डिबेट प्रारंभ हो जाती है । सरकार कटघरे में खड़ी हो जाती है , नेता धरना प्रदर्शन करने लगते है । वही वनांचल क्षेत्रो में हफ़्तों लाइट बन्द रहती है , कोई गरीब आदिवासी सुविधाओ के आभाव में दम तोड़ देता है किसी के कानों में जूं तक नही रेंगती , हाँ ये जरूर होता है कि इनकी मौत पर नेता राजनीती की द...