वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल किसको दूं किसको छोड़ूं एक बड़ा सा गिफ्ट जाने कौन बैठे कुर्सी पे और करेगा शिफ्ट
जवाहर नागदेव वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक mo. 9522170700
यही तो मौका होता है जब किसी को पटाने के लिये प्रयास किया जाता है। तोहफा लेकर घर पहंुचा जाता है और चरण छोटा हो या बड़ा चरणों पर लोटकर वफा का इजहार किया जाता है। नये वर्ष में नया तोहफा तो बनता है। जितना बड़ा आदमी और जितना बड़ा स्वार्थ उतना बड़ा तोहफा। खासतौर पर अधिकारियों के लिये ये मौके खास होते हैं।
‘आका के लिये है
हाथों में कीमती सामान
मतलब साधने चेहरे पर
बनावटी मुस्कान
बनावटी मुस्कान
हृदय में भरपूर कुटिलता
तभी तो भैया मतलब का माल है मिलता’
बड़ा ही धर्मसंकट होता है अधिकारियों के लिये। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब कुछ पता नहीं चल पा रहा कि कौन पाएगा सत्ता और बैठेगा कुर्सी पर। बिचारे बड़े बौखला से रहे हैं। दोनों ही पार्टियों में टसल है। मुकाबला है। उपर से टीएस सिंहदेव साहब ने और भी ‘कन्फ्यूजन किरिएट’ कर दिया हैै। खुद सी...