कृषि विरोधी तीन विधेयक : किसानों उपभोक्ताओं की तबाही का घोषणा पत्र
आलेख : संजय पराते
हमारे देश की आज़ादी से पहले का इतिहास है अंग्रेजी उपनिवेशवाद के अधीन नील की खेती का और गांधीजी का इसके खिलाफ संघर्ष का. यह इतिहास स्वाधीनता-पूर्व उन दुर्भिक्षों से भी जुड़ता है, जो भारत ने भुगता-भोगा था. लाखों लोगों के भूख से मरने की कहानियां अभी भी हमारी स्मृतियों से बाहर नहीं हुई हैं, जबकि लाखों टन अनाज उस समय भी सरकारी गोदामों में भरे पड़े थे. तब नेहरूजी की नई स्वाधीन सरकार ने कृषि के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता की नीतियों को अपनाने की घोषणा की थी.
आत्म-निर्भरता की इन नीतियों की तीन बुनियादी बातें थीं : भूमि सुधार और किसानों को खेती के कच्चे माल के लिए सब्सिडी; समर्थन मूल्य पर उसके अनाज की खरीदी और उसके भंडारण की व्यवस्था तथा इस अनाज का राशन दुकानों के जरिये आम जनता में वितरण. इसका प्रभाव स्पष्ट था. खेती-किसानी की लागत कम हुई और खाद्यान्न उत्पादन के मामले में देश आत्...