Thursday, March 28

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम ,,, सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल ,,मोदी का नाम या भूपेश का काम ,,,नये होंगे मैदान में, पुरानों को आराम

                @ जवाहर नागदेव                                     वरिष्ठ पत्रकार,चिंतक,लेखक, विश्लेषक

 

कुछ ही दिन पहले जब स्मृति ईरानी प्रदेश में आई थीं तो उनके साथ जीप में सरोज पाण्डे को जगह नहीं दी गयी थी। ऐसा जानबूझकर किया गया। ऐसी अनेक बातें हैं जो परिवर्तन की ओर इशारा करती हैं। तो अगर गुजरात फार्मूला छत्तीसगढ़ में भी लागू किया गया तो क्या होगा, ये चिन्ता भाजपा के नेताओं को खाए जा रही है। हालांकि सभी ने अपने मन को मजबूत कर लिया है लेकिन फिर भी दिल है कि मानता नहीं। इससे पहले भी भाजपा की प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी जब यहां पर आती थीं तो अपने साथ पुराने चेहरों के ले जाने से परहेज करती थीं। उन्होंने जाहिर कर दिया था कि अब पुरानी परिपाटी पे भाजपा नहीं चलेगी। किसी एक का अधिकार नहीं होगा। परिवर्तन होगा। और अब गुजरात ने इस बात पर सील लगा दी। गुजरात में चूनाव से चौदह महीने पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत 22 मंत्रियों को हटा दिया गया। इतना ही नहीं चुनाव में भी सारे नये चेहरे उतारे गये। 182 में से 103 चेहरे नये थे जिससे एन्टी इन्कम्बैन्सी का खतरा टलता दिखा। पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व उप मुख्यमंत्री, 5 अन्य मंत्री और 38 विधायको के टिकट काट दिये गये। 156 सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाने के पीछे मुख्यमंत्री सहित 22 मंत्रियों को हटाने का रिकॉर्ड भी था।
भानुप्रतापपुर उपचुनाव की हार के बाद तो ये अति आवश्यक समझा जा रहा है। यूं भी भाजपा उपचुनावों मंे लगातार हार का सामना कर रही है। अब ये समझना कठिन है कि विधारसभा चुनावों में मोदीजी का नाम चलेगा कि भूपेश बघेल का काम बोलेगा। वरना स्थानीय स्तर पर भाजपा का काम कोई विशेष उल्लेखनीय नहीं है।

बजाने में माहिर हैं मोदी
ढोल हो या कोई विरोधी
वन्देभारत मेट्रो के उद्घाटन के अवसर पर मोदीजी ने ढोल बजाने वाले से लकड़ी लेकर खुद भी ढोल बजाया। लोग खुश हुए लेकिन आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि मोदी जी बजाने मंे माहिर हैं और अपने विरोधियों की लगातार बैण्ड बजाते रहे हैं। मोदीजी ने कहा सो किया। इच्छाशक्ति जाहिर है। एक नयी उपलब्धि के तौर पर वन्देभारत ट्रेन शुरू की गयी है जिसमें रायपुर से नागपुर जाने मे केवल 4 घन्टे लगेंगे।
जान के बदले जेल तो भेजो
दुर्ग में नेशनल हाईवे में एक ब्रिज से एक बाईक नीचे गिर गयी जिससे पति-पत्नी की मौत हो गयी और बच्ची घायल हो गयी। एक घंटे बाद एक कार गिर गयी जिसके एयरबैग खुल जाने से चालक की जान बच सकी। घटनास्थल पर कोई निर्देश या बैरीकेटस् नहीं थे जिससे चालकों को कोई संकेेत मिलता की आगे रास्ता नहीं है और काम चालू है। इन दुर्घटनाआंे के लिये कौन जवाबदार हैं ? क्या घूस लेकर ठेके देने वाले संबंधित अधिकारियों को सजा मिलेगी ? जान लेने के बदले कम से कम जेल तो भेजो इनको। लेकिन ऐसा होगा नहीं कि हमारे यहां ‘सरकारी’ को सजा नहीं मिलती। कायदा और सजा केवल आम आदमी के लिये होती है।
यहां तो आलम ये है कि ऐसे ही दो स्थानों पर और डायवर्शन है जहां संकेतक नहीं लगे हैं और बेखौफ अफसर/ठेकेदार निश्चिंत बैठे हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक उनके सर पर जूं नहीं रेंग रही। आशिकी के बहाने सफाई

ये कहानी आधी सच्ची है। यानि अर्धस्त्य। तथ्य सही हैं बाकी मिर्च-मसाला है। एक पुराने कांग्रेसी ने पिछले कई महीनों से अपने परिचित भाजपा नेता के चक्कर लगाए। लगाते रहे.. लगाते रहे… लगाते रहे…. कि उन्हें भाजपा मे सम्मानजनक प्रवेश मिल जाए (यानि चुनाव में टिकट मिल जाए)। आखिर एक दिन केन्द्र के वरिष्ठ नेता के सामने गाजे-बाजे के साथ उन्हें प्रवेश मिल ही गया। जोरों से ढोल बजाए गये। केन्द्र के नेता ने उन्हें गले से लगाया और उनके भाजपा प्रवेशको उपलब्धि बताया। वक्त के साथ-साथ नवागंतुक पुराने कांग्रेसी नये भाजपा नेता ने कंेद्र के नेता की खूब सेवा की। हर कार्यक्रम में सहयोग और व्यवस्थाएं आदि… आदि…। केंद्र के नेता भी बड़े ही आत्मीय भाव से मिलते, तारीफ करतें। इनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता। साथ ही टिकट मिलने का विश्वास भी चौड़ा हो जाता।
ल्ेकिन जब टिकट बंटी तो इनकी ‘कटी’ यानि नहीं मिली जबकि जेब पूरी तरह ‘कटी’। ये बेहद मायूस हो गये। इतनी सेवा, इतना खर्चा, इतना अपनापन इतना विश्वास, वो सब क्या ढांेग था ? तब किसी पुराने भाजपाई ने जो खुद भी कभी टिकट का दावेदार था, रहस्य खोला। उसके एक कहानी बताई कि ‘एक शादीशुदा महिला ने एक दूर के परिचित को आशिकी के लिये घर बुलाया कहा कि पति बाहर गये हैं, दो दिन बाद आएंगे तुम आ जाओ। जब आशिक पहुंचा तो एकाएक पति भी आ गया। तब महिला ने आशिक को कपड़ा देकर सफाई में लगा दिया और पति से कहा कि घर गंदा हो गया था न तो दिहाड़ी पे इसे बुलवा लिया था घर की सफाई के लिये। पति ने विश्वास कर लिया और आराम से चार घंटे तक खुद खड़े होकर कोने-कोने की सफाई करवा ली और शाम को छोड़ा। यहां तक कि जब पति ने पैसे देने चाहे तो महिला ने कह दिया पैसे रहने दो मैने दे दिये हैं। पुराने भाजपाई ने कहा कि भैया हम लोग वही आशिक हैं, जो टिकट के लालच में यहां आए हैं बाकी तुम खुद समझदार हो….

एप्लाई नहीं किया पर बेरोजगारी है

यूपी मथुरा में एक रिपोर्टर रिपोर्टिंग के दौरान एक युवक से बात करता दिखा। उसने अपने वीडियो में उस युवक को दिखाया। युवक ने अपना नाम शाहिद बताया, युवक योगीजी के घोर विरोध में था। क्यों पूछने पर उसने इसका कारण बेरोजगारी को बताया। पत्रकार ने पूछा ‘कितने भाई-बहन हैं’ उसने बताया ‘सात’। युवक से पूरी जानकारी मिली उसके अनुसार भरे-पूरे परिवार में रहने वाला युवक बारवीं पास कर चुका था और बेरोजगारी से त्रस्त था। पत्रकार ने पूछा कि आपने आगे पढ़ाई क्यों नहीं की तो वो कोई जवाब नहीं दे पाया और कहां-कहां नौकरी के लिये एप्लाई किया है तो उसका जवाब था ‘अभी तक कहीं नहीं’। एक तो पास है बारवीं, एप्लाई कहीं किया नहीं… लेकिन ये घोषणा करते नहीं हिचकिचाया कि ‘बेरोजगारी है’।

छत्तीसगढ़ के अफसर चेतें
क्योंकि ये समय चक्र है

खुश होने की बात है भ्रष्टाचारी को सजा मिली है। लेकिन उससे भी अधिक सावधान होने की जरूरत है। डरने की जरूरत है। ईश्वर से प्रार्थना करने की जरूरत है कि हमें इस कुचक्र से दूर रखे। लालू यादव जो एक समय में सर्वशक्तिमान थे। उनके इशारे पर सरकारें हिलने लगती थीं। प्रधानमंत्री तक नतमस्तक रहा करते थे। एक सजा काटके आए हैं। दरवाजे पर दूसरी तैयार खड़ी है। पांच साल की फिर लग गयी। भविष्य में और भी लगेंगी। कहावत हो गया। जीवन के अंत समय में ऐसी उपेक्षा ही नहीं अपमान भी, अकेलापन, सोच, बेचैनी। ईश्वर किसी को ऐसा अंत न दिखाए। जरूरी है कि देश के नेता और अधिकारी संभलें। पैसों की खातिर अपने मुकाम से, इंसानियत से गिर न जाएं। क्योंकि ये तो समयचक्र है। आज उपर कल नीचे। जो आज उपर अर्श पर पहुंचाता है तो कल पटकनी देगा और जेल पहुंचा देगा। छत्तीसगढ़ में भी दोनों हाथों से लूट मचाने वाले चेत जाएं।
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मिर्च-मसाला
आदमी एक और दुल्हन दो – बहुत बेइंसाफी है ये। आदमी मुसलमान नहीं है तो बहुत बेइंसाफी है। क्यांेकि मुसलमान को चार शादियों का हक है हिन्दु को नहीं। हिन्दु एक से अधिक शादी नही ंकर सकता चाहे इसमें लड़कियों की सहमति ही क्यों न हो। सोलापुर महाराष्ट्र में पढ़ी-लिखी आईटी एक्सपर्ट दो लड़कियांे ने एक ट्रैव्हेल एजेंट के साथ शादी कर ली। साथ ही ये भी बता दें कि रायपुर मेडीकल कॉलेज से दो बहनें जो जुड़वा हैं एक साथ डॉक्टर बनकर निकली हैं ये इसलिये बताया जा रहा है ंकि एक ही दूल्हे से शादी करने वाली लड़किया भी जुड़वा बहनें हैं ओर कम्प्यूटर इंजीनियर हैं। ये दोनों दोस्तों की तरह रहती हैं और एक दूसरे के साथ रहना चाहतेी हैं लेकिन बुरा हो पुलिस का जिसने विधान-विरूद्ध होने का दम भरकर दूल्हे को धर लिया।
भागो भूत आया – किसी नौजवान से पूछो कि भूत को मानता है क्या तो तुनककर बहादुरी दिखाते हुए नकार देगा। लेकिन किसी भूतिया वातावरण में उसकी जान सूख जाएगी। छत्तीसगढ़ मंे चुड़ैल के अस्तित्व पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है। इसे अंधविश्वास मानकर कुछ संस्थाएं काम कर रही हैं और जनजागृति अभियान चला रही हैं। कदाचित् विदेशी इस मुद्दे पर हंसते भी हों। लेकिन थमिये… स्विट्जरलैण्ड, नार्वे और स्काटलैण्ड की संसद ने बकायदा संसद में प्रस्ताव पास कर डायन-चुड़ैल को मान्यता दी है और इस प्रताड़ना से इलाज के लिये प्रस्ताव पारित करने वाले हैं।
अधिक मतदान के मायने – नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आमतौर पर नक्सली चुनाव को प्रभावित करने के उद्देश्य से हिंसा करते हैं। चुनाव बाद भी लोगों को मारते रहते हैं। इससे लोगों में डर बना रहता है। भानुप्रतापपुर के चुनाव में नक्सली क्षेत्रों में सामान्य या कम मतदान हुआ और जबकि अति संवेदनशील क्षेत्रों में रिकॉर्ड मतदान हुआ याने सामान्य से बहुत अधिक। इसका अर्थ क्या है ? लगता है कि वहां के लोगों ने अब नक्सली मुखालफत को अपना लिया है। मन से डर को निकाल दिया है और सिस्टम से जुड़कर काम करने में लग गये हैं।

Senior Journalist, Writer, Thinker, Analyst

   

 

 

 

 

 

 

 

 

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