छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राज्योत्सव के मंच से*.*••• पेंशनरों को मध्यप्रदेश से 22 वर्षो के आर्थिक गुलामी से मुक्त कराने एवं धारा 49 को हटाने की घोषणा कर बुजुर्ग पेंशनरों के साथ न्याय करने की मांग

*भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामन्त्री एवं छत्तीसगढ़ राज्य सँयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने मुख्यमन्त्री कार्यालय व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ट्वीट कर राज्योत्सव के मंच से छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस 1 नवम्बर के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के पेंशनरों को मध्यप्रदेश सरकार के 22 वर्षो की आर्थिक गुलामी से मुक्ति दिलाने की घोषणा कर बुजुर्ग पेंशनरों के साथ न्याय करने का आग्रह किया है और उन पर पेंशनरो के महँगाई राहत भत्ता तथा अन्य आर्थिक स्वत्वों के भुगतान में बाधक मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 को हटाने की मांग की है।

जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से पेंशनरों हित मे लगभग इन 22 वर्षो में किसी सरकार ने इस मामले को लेकर कुछ नहीं किया। अधिकतम समय तक दोनों ही राज्यो में भाजपा की सरकारें सत्ता पर काबिज रही। इसलिए वे आपसी मिलीभगत में पेंशनरी दायित्वों के विभाजन को अनदेखा करते रहे। परन्तु चार साल पूर्व कांग्रेस सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार से पेंशनरों की बहुत आशाएं थी जो इन बीते वर्षो में पूरी तरह धूमिल हो गया है। सरकार के आँख,नाक,कान का काम करने वाले ब्यूरोक्रेट्स 22 वर्षो से पेंशनरों के मामले में गहरी नींद में होने कारण राज्य पुनर्गठन अधिनियम धारा 49 को विलोपित करने की दिशा में कोई भी कार्यवाही करने की कवायद अब तक नही की है और न ही इस गम्भीर विषय पर तब भी और अब भी मुख्यमंत्री को इस समस्या की समाधान पर शायद ही अवगत कराया गया हो। इसलिये छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से पेंशनरों की प्रमुख समस्या राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत पेंशनरी दायित्वों का बंटवारा नही होने से हर आर्थिक भुगतान के लिये मध्यप्रदेश शासन से सहमति लेना अनिवार्य मजबूरी बना हुआ है और बढ़ती महंगाई को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ आंदोलनकारी कांग्रेस की छत्तीसगढ़ में सरकार है जो पेंशनरो की महंगाई राहत की राशि की किस्त 10 प्रतिशत को अबतक दबाए बैठी है,जो अब केंद्र में 38 प्रतिशत हो गया है और इसे देश के बहुतायत राज्य भी अपने राज्य में लागू कर पेंशनरो को भुगतान भी कर चुके हैं मगर छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग सवा लाख से अधिक पेन्शनर व परिवार पेंशनर महंगाई से त्रस्त दोनों राज्य सरकारों के बेरुखी के बीच पिसा जा रहा है।

जारी विज्ञप्ति में पेन्शनर फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव एवं फेडरेशन के घटक संगठन के क्रमशः छत्तीसगढ़ प्रगतिशील पेन्शनर कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष आर पी शर्मा, पेंशनर्स एसोशियेशन छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष यशवन्त देवान, छत्तीसगढ़ पेंशनधारी कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ डी पी मनहर, राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश मिश्रा, पेंशनर समाज के अध्यक्ष ओ पी भट्ट, तथा वरिष्ठ नागरिक परिसंघ के संयोजक अनूप श्रीवास्तव आदि ने आगे बताया है कि भूपेश सरकार में आज तक पेंशनरो के छठवें और सातवें वेतनमान के एरियर देने का मामला लटका पड़ा है और बढ़ती महंगाई को लेकर केंद्र के मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल आंदोलन कर रही कांग्रेस की नम्बर वन भूपेश बघेल सरकार बुजुर्ग पेंशनरों को तरसा तरसा कर महंगाई राहत दे रही है.परंतु केन्द्र के समान घोषित कुल 38 प्रतिशत महँगाई राहत की राशि को अभी भी अटका कर रखे हुए है.

यह भी उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ शासन के बीच पेंशनरी दायित्व के बंटवारे से मध्यप्रदेश सरकार को आर्थिक हानि होना है,इसलिए मध्यप्रदेश शासन 22वर्षो से जानबूझकर टालती आ रही हैं और चूंकि दोनों ही राज्यों में पूर्व में एक ही राजनीतिक दलों की सरकार होने से मिलीभगत के कारण मामलें का जानबूझकर निराकरण नही किया गया परन्तु अब वर्तमान में मध्यप्रदेश में भाजपा की और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी बंटवारे का मामला क्यों लंबित है, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ हैं जबकि पेंशनरी दायित्वों का बंटवारा नहीं होने से छत्तीसगढ़ शासन को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, इस महत्वपूर्ण मामले से राज्य में जिम्मेदार ब्यूरोक्रेट्स द्वारा भूपेश सरकार को अंधेरे में रखे हुए है और राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे है।

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