उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में पुस्तकालय महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालय के विकास से समाज और संस्कृति का विकास होता है
डिजिटल लाइब्रेरी पहल बाधाओं को दूर करती है, सभी नागरिकों को ज्ञान तक पहुंच प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाती है: उपराष्ट्रपति
पुस्तकालय महोत्सव भारत में पुस्तकालयों के विकास के इतिहास में एक नये अध्याय का प्रतीक है: श्रीमती मीनाक्षी लेखी
‘आजादी अमृत महोत्सव’ के दूसरे चरण का हिस्सा पुस्तकालय महोत्सव पढ़ने की संस्कृति को प्रेरित करते हुए भारत में पुस्तकालयों के विकास और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है।
आज पुस्तकालय महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित करते हुए श्री धनखड़ ने सचेत नागरिक को किसी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सबसे बड़ी ताकत बताया। इस बात पर जोर देते हुए कि केवल एक सचेत नागरिक ही राष्ट्र-विरोधी ताकतों और नैरेटिव को बेअसर कर सकता है, उन्होंने कहा कि सचेत नागरिक का दर्जा हासिल करने के लिए पुस्तकालय सर्वश्रेष्ठ हैं।
श्री धनखड़ ने इस दूरदर्शी पहल के लिए संस्कृति मंत्रालय की सराहना करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि इससे देश में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा “पुस्तकालय के विकास से समाज और संस्कृति का विकास होता है। यह सभ्यताओं और संस्कृतियों की प्रगति का भी एक पैमाना है।” पुस्तकालयों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल लाइब्रेरी पहल बाधाओं को दूर करती है, सभी नागरिकों को ज्ञान तक पहुंच प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाती है। सभ्यागत विकास में बदलाव के लिए शिक्षा ही एकमात्र परिवर्तनकारी तंत्र है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लेखन पर आधारित एक कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया, जिस पर औपनिवेशिक शासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया था। कॉफी टेबल बुक को हमारे संविधान और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे “स्वतंत्रता के लिए, हमारे मूल्यों के लिए भारतीय प्रतिभा का सबसे प्रामाणिक रिकॉर्ड’ बताया। यह आपको वह उपलब्ध कराता है जो आपसे छिपाया गया था और जो निषिद्ध था।” देश की आजादी के लिए हमारे पूर्वजों द्वारा दिए गए अनगिनत बलिदानों को याद करते हुए उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से प्रत्येक बच्चे को इस अनूठी पुस्तक को पढ़ने के लिए प्रेरित करने को कहा।
उपराष्ट्रपति का पूरा संबोधन देखने के लिए यहां क्लिक करें
इस अवसर पर श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को शुरू से ही पढ़ने की आदत डालें ताकि वे बुरी संगति में न फंसे। श्रीमती लेखी ने कहा कि पढ़ने से बच्चों को बेहतर इंसान और भविष्य के भारत का बेहतर नागरिक बनाने में मदद मिलेगी। पुस्तकालयों के डिजिटलीकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि डिजिटलीकरण से लोगों की पुस्तकालयों तक बेहतर पहुंच होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पुस्तकालय महोत्सव भारत में पुस्तकालयों के विकास के इतिहास में एक नये अध्याय का प्रतीक है।
पुस्तकालय महोत्सव 2023 ने विश्व भर के प्रतिष्ठित पुस्तकालयों को प्रदर्शित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया, जिससे भारत में पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण पर सार्थक संवाद आरंभ हुए। लाइब्रेरियन, शिक्षाविदों, जिला कलेक्टरों और मॉडल पुस्तकालयों के निदेशकों सहित विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को एकजुट करने के माध्यम से इस कार्यक्रम ने यहां तक कि गांवों और समुदायों तक पहुंचने समेत, सभी स्तरों पर मॉडल पुस्तकालयों को विकसित करने के लिए कार्रवाई योग्य नीतियों के निर्माण की सुविधा प्रदान की।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने कहा, “पुस्तकालय महोत्सव 2023 को विश्व भर के पुस्तकालयों से सर्वोत्तम प्रथाओं और विचारों को साझा करने के लिए एक सहयोगी मंच बनाने में असीम सफलता मिली है। हम पूरे भारत में पुस्तकालयों को पुनर्जीवित और डिजिटल बनाने के लिए इन चर्चाओं के परिणामों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस पहल के माध्यम से, हमारा लक्ष्य ऐसे पुस्तकालयों का निर्माण करना है जो न केवल ज्ञान के भंडार हैं, बल्कि जीवंत स्थान भी हैं जो रचनात्मकता, अनुसंधान और सामुदायिक जुड़ाव को प्रेरित करते हैं।
महोत्सव में बिब्लियो-ऑन-डिमांड सर्विस, पुस्तकालय रैंकिंग फ्रेमवर्क, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की आधुनिकीकरण परियोजना, दिल्ली में पुस्तकालयों की निर्देशिका, प्रतिबंधित साहित्य पर कॉफी टेबल बुक सहित अन्य का शुभारंभ भी किया गया।
कृपया बिब्लियो-ऑन-डिमांड पर विवरण के लिए यहां क्लिक करें
इस महोत्सव में आकर्षक गतिविधियों की एक विविध श्रृंखला शामिल थी, जिसमें गोलमेज चर्चा, संवादमूलक पैनल और साहित्यिक समारोहों के आयोजकों, युवा लेखकों और प्रकाशन घरानों के साथ अंतर्दृष्टि व्यावहारिक बातचीत शामिल थी। पुस्तकालय विकास के लिए योजनाओं की खोज के लिए विशेष सत्र समर्पित किए गए थे, जिसमें पुस्तकालयों, पांडुलिपियों और अभिलेखागारों पर राष्ट्रीय मिशन शामिल थे।
दूसरे दिन, महोत्सव में कई प्रमुख आयोजन हुए जिन्होंने पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण पर चर्चा को समृद्ध किया। पुस्तकालयों की बहाली और आधुनिकीकरण में शामिल वास्तुकारों के साथ एक पैनल चर्चा में विरासत भवनों को समुदाय के लिए जीवंत स्थानों में रूपांतरित करने के दौरान आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया गया। इसके अतिरिक्त, पुस्तकालय नीतियों और विकास पर अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोणों की एक पैनल चर्चा, जिसमें चुनिंदा जी-20 और एससीओ देशों के लाइब्रेरियन शामिल थे, के माध्यम से खोज की गई। महोत्सव में विभिन्न प्रकाशन घरानों और पुस्तकालयों के बीच चर्चा की सुविधा प्रदान करने के द्वारा पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया, जिसका उद्देश्य देश में बेहतर संग्रहों का निर्माण करना और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना है।
पुस्तकालय महोत्सव में अभिलेखागार और मौखिक इतिहासों के माध्यम से इतिहास और ज्ञान को संरक्षित करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया। एक पैनल चर्चा में रेखांकित किया गया किस प्रकार कॉरपोरेट और व्यक्तिगत संगठन सक्रिय रूप से अभिलेखागार का निर्माण कर रहे हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, साहित्यिक घरानों और रिट्रीट पर प्रभावकारी प्लेटफार्मों के रूप में चर्चा की गई, जो लेखन और प्रकाशन को बढ़ावा देते हैं। इन सत्रों में रचनात्मक विचारों को पोषित करने और पूरे भारत में साहित्यिक प्रतिभाओं को बढ़ावा देने में साहित्यिक स्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया।
पुस्तकालय महोत्सव 2023 ने ज्ञान और संस्कृति के महत्वपूर्ण भंडार के रूप में पुस्तकालयों के महत्व को रेखांकित करते हुए सभी प्रतिभागियों पर एक स्थायी प्रभाव डाला। इसने भारत की प्रगतिशील दृष्टि के अनुरूप पुस्तकालयों को सीखने और बौद्धिक आदान-प्रदान के गतिशील केंद्रों में पुनर्जीवित करने के लिए एक साझे दृढ़ संकल्प को प्रेरित किया है। इस कार्यक्रम के समापन के साथ, राष्ट्र उत्सुकता से इस महोत्सव से प्राप्त मूल्यवान अनुशंसाओं और अंतर्दृष्टि को लागू किए जाने की अपेक्षा करता है। भारत सरकार का अटूट समर्पण, जिसका उदाहरण राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन है, देश भर में पुस्तकालयों को बढ़ाने और पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
***