कांकेर में गृहमंत्री की सभा हुई। अपनी बेबाक, स्पष्ट और चैलंेजिंग वाकशैली के लिये प्रसिद्ध कंेद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को खरी-खरी सुनाई। एक ज्वलंत मुद्दा जिसे कांग्रेस ने प्लेट में परोस कर भाजपा को दिया है और जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक ने बेहद गंभीरता के साथ उठाया, को भुनाने में भी शाह ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
शाह ने जनता से ही पूछ लिया कि क्या कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में संपत्ति का सर्वे कराने की बात नहीं कही है और सर्वे कराकर संख्या के आधार पर संपत्ति गरीबों में बांटने की बात नहीं कही है।
ज्ञातव्य है कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में संपत्तियों का सर्वे कराकर जिसकी जितनी आबादी होगी उस अनुपात में बांटने की बात कहकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। भाजपा ने इसे हथियार बना लिया और बेहद सटीक तरीके से इससे कांग्रेस पर वार पर वार चालू कर दिये।
कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने कहा था
देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है
मोदी और शाह की बात को बल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंग के उस बयान से मिलता है जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है’। भाजपा के नेता सारे देश में बार-बार इस बात को उठाते हैं। मनमोहन सिंग के बयान और अब कांग्रेस के घोषणापत्र से भाजपा नेता देश को ये बात समझाने में कामयाब हो गये हैं कि यदि कांग्रेस जीत जाती है तो देश के हिंदुओं की जायदाद, नगद और जेवतरात लेकर उन्हें मुसलमानों में बांट देगी।
अमित शाह ने अपने भाषण में इस बात का उल्लेख किया कि कांग्रेस की नजर आपके मठों और मंदिरों की संपत्ति पर है। यहां यह बताना जरूरी है कि देश के मंदिरों की संपत्ति पर सरकारों का हक होता है और मस्जिदों के धन पर मस्जिद कमेटियों का। यानि मंदिरों का धन सरकार अपने अधिकार में ले लेती है। यह पक्षपात्पूर्ण कानून आजादी के बाद से ही लागू है जिसे हटाने की कई बार मांग उठ चुकी है।
वक्फ बोर्ड की जांच की बात से
कांग्रेस को कष्ट
शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच की बात कहने से कांग्रेस को मिर्ची लगने की बात कही। वक्फ बोर्ड के बारे में बता दें कि देश में मुसलमानों की वक्फ कमेटी है जो देश की किसी भी संपत्ति पर अपना हक जमाने के लिये अधिकृत है।
कमेटी ने जब भी किसी संपत्ति पर अपना हक जमाया तो उसकी शिकायत का अधिकार भी संपत्ति के मालिक को नहीं होगा, उसकी रिपोर्ट भी नहीं होगी। उसकी शिकायत संपत्ति का मालिक केवल वक्फ कमेटी के समक्ष ही कर सकता है। देश की कोई कोर्ट भी इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकती। भाजपा ने इस कानून को और वक्फ कमेटियों पर अंकुश लगाने की बात कई बार की है।
इसके अलावा कांग्रेस ने शरिया कानून लागू करने की बात भी की है। ये बता दें कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता एकके एंटोनी ने साफ तौर पर ये स्वीकार किया था कि ‘कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण तुष्टिकरण की राजनीति है’। बावजूद इसके कांग्रेस की नीति में कोई सुधार नहीं हो रहा।
आज भी कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण से बाज नहीं आ रही है। कदाचित् कांग्रेस को ये समझ आ गया है कि हिंदु उसके हाथ से छिटक चुके हैं और अब डूबते को तिनके का सहारा मुसलमान ही हैं।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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