छत्तीसगढ़: अधिकारियों कर्मचारियों की अनिश्तिकालीन हड़ताल समाप्त

रायपुर. छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ते (डीए) और मकान किराया भत्ता (एचआरए) में वृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों ने शुक्रवार को अपना आंदोलन वापस ले लिया. राज्य के कृषि मंत्री रंिवद्र चौबे की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ (सीकेएएम) के पदाधिकारियों ने एक संवाददाता सम्मेलन में हड़ताल वापस लेने की घोषणा की.

महासंघ के क्षेत्रीय संयोजक कमल वर्मा ने इस दौरान कहा, ‘‘राज्य सरकार द्वारा हमारी विभिन्न मांगों पर सहमति जताने के बाद हमने हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है.‘‘ वर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने पिछले महीने डीए में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी, इससे डीए 28 प्रतिशत हो गया है. बढ़े हुए डीए का भुगतान इस वर्ष एक अगस्त से किया जाना था, लेकिन महासंघ की मांग को देखते हुए अब इसे पिछले वर्ष जुलाई माह से दिया जाएगा.

वर्मा ने बताया कि इसके अलावा राज्य सरकार ने इस वर्ष दीवाली से डीए में तीन प्रतिशत अतिरिक्त वृद्धि करने पर सहमति जताई है. इससे डीए 31 प्रतिशत हो जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एचआरए की मांग को पूरा करने के लिए एक समिति गठित करने का भी आश्वासन दिया है. एचआरए को वर्ष 2016 से संशोधित नहीं किया गया है.

इस दौरान मंत्री चौबे ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने महासंघ की अधिकांश मांगों पर सहमति जताई है. भविष्य में राज्य सरकार कर्मचारियों और अधिकारियों के हित में सभी आवश्यक निर्णय लेगी. इस संबंध में आश्वासन मिलने के बाद महासंघ धरना समाप्त करने को तैयार हो गया. मैं इसके लिए कमल वर्मा और महासंघ के अन्य पदाधिकारियों का आभार व्यक्त करता हूं.‘‘

राज्य सरकार के चार लाख से अधिक कर्मचारी और अधिकारी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) और मकान किराया भत्ता (एचआरए) में बढ़ोतरी की मांग को लेकर 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे. अधिकारियों और कर्मचारियों की हड़ताल के कारण अधिकांश कार्यालयों में कामकाज ठप हो गया था तथा आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. राज्य सरकार ने 16 अगस्त को सरकारी कर्मचारियों के डीए में छह फीसदी की बढ़ोतरी कर इसे 28 फीसदी करने की घोषणा की थी. अधिकारियों और कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि एक या दो सितंबर तक काम पर नहीं लौटने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

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