उन्होंने कुशल नीति निर्माण और सुधारों के कार्यान्वयन हेतु कर्मियों से अपने कौशल को उन्नत करने का आह्वान किया
नागरिक सेवाओं को शासन का स्टील फ्रेम बताते हुए, रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयासों और सैनिकों के कल्याण में किये जाने वाले योगदानों सहित विभिन्न जारी कार्यों को आगे बढ़ाने में एएफएचक्यू कर्मियों के समर्पण और कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा, “आप सशस्त्र बलों और बाकी नागरिक सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। बेहतर दक्षता के लिए अपनी क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।”
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि तीनों सेनाएं रक्षा मंत्रालय के कामकाज का एक बड़ा हिस्सा हैं और एएफएचक्यू कैडर यह सुनिश्चित करता है कि ‘समूह-सोच’ की संभावना, जिसके परिणामस्वरूप खराब निर्णय लिए जाने की आशंका होती है, नीति निर्माण के क्रम में नकार दी जायें। उन्होंने कहा, “पिछले पांच वर्षों के दौरान रक्षा मंत्रालय में अभूतपूर्व सुधार किए गए हैं और विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हमारी उपलब्धियों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। यह टीम वर्क के कारण संभव हुआ है। सशस्त्र बलों और नागरिक सेवाओं को बेहतर परिणाम के लिए कमांड मुख्यालय एवं सेवा मुख्यालय से लेकर मंत्रालय स्तर तक मिलकर काम करना चाहिए। रक्षा मंत्रालय में एएफएचक्यू नागरिक सेवा के अधिकारियों को प्रमुख भूमिकाओं में शामिल करने से निर्णय की गुणवत्ता बेहतर होगी।”
रक्षा मंत्री ने रक्षा विभाग से एएफएचक्यू नागरिक सेवा के कर्मियों की करियर में बेहतर प्रगति की संभावनाएं तलाशने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे उनकी क्षमताएं बढ़ेंगी, उनके करियर में प्रगति बेहतर होगी और ये कर्मी हमारी रक्षा प्रणाली को मजबूत करते हुए सशस्त्र बलों को बेहतर सहायता प्रदान करने में सक्षम होंगे। बेहतर कैरियर प्रगति सुनिश्चित करने से एएफएचक्यू नागरिक सेवा की ओर सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं भी आकर्षित होंगी।”
श्री राजनाथ सिंह ने कर्मियों से ईमानदारी, अनुशासन और एकरूपता के मूल मूल्यों पर ध्यान देने का आह्वान किया। उनका विचार था कि हर व्यक्ति सम्मान का हकदार है, चाहे उसकी हैसियत या पद कुछ भी हो। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अहंकार को त्यागना चाहिए और कर्मियों को एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने एक-दूसरे से सीखने का आह्वान किया, जिससे कठिन कार्य को भी पूरा करना आसान हो जाता है।
इस अवसर पर रक्षा राज्यमंत्री श्री संजय सेठ; थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी; नौसेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी; वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी; सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) डॉ. नितेन चंद्रा; रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ नागरिक व सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।
एएफएचक्यू दिवस हर साल 1 अगस्त को उन कर्मियों की भूमिका को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है जो मुख्य रूप से तीन एकीकृत सेना मुख्यालयों; एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय के 24 अंतर-सेवा संगठनों में सैन्य कर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। इसका उद्देश्य एएफएचक्यू कैडरों के उन नागरिक कर्मचारियों की समूह भावना को बढ़ावा देना है, जो शांति एवं युद्ध, दोनों काल के दौरान सेना मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय के बीच एक सेतु की भूमिका निभाते हैं।
एएफएचक्यू कैडर की नींव 01 अगस्त, 1942 को मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के नियंत्रण में रक्षा मंत्रालय एवं वित्त (रक्षा) के विभिन्न सेवा मुख्यालयों व सचिवालय के तहत अलग-अलग संस्थाओं के रूप में तत्कालीन समय में विकेन्द्रीकृत नागरिक पदों/कैडर संचालन को व्यवस्थित करके रखी गई थी।