छह साल में आठ टेस्ट खेलकर टीम से अंदर-बाहर होने वाले कुलदीप यादव को एकबार फिर प्लेइंग इलेवन से दरकिनार कर दिया गया है। बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे और निर्णायक टेस्ट में जयदेव उनादकट को मौका मिला है।
- भारत-बांग्लादेश के बीच आज से दूसरा टेस्ट
- स्पिनर कुलदीप यादव प्लेइंग XI से बाहर
- पिछले मुकाबले में मैन ऑफ द मैच चुने गए थे
- कुलदीप की जगह जयदेव उनादकट को मौका
- नमी भरी पिच से पेसर्स को मदद की उम्मीद
इस मैच के लिए टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में दो स्पिनर हैं और दोनों का गेंदबाजी स्टाइल अलग है। अश्विन दाएं हाथ के ऑफ स्पिनर हैं तो अक्षर बाएं हाथ के फिंगर स्पिनर। उमेश यादव, मोहम्मद सिराज और जयदेव उनादकट के रूप में तीन पेसर्स के साथ मैदान पर उतरना भारत का अजीब फैसला है। जब तीसरे दिन के बाद से पिच में टर्न होगी तो एक स्पिनर की जगह सीमर को लाना चौंकाता है। कुलदीप यादव को बाहर करने के इस निर्णय को सही ठहराने का एकमात्र तरीका यह है कि उनादकट पहले सीजन में जरूरी विकेट उखाड़े।
भारतीय टीम में सुभाष गुप्ते, भागवत चंद्रशेखर, अनिल कुंबले जैसे महान कलाई स्पिनर्स हुए, जो टीम इंडिया कोे अकेले अपने दम पर मैच जिताते थे, लेकिन लगता है कि बीते कुछ साल से टीम मैनेजमेंट अपने इस हथियार का इस्तेमाल करना ही नहीं चाहता। जिस तरह आज कुलदीप यादव को मैच विनिंग परफॉर्मेंस के बाद टीम से निकाल दिया गया ठीक उसी तरह 2010 में अमित मिश्रा के साथ भी अन्याय हुआ था। तब बांग्लादेश के ही खिलाफ चटगांव में इस लेग स्पिनर को सात विकेट लेने और अर्धशतक बनाने के बाद मीरपुर में खेले गए अगले टेस्ट से ड्रॉप कर दिया गया था।
कुलदीप यादव ने फरवरी 2017 में भारत के लिए धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था। वह भारत के लिए टेस्ट खेलने वाले पहले बाएं हाथ के कलाई के गेंदबाज थे। 2017 में 2 टेस्ट खेलने के बाद 2018 में उन्हें तीन, 2019 में एक, 2021 में एक और फिर 2022 में एक टेस्ट खेलने का मौका मिला। अब वह फिर बाहर कर दिए गए हैं।