मत्स्य विभाग द्वारा “मत्स्य पालन व जलीय कृषि के लिए बीमा कवरेज” पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजन – IMNB NEWS AGENCY

मत्स्य विभाग द्वारा “मत्स्य पालन व जलीय कृषि के लिए बीमा कवरेज” पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजन

नई दिल्ली (IMNB).

  1. इस वेबिनार में देश भर से 170 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया
  2. कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए
  3. इस कार्यक्रम में व्यावहारिक व जमीनी स्तर के मुद्दों तथा नए बीमा उत्पादों की संभावित कार्ययोजनाओं और विकास पर प्रतिष्ठित वक्ताओं एवं स्पष्टीकरण के साथ सत्र का आयोजन

 

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले मत्स्य विभाग ने 29 दिसंबर, 2022 को “मत्स्य पालन व जलीय कृषि के लिए बीमा कवरेज” पर राष्ट्रीय वेबिनार  का आयोजन किया। यह कार्यक्रम आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत मनाए जा रहे उत्सव के एक भाग के रूप में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मत्स्य विभाग (डीओएफ) के सचिव श्री जतीन्द्र नाथ स्वैन ने की और देश भर से 170 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें देश भर से मत्स्य पालन कार्य में जुड़े मछुआरे, किसान, उद्यमी, मत्स्य संघ, मत्स्य विभाग, भारत सरकार के अधिकारी और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य अधिकारी, राज्य कृषि, पशु चिकित्सा एवं मत्स्य विश्वविद्यालयों के संकाय, मत्स्य अनुसंधान संस्थान, मत्स्य सहकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, छात्र तथा हितधारक शामिल थे।

मत्स्य विभाग के केंद्रीय सचिव श्री जतीन्द्र नाथ स्वेन ने बताया कि बुनियादी मुद्दा हितधारकों के बीच बीमा अवधारणा की समझ की कमी है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रस्ताव आकर्षित करने के उद्देश्य से विश्वास बनाने के लिए मत्स्य पालन क्षेत्र में निजी एवं अन्य वैश्विक बीमा प्रदाताओं द्वारा आवश्यक आउटरीच और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि बीमा पॉलिसियों की मांग करने वाले अधिकांश हितधारक समुद्री क्षेत्र से आते हैं। सचिव ने भारत सरकार के मत्स्य विभाग प्रदान द्वारा प्रदान की गई सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) के बारे में जानकारी दी। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि मत्स्य बीमा को अपनाने के लिए धीरे-धीरे अपने पहले कदम के रूप में समुद्री मत्स्य पालन विनियमन अधिनियम (एमएफआरए) में आवश्यक विधायी प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं।

विभाग के संयुक्त सचिव श्री सागर मेहरा ने व्यापारिक और छोटे मछली पकड़ने के जहाजों व बड़े जलीय कृषि संचालन कार्य आदि के लिए एशिया, अफ्रीका, यूरोप तथा अमेरिका जैसे विभिन्न देशों में अपनाई गई मत्स्य पालन बीमा योजनाओं एवं जलीय कृषि बीमा नीतियों के कवरेज पर प्रकाश डाला। उन्होंने बीमा कंपनियों द्वारा घरेलू बाजार में फिलहाल उपलब्ध कराये जा रहे बीमा उत्पादों के बारे में उल्लेख किया। श्री सागर मेहरा ने प्रौद्योगिकी, आईसीटी/आईटी, रिमोट सेंसिंग का लाभ उठाते हुए तथा विभिन्न हितधारकों की भागीदारी को संगठित करते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र में बीमा के कवरेज का विस्तार करने के लिए जलीय कृषि बीमा व रणनीति में चुनौतियों के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

 

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आईसीएआर-सीएमएफआरआईके वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ शिनोज परप्पुरथु ने “भारत में मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर बीमा: अवसर एवं चुनौतियां” विषय पर प्रस्तुति दी।

आईसीएआर-सीएमएफआरआईके वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.शिनोज परप्पुरथु ने तकनीकी सत्र के दौरान “भारत में मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर बीमा: अवसर एवं चुनौतियां” विषय पर प्रस्तुति दी। उन्होंने अंतर्देशीय तथा समुद्री दोनों तरह की व्यापारिक गतिविधियों के लिए मात्स्यिकी क्षेत्र में आने वाली आम समस्याओं का उल्लेख किया और मछली पकड़ने के गियर एवं अन्य उपकरणों के लिए वर्तमान में सरकारी तथा निजी क्षेत्र के पास उपलब्ध बीमा पॉलिसी/उत्पाद के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा, उन्होंने आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के परिणामों के बारे में विस्तार से बताया। जिसमें मछुआरा समुदाय और जलीय कृषि किसानों के बीच बीमा नीतियों एवं बीमा उत्पादों के बारे में जानकारी की कमी पर प्रकाश डाला गया।

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एनएफडीबी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक डॉ. एल.एन. मूर्ति ने “मत्स्य पालन क्षेत्र में बीमा आवश्यकताओं” से संबंधित विषय पर प्रस्तुति दी

इसके बाद एनएफडीबी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक डॉ. एल.एन. मूर्ति ने वेबिनार को संबोधित किया। उन्होंने इस क्षेत्र के अनेक अवसरों के बारे में जानकारी दी और मछुआरों एवं मत्स्य पालकों के समक्ष उत्पन्न खतरों जैसे कि समुद्र में मछली पकड़ने के दौरान आने वाली परेशानियों तथा पुराने समय से चली आ रही मछली पकड़ने की रीतियों पर अच्छादित खतरे, आदि का उल्लेख किया। उन्होंने तैयार किये गए विशेष बीमा उत्पाद के बारे में जानकारी दी, जो मत्स्य पालकों के लिए फायदेमंद साबित हुआ है। उन्होंने विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों द्वारा बीमा उत्पादों के निर्माण पर भी जोर दिया। अंत में डॉ. एल.एन. मूर्ति ने कहा कि मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए “स्थिरता, लाभप्रदता और उत्पादकता ही भविष्य में आगे बढ़ने का मार्ग है।

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मैसर्स ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मुख्य प्रबंधक श्री बी.के. सिन्हा ने मत्स्य पालन (झींगा और छोटी मछली) बीमा पॉलिसी विषय पर प्रस्तुति दी

बाद में, मैसर्स ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मुख्य प्रबंधक श्री बी.के. सिन्हा ने नई दिल्ली ने एक्वाकल्चर (झींगा और छोटी मछली) विषय पर बीमा नीति विषय पर प्रस्तुति दी। इस दौरान विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के जलीय कृषि के लिए उपलब्ध बीमा उत्पादों तथा वर्तमान में उपलब्ध इस तरह के बीमा उत्पादों के बीमा कवरेज में आने वाले दायरे पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई। श्री बी.के. सिन्हा ने आगे के लिए पॉलिसी अवधि, मूल नीति मूल्यांकन तथा लाभार्थियों को दी जाने वाली छूट के बारे में जानकारी साझा की। अंत में, उन्होंने कहा कि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की बीमा पॉलिसियों द्वारा उपयुक्त नियम एवं शर्तें तैयार की जानी चाहिए।

इस प्रस्तुति के बाद, विशिष्ट वक्ताओं के साथ एक प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें विशिष्ट वक्ताओं से व्यावहारिक एवं जमीनी स्तर के मुद्दों तथा संभावित कार्यों एवं नए बीमा उत्पादों के विकास पर स्पष्टीकरण मांगा गया।

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