निश्चित ही कोई भी घर नहीं बैठा है। दोनों प्रमुख दल कमर कसे हुए हंै। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही लोकसभा चुनावों को चुनौती की तरह लिया है। हालांकि इसमें कोई दो मत नहीं कि अंदर और बाहर दोनों ही स्थानों पर सभी इस बात से वाकिफ हैं कि कांग्रेस की राह कठिन है। इतिहास में देखें तो विधानसभा चुनावों में चाहे नतीजे कैसे भी हों लोकसभा मोदीजी लूट लेते हैं।
लेकिन चुनाव आते तक अति आत्मविश्वास से लबरेज कांग्रेस के काफी कदम गलत पड़ते चले गये। जिससे जनता अंदर से नाराज हो गयी और इसे बड़े-बड़े राजनेता भी भांप नहीं पाए।अंदरखाने नाराज कांग्रेसियों को
कहां तक साध पाएंगे पायलट
प्रदेश में इस समय जो वातावरण है उससे कांग्रेस के प्रति तुष्टीकरण और कांग्रेस नेताओं की लूट-खसोट से जनता क्षुब्ध है। जबकि मोदीजी और भाजपा के नंबर दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
ये कहा जा सकता है कि कुदरत भी उन पर मेहरबान है कि उनके हर काम में उन्हें तारीफ मिलती है। वादे निभाने के मामले में पिछले कामों को नहीं भी गिना जाए तो सबसे बड़ा राममंदिर का मामला है जो मील का पत्थर साबित होगा।सफलता एकता की गैरेंटी
हार से पड़े दरार
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में इस वक्त बिखराव जैसी स्थिति नजर आ रही है। कौन, कब, कहां, किस बात पर रूठकर घर बैठ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। सफलता एकता की गैरंेटी होती है। असफलता नाराजगी और बिखराव का कारण बनती है।
असफल होने के कारण ही प्रभारी शैलजा पर आरोप लगने लगे। बात सही है या गलत ये कहा नहीं जा सकता है लेकिन ये तय है कि यदि कांग्रेस सफल हो जाती तो शैलजा पर आरोप नहीं लगते।
सिंहदेव के साथ जो हुआ, दुखद है
अपनों ने निपटाया, हद है
एक और मामला टीएस सिंहदेव का भी है। एक तो उन्हें वादा करके सीएम नहीं बनाया गया दूसरा, चर्चा है कि विधानसभा में सिंहदेव को जानबूझकर अपनों ने ही हरवाया। सिंहदेव के पास कोई दूसरा राजनैतिक विकल्प नहीं है इसलिये मन मसोस कर रह गये हैं।
उन्हें आगे सीएम पद के लिये खतरा न हो जाएं ये सोचकर ही निपटाया गया। जनता के बीच उनकी छवि अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की तुलना में अधिक अच्छी और एक ईमानदार नेता की बनी हुई है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास कोई ठोस मुद्दा भी नहीं दिखता। वे शासन पर आरोप लगाएंगे तो जनता पूछ लेगी कि अभी तक तो शासन में आप ही थे, जो किया धरा है आपका ही है। दो माह की सरकार को कैसे जिम्मेदार ठहरा सकते हैं।
क्ेंद्र पर लगाए जाने वाले मामले कहीं भी ठहरते नहीं।छत्तीसगढ़ में ईडी से भी जनता नाखुश नहीं है
ईडी की कार्यवाही से कांग्रेस सहानुभूति की उम्मीद करती है लेकिन उसकी संभावना कम है। चाहे बार-बार इस बात का ढिंढोरा पीटा जाए कि अपने मतलब के लिये भाजपा ईडी का गलत उपयोग कर रही है लेकिन इसके बाद भी जनता ईडी की कार्यवाही से अंदर से खुश है।
कारण कि जनता के अंदर ये भाव घर कर गया है कि हमारे देश के रईस तबके ने हमारा शोषण कर निचले वर्ग और मध्यम वर्ग की तरक्की में रोड़ा अटकाया है। जितने भी तरक्की के मौके निकलते हैं उसे ये वर्ग अपने रसूख और रईसी के बल पर हथिया लेता है।
अभी हाल में ईडी की चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम भी जोड़ दिया गया है। सही हो या गलत ये अलग मामला है पर इससे कांग्रेस के नंबर बढ़ेंगे ये नहीं कहा जा सकता।
ऐसी स्थिति में पायलट छत्तीसगढ़ कांग्रेस को लोकसभा में किसी उंचाई पर पहुंचा पाएंगे इसमें संशय है।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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