वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…शैलजा गयीं, अब पायलट, सिंहदेव, भूपेश’  सम्हालेंगे मिलकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस’ 11 को सचिन पायलट आएंगे’ लोकसभा जीतने की राह बताएंगे’

निश्चित ही कोई भी घर नहीं बैठा है।  दोनों प्रमुख दल कमर कसे हुए हंै। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही लोकसभा चुनावों को चुनौती की तरह लिया है। हालांकि इसमें कोई दो मत नहीं कि अंदर और बाहर दोनों ही स्थानों पर सभी इस बात से वाकिफ हैं कि कांग्रेस की राह कठिन है। इतिहास में देखें तो विधानसभा चुनावों में चाहे नतीजे कैसे भी हों लोकसभा मोदीजी लूट लेते हैं।

और इस बार तो प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति भाजपा से कमजोर ही है। हाल में कांग्रेस ने अपनी सत्ता गंवाई हैं। पांच साल पहले विधानसभा में जो बेहतरीन प्रदर्शन किया था कांग्रेस ने और लगातार बाद के वर्षों में, उपचुनावों में, स्थानीय निकायों में प्रदर्शन करती आई थी वो अपने आप में तारीफ के काबिल है।
लेकिन चुनाव आते तक अति आत्मविश्वास से लबरेज कांग्रेस के काफी कदम गलत पड़ते चले गये। जिससे जनता अंदर से नाराज हो गयी और इसे बड़े-बड़े राजनेता भी भांप नहीं पाए।अंदरखाने नाराज कांग्रेसियों को
कहां तक साध पाएंगे पायलट

इस बार विवादों मंे फंसी शैलजा के बजाए छत्तीसढ़ के प्रभारी बने पायलट को चुनौती मिल रही है। एक तो हाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को काफी पीछे ढकेल दिया जिससे पहले ही हाल खस्ता है और दूसरा लोकसभा तो कांग्रेस के लिये हमेशा ही चुनौती रही है।
प्रदेश में इस समय जो वातावरण है उससे कांग्रेस के प्रति तुष्टीकरण और कांग्रेस नेताओं की लूट-खसोट से जनता क्षुब्ध है। जबकि मोदीजी और भाजपा के नंबर दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
मोदीजी एक चतुर खिलाड़ी हैं, उन्हें जनता की भलाई के साथ-साथ वो सारे काम करने आते हैं जिनसे जनता खुश होती है और वे चर्चा में आ जाते हैं। उनकी नीयत और उनका काम हमेशा सटीक निशाने पर लगते हैं।
ये कहा जा सकता है कि कुदरत भी उन पर मेहरबान है कि उनके हर काम में उन्हें तारीफ मिलती है। वादे निभाने 
के मामले में  पिछले कामों को नहीं भी गिना जाए तो सबसे बड़ा राममंदिर का मामला है जो मील का पत्थर साबित होगा।सफलता एकता की गैरेंटी
हार से पड़े दरार

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में इस वक्त बिखराव जैसी स्थिति नजर आ रही है। कौन, कब, कहां, किस बात पर रूठकर घर बैठ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। सफलता एकता की गैरंेटी होती है। असफलता नाराजगी और बिखराव का कारण बनती है।

असफल होने के कारण ही प्रभारी शैलजा पर आरोप लगने लगे। बात सही है या गलत ये कहा नहीं जा सकता है लेकिन ये तय है कि यदि कांग्रेस सफल हो जाती तो शैलजा पर आरोप नहीं लगते।

सिंहदेव के साथ जो हुआ, दुखद है
अपनों ने निपटाया, हद है

एक और मामला टीएस सिंहदेव का भी है। एक तो उन्हें वादा करके सीएम नहीं बनाया गया दूसरा, चर्चा है कि विधानसभा में सिंहदेव को जानबूझकर अपनों ने ही हरवाया। सिंहदेव के पास कोई दूसरा राजनैतिक विकल्प नहीं है इसलिये मन मसोस कर रह गये हैं।

  लेकिन वे अपनों के द्वारा दिये गये घावों से उबर गये हैं ऐसा कहना गलत होगा।
 उन्हें आगे सीएम पद के लिये खतरा न हो जाएं ये सोचकर ही निपटाया गया। जनता के बीच उनकी छवि अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की तुलना में अधिक अच्छी और एक ईमानदार नेता की बनी हुई है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास कोई ठोस मुद्दा भी नहीं दिखता। वे शासन पर आरोप लगाएंगे तो जनता पूछ लेगी कि अभी तक तो शासन में आप ही थे, जो किया धरा है  आपका ही है। दो माह की सरकार को कैसे जिम्मेदार ठहरा सकते हैं।

क्ेंद्र पर लगाए जाने वाले मामले कहीं भी ठहरते नहीं।छत्तीसगढ़ में ईडी से भी जनता नाखुश नहीं है

ईडी की कार्यवाही से कांग्रेस सहानुभूति की उम्मीद करती है लेकिन उसकी संभावना कम है। चाहे बार-बार इस बात का ढिंढोरा पीटा जाए कि अपने मतलब के लिये भाजपा ईडी का गलत उपयोग कर रही है लेकिन इसके बाद भी जनता ईडी की कार्यवाही से अंदर से खुश है।
कारण कि जनता के अंदर ये भाव घर कर गया है कि हमारे देश के रईस तबके ने हमारा शोषण कर निचले वर्ग और मध्यम वर्ग की तरक्की में रोड़ा अटकाया है। जितने भी तरक्की के मौके निकलते हैं उसे ये वर्ग अपने रसूख और रईसी के बल पर हथिया लेता है।

 यूं भी अपने से कहीं उपरी स्तर के व्यक्ति को देखकर सहज ही जलन का भाव पैदा हो जाता है, ये सच्चाई है। तो ईडी की कार्यवाही से कांग्रेस को सहानुभूति नहीं बल्कि बदनामी ही मिल रही है।

अभी हाल में ईडी की चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम भी जोड़ दिया गया है। सही हो या गलत ये अलग मामला है पर इससे कांग्रेस के नंबर बढ़ेंगे ये नहीं कहा जा सकता।
ऐसी स्थिति में पायलट छत्तीसगढ़ कांग्रेस को लोकसभा में किसी उंचाई पर पहुंचा पाएंगे इसमें संशय है।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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