Krishna Janmabhoomi case मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के विवाद से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि मामले से जुड़े 15 मामलों को एक साथ सुनने की बात की थी जिसके खिलाफ मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। हालांकि वह अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है
Krishna Janmabhoomi case: कृष्ण जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से झटका, मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज
पीटीआई, नई दिल्ली। मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। साथ ही, शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष से हाईकोर्ट जाने को कहा है। दरअसल, मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने इस विवाद से जुड़े 15 मुकदमों को एक साथ जोड़कर सुनवाई करने का फैसला लिया था।
शीर्ष अदालत ने वापस हाई कोर्ट जाने का दिया आदेश
पीठ ने मुस्लिम पक्ष को आदेश दिया, “याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को वापस लेने का आह्वान किया है। हम उच्च न्यायालय के समक्ष पुनर्विचार याचिका को पुनर्जीवित करने की स्वतंत्रता के साथ वर्तमान एसएलपी को खारिज करते हैं।”
हाईकोर्ट का कहना था कि ये सभी मुकदमे एक ही तरह के हैं और इनमें एक ही तरह के सबूतों के आधार पर फैसला होना है। ऐसे में, समय बचाने के लिए इन मुकदमों की सुनवाई एक साथ होनी चाहिए।
दिसंबर 2020 के बाद दर्ज हुए कई मामले
हिंदूवादी ने उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन में कहा कि 25 सितंबर, 2020 को मथुरा के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के समक्ष मूल मुकदमा दायर किए जाने के बाद, 13.37 एकड़ भूमि के संबंध में कई अन्य मुकदमे दायर किए गए थे।
उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था, “ये मुकदमे समान प्रकृति के हैं। इन मुकदमों में कार्यवाही की जा सकती है और सामान्य साक्ष्य के आधार पर मुकदमों का फैसला एक साथ किया जा सकता है। अदालत का समय बचाने के लिए, होने वाले खर्च को बचाया जा सकता है।”
शीर्ष अदालत में पहले से दायर याचिका
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शीर्ष अदालत पहले से ही मस्जिद समिति द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर विचार कर रही है, जिसमें मथुरा अदालत के समक्ष लंबित विवाद से संबंधित सभी मामलों को खुद को स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के 26 मई, 2023 के आदेश को चुनौती दी गई है। हिंदू पक्ष ने उच्च न्यायालय के समक्ष आग्रह किया था कि उसकी मूल सुनवाई उसी तरह चलानी चाहिए जैसे उसने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि स्वामित्व विवाद में की थी।