बस्तर के हस्तशिल्पकारों का हुनर: दिल्ली के लोगों को बनाया दीवाना, एक लाख के सामानों की हुई बिक्री – IMNB NEWS AGENCY

बस्तर के हस्तशिल्पकारों का हुनर: दिल्ली के लोगों को बनाया दीवाना, एक लाख के सामानों की हुई बिक्री

0 ऑनलाइन बाजार से जुड़ेंगे बस्तर के शिल्पकार, रविवार को हुआ समापन

जगदलपुर। बस्तर के हस्तशिल्पकारों का हुनर अब सात देश की राजधानी में भी देखने को मिल रहा है। दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित अखिल भारतीय प्रदर्शनी में बस्तर के शिल्पकारों द्वारा लगाई गई स्टॉल को जमकर सराहा जा रहा है। यही वजह है कि अब तक इस प्रदर्शनी में बस्तर के शिल्पकारों ने एक लाख रुपए तक की शिल्पकलाकृतियों की बिक्री कर ली है। गौरतलब है कि 14 से 27 नवंबर तक आयोजित इस प्रदर्शनी में ग्राम अलवाही के बस्तर कलागुड़ी से जुड़े हुए दो ढोकरा कला के शिल्पी उषाबती बघेल और खिरमानी कश्यप भाग लेने पहुंचे हैं। बस्तर की इन पारंपरिक कलाकृतियों को प्रदर्शनी में आए हुए दर्शकों की खूब सराहना मिल रही है। साथ ही प्रदर्शनी में आने वाली जनता का इन शिल्पकलाओं की खरीदी के लिए भी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
बस्तर कलागुड़ी का कहना है कि वे जल्द ही विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस के जरीये शिल्पकारों को देश-विदेश के बाजार से जोडऩे की तैयारी की जा रही है। कलागुडी शिल्पकारों की आय बाने के विभिन्न अवसरों की खोज की दिशा में लगातार काम कर रही है। जिसमें प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों, कार्यक्रमों के माध्यम से कलाकृतियों का विक्रय आदि शामिल हैं। दो दिन पहले हस्तशिल्प बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप ने यह घोषणा की है कि अब सभी सरकारी कार्यक्रमों में हस्त शिल्पकला को शामिल किया गया जाएगा। पुरस्कार से लेकर स्मृति चिन्ह व उपहार में इसका उपयोग होगा। अगर ऐसा होता है तो बस्तर को इससे बड़ा फायदा होगा क्योंकि यहां की हस्त शिल्प कला देश-प्रदेश और विदेश हर जगह प्रसिद्ध है और इसकी मांग भी काफी ज्यादा है। बस्तर कलागुड़ी के हस्तशिल्प निर्माता संगठन के प्रभारी अधिकारी डॉ. सृष्टि हेमंत का कहना है कि इस तरह के एक्सपोजर बस्तर के ट्राइबल शिल्पकारों के लिए बहुत जरूरी हैं। जिनसे अन्य राज्यों के लोगों को बस्तर की संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिलता है। इन आयोजनों के माध्यम से बस्तर के शिल्पकार अन्य राज्यों से आये हुए शिल्पकारों के अनुभव साझा कर नए डिजाइन्स बनाने के लिए प्रेरित होते है। साथ ही बस्तर के शिल्पकारों को अपनी अद्भुत एवं अद्वितीय कला के वास्तविक मूल्य का भी पता चलता है।

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