बेहद अप्रत्याशित ढंग से कर्नाटक में नाटक हो गया। भाजपा न सिर्फ हारी बल्कि बुरी हार हारी।
सांप और बजरंग बली का दांव खाली
यकीन मानिये दो हजार, पांच हजार करोड़ के भ्रष्टाचार से जनता आरोपियों की पकड़ से खुश जरूर होती है, लेकिन उसे ज्यादा खुशी तब होगी जब उससे दो सौ, दो हजार या बीस हजार रिश्वत मांगने वाला पकड़ाए और जेल के अंदर जाए। क्योंकि इनसे जनता सीधे जुड़ी होती है।
कर्नाटक में खुलेआम 40 प्रतिशत वाली सरकार प्रचारित हो रही थी। भाजपा के कार्यकर्ता से ही 40 प्रतिशत मांगा जा रहा था। बताया जाता है कि उस कार्यकर्ता ने उपर शिकायतें भी कीं किन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में घोर निराशा में उसने आत्महत्या कर ली।
आत्महत्या से पहले उसने प्रधानमंत्री को यानि अपनी ही पार्टी के शीर्षस्थ नेता को अपनी व्यथा बताकर इंसाफ की मांग की।
घूस भी, अपमान भी
दरअसल रिश्वतखोरी से आम आदमी अंदर तक आहत है। सरकारी लोग न सिर्फ नाजायज पैसे मांगते हैं बल्कि घोर अपमान भी करते हैं। जनता इससे आहत होती है और अंदर ही अंदर खून का घूंट पीकर मौन रह जाती है। क्योंकि जानती है कि किसी को कुछ नहीं होना है, पब्लिक को पता है कि जहां वो शिकायत करेगी वहां इसका हिस्सा नियमित पहुंचता है। तो सैंया भये कोतवाल तब डर काहे का… ।
याद कीजिये छत्तीसगढ़ में कई दशकों से किस कदर रिश्वतखोरी कायम है। जो लोग सरेआम मीडिया के सामने रिश्वतखोरी में पकड़ा जाते हैं उन्हें भी सजा नहीं मिलती। ऐसे माहौल में एक बार भाजपा के सम्मेलन में माननीय मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह ने कहा कि ‘अगर भाजपा के कार्यकर्ता एक साल कमीशन लेना बंद कर दे ंतो हम तीस साल राज कर सकते हैं’। इस पर घनघोर तालियां बजीं। यानि डाॅक्टर रमनसिंह ने मंच लूट लिया। लेकिन इस कमीशन की स्वीकारोक्ति और इस पर अपनी मुहर लगाने से जनता का दिल छलनी हो गया। जनता को महसूस हुआ कि जब हमारा राजा ही कमीशन की बात को खुलेआम स्वीकार कर रहा है तो कोतवाल की शिकायत किससे की जाए।
नतीजा क्या हुआ ? भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। बड़ी बुरी हार हुई।
अब ये समझने की जरूरत है कि बेईमानों को ईडी के शिकंजे में कसना अच्छा है लेकिन सिर्फ और सिर्फ अपने विरोधियों का ही शिकार करना गलत है। हां सरकार की ईमानदारी तब मानी जाएगी जब एक आध भाजपा का नेता भी ईडी के शिकंजे मे फंसता। क्या भाजपा नेताओं के पास काला पैसा नहीं है ? क्या वे पूरी तरह दूध के धुले हैं।
हिंदुओं को फायदा
भाजपा सबसे बड़ी हिंदु हितैषी है इसमें कोई दो मत नहीं। और पूरी ईमानदारी के साथ भाजपा एक ही राह पर चली है। निश्चित सारा हिंदु समाज और सारा देश भाजपा का आभारी है लेकिन केवल हिंदुत्व की बात से जनता को कितना अपना किया जा सकता है, जबकि घूस और कमीशन के कारण आम जनता त्राहि-त्राहि कर रही है।
इसी तरह कांग्रेस केवल मुस्लिमपरस्ती के अरोपों से जूझती रही है। लेकिन अब कांग्रेस ने थोड़ा-थोड़ा हिंदुओं को दुत्कारना, प्रताड़ित करना, शोषण करना बंद करने का दिखावा शुरू कर दिया है। झूठ ही सही, भारी मन से ही सही कांग्रेस ने हिंदु हित के ढिंढोरा पीटने लायक काम किये हैं। और वो पीट रही है। और हो ये रहा है कि उदार हिंदु खुले दिल से एक बार फिर कांग्रेस की गलती माफ करने में पीछे नहीं हट रहा। कुल मिलाकर हिंदुओं को कुछ लाभ हुआ है और हो रहा है।
जनता को फायदा
अब भाजपा के विद्वान नेताओं को ये बात समझ में आ रही होगी कि घूसखोरी और सबसे बड़ी बात सरकारी लोगों की राजसी मानसिकता से जनता कितनी आहत है। जनता इन्हें पैसे भी देती है और इनकी दुत्कार भी सहती है। सबसे बड़ा गम ये है कि शिकायत लेकन जिनके पास जाओ वे उनके खैरख्वाह बने बैठे होते हैं। अब शायद सरकारी व्यवस्था में कुछ परिवर्तन हो। जनता के बीच के बेईमानों को धरा जाए और उनके विरूद्ध कानूनी शिकंजा कसने में मुरव्वत न की जाए। तब जनता सहर्ष सर पर बिठाएगी।
कर्नाटक में हार से भाजपा के दिग्गज ये जरूर समझ रहे होंगे कि जनता के अन्तर्मन मंे 40 प्रतिशत कमीशन वाली बात गहरे बैठ गयी है और यहीं नहीं बल्कि सारे देश को इस दंश से निकालने के लिये भागीरथी प्रयास करने होंगे। निस्संदेह एक झटके में बड़े फैसले लेने वाले मोदीजी इस पर भी झटके में कड़े निर्णय ले लें तो भाजपा को लाभ होगा। भाजपा के साथ एक विडम्बना ये है कि लोगों को भाजपा से ही उम्मीदें अधिक हैं।
जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
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