Sunday, September 8

डीए डीआर के आदेश में विलम्ब को लेकर कर्मचारियों और पेंशनरों में रोष : व्यूरोकेट पर अड़ंगा लगाने का आरोप

*केयर टेकर मुख्यमंत्री से डीए डीआर बाबत अनुमोदन की जरूरत नहीं है*

*अनुमति कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए और आदेश ब्यूरोकेट अधिकारियों का*

*एक ही तिथि में 42%और 46% के अलग अलग आदेश के पीछे राज क्या है?*

निर्वाचन आयोग से अनुमति के बाद भी महंगाई की मार झेल रहे कर्मचारी और पेंशनरों को केंद्र की भांति महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के भुगतान के लिए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से आदेश जारी करने में हो रहे विलम्ब से भारी रोष व्याप्त है और आरोप लगाया है कि इस अनावश्यक देरी के लिए केवल व्यूरोकेट ही जिम्मेदार है ऐसा प्रतीत होता है कि वे जानबूझकर अड़ंगा लगा रहे हैं। उक्त आरोप जारी विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश संयोजक तथा भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने लगाया है।
जारी विज्ञप्ति उन्होंने आगे बताया है कि 2017 से अबतक कई महीने का डीए डीआर का एरियर हजम करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार पर ब्यूरोकेट्स पूरी तरह से हावी है क्योंकि जब जब केन्द्र सरकार डीए डीआर देती है तब देर सबेर अपने लिए खुद के हस्ताक्षर से पूरा एरियर का आदेश जारी कर यही ब्यूरोकेट राज्य सरकार के खजाने को खाली करती आ रहे हैं और कर्मचारियों और पेंशनरों के मामले में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है का पहाड़ा पकड़ कर मितव्ययता के नाम पर पूरा एरियर की राशि हजम कर रहे हैं।निर्वाचन आयोग से अनुमति कर्मचारियों और पेंशनरों को डीए डीआर देने हेतु ली गई और अनुमति आते ही अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अपना खुद का महंगाई भत्ता (डीए) आदेश जारी कर लिए और जिनके लिए अनुमति ली गई उन पेंशनरों और कर्मचारियों के लिए आदेश का कोई पता नहीं है। हद तो तब हो गई जब एक ही तिथि 22/11/23 को एक नहीं दो अलग अलग आदेश जारी कर पहले 42% और दूसरे आदेश में 46% के महंगाई भत्ता लेने के आदेश खुद के हस्ताक्षर से निकाल लिए,यह अपने आपमें अदभुत उदाहरण बन गया है। जबकि दोनो डीए के आदेश एक साथ एक ही आदेश में जारी हो सकता था तब एक ही तिथि में दो बार अलग अलग आदेश करने के पीछे क्या राज है समझ से परे है।
जारी विज्ञप्ति में बताया है कि छत्तीसगढ़ में इन दिनों मीडिया में देखने को मिल रहा है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा डीए डीआर के आदेश जारी करने बाबत राजस्थान दौरे से आकर देर रात अनुमोदन किया गया।कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव आयोग से अनुमति के बाद केयर टेकर मुख्यमंत्री से अनुमोदन प्राप्त करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। इसके निर्णय करने के लिए मुख्य सचिव सक्षम अधिकारी है परन्तु फिर भी केयर टेकर मुख्यमंत्री से अनुमति लेने का कारण वही जानते हैं।हो सकता है चुनाव के बाद रिटायरमेंट के नजदीक पहुंच चुके अधिकारी की इसके पीछे कोई दूरदृष्टि की बात हो।

जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के विभिन्न जिलों के पदाधिकारी क्रमश: वीरेन्द्र नामदेव,द्रोपदी यादव,जे पी मिश्रा,पूरनसिंह पटेल, अनिल गोल्हानी, बी एस दसमेर,बी के वर्मा,आर एन ताटी,दिनेश उपाध्याय, आर जी बोहरे,सी एम पांडेय,राकेश जैन,महेश पोद्दार,ओ पी भट्ट,बसंत गुप्ता,पिताम्बर पारकर,हेमंत टांकसाले,नागेश कापेवार,प्रवीण त्रिवेदी, डॉ पी आर धृतलहरे,एच एल नामदेव,के आर राजपूत,विनोद जैन, जे पी भारतीय,गायत्री गोस्वामी,अनूप डे, सी एल चंद्रवँशी, बरातू राम कुर्रे ,आई सी श्रीवास्तव, शैलेन्द्र कुमार सिंह,रामचंद्र नामदेव,शरद अग्रवाल,डॉ एस पी वैश्य,बी डी उपाध्याय,बी एल यादव,नरसिंग राम,आर के नारद, प्रदीप सोनी,सुरेश शर्मा,एस के चिलमवार,लोचन पांडेय,सुरेश मिश्रा,एस के एस श्रीवास्तव,आलोक पांडेय,तीरथ यादव,रमेशचन्द्र नन्दे,जगदीश सिंह,उर्मिला शुक्ला,कुंती राणा, वन्दना दत्ता,परसराम यदु,अनूप योगी,ओ डी उपाध्याय,बी एल गजपाल,एन के भटनागर, डी के त्रिपाठी, एम आर शास्त्री, मीता मुखर्जी, सोमेश्वर प्रसाद तिवारी,हरेंद्र चंद्राकर, इलियास मोहम्मद शेख, व्ही टी सत्यम, रैमन दास झाड़ी, मो. अय्यूब खान, रविशंकर शुक्ला, गुज्जा रमेश, सुरेश कुमार घाटोडे, लोकचंद जैन,नागेंद्र सिंह आदि ने कर्मचारियों, पेंशनरों और परिवार पेंशनरों को महंगाई से राहत प्रदान करने
की मांग किया है।

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