Tuesday, March 28
Advt No D1567/22

लेख-आलेख

नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल  देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल प्रियंका सौरभ
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, लेख-आलेख

नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल प्रियंका सौरभ

    क्या हमारा समाज देवी की लिंग-संवेदनशील समझ के लिए तैयार है? नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपमान किया जाता है। आज भी भारत में बहूत सारे गांवों में कन्या के जन्म पर दुःख मनाया जाता है। ऐसा क्यों? क्या आप ऐसा करके देवी मां के इन रूपों का अपमान नहीं कर रहे हैं। कन्याओं और महिलाओं के प्रति हमें अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। देवी तुल्य कन्याओं का सम्मान करें। इनका आदर करना ईश्वर की पूजा करने जितना पुण्य देता है। शास्त्रों में भी लिखा है कि जिस घर में औरत का सम्मान किया जाता है वहां भगवान खुद वास करते हैं। दुनिया में और यौन भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलनों के साथ देवी की अवधारणा में विविधता लाने का समय आ गया है। -प्रियंका सौरभ   नवरात्रि एक ...
कैमरों के सामने अर्ध लामबंद नहीं, जनता के सामने पूर्ण लामबंद होना ही होगा (आलेख : बादल सरोज)
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, देश-विदेश, लेख-आलेख

कैमरों के सामने अर्ध लामबंद नहीं, जनता के सामने पूर्ण लामबंद होना ही होगा (आलेख : बादल सरोज)

 21 मार्च को 16 राजनीतिक दलों की साझी प्रेस कांफ्रेंस में जो बोला और कहा गया, उससे कहीं ज्यादा इस पत्रकार वार्ता की तस्वीरों ने बयान किया। पत्रकारों के सामने पंक्तिबद्ध खड़े विपक्षी नेताओं की तकरीबन अर्ध-गोलबंद इमेजेज से दो संदेश मुखर होकर सामने आये। *एक* ; सत्तापक्ष की करनी अब अति से भी आगे जाकर अत्यधिक हो चुकी है, कि अब पानी लोकतंत्र के गले से भी ऊपर आ चुका है, कि अब यदि थोड़ी-सी भी देर हुई, तो बहुत ज्यादा देर हो जाएगी। *दो* ; चूंकि दांव पर लोकतंत्र - सिर्फ संसदीय लोकतंत्र ही नहीं समूचा राजनीतिक, सामाजिक, व्यावहारिक लोकतंत्र - है, पलीता संविधान में भी लगाया जा रहा है। इसलिए बाकी ज्यादातर बातों को भूलकर अपरिहार्य हो जाता है कि वे सब, जो इस सब में निहित खतरों को समझते हैं, वे फ़ौरन से पेश्तर एकजुट हों। कैमरों के सामने अर्ध-लामबंद नहीं, जनता के सामने पूर्ण लामबंद हों। लोकतंत्र और संविधान...
अब स्वच्छ संसद (व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा)
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, देश-विदेश, लेख-आलेख

अब स्वच्छ संसद (व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा)

विपक्ष वाले भी गजब करते हैं। राहुल गांधी को जरा-सा संसद से बाहर क्या कर दिया गया, लगे और जोर-जोर से डैमोक्रेसी का मर्सिया पढऩे। उस पर इसका स्मार्ट उलाहना और कि राहुल गांधी ने जो-जो लंदन में कहा था, मोदी जी का राज वही-वही जम्बू द्वीपे, भारत खंडे में कर के दिखा रहा है। माइक बंद करने की बात कही, तो पूरी लोकसभा को ही म्यूट कर के दिखा दिया। मोदाणी पर बोलने नहीं देने की बात कही तो, संसद से बाहर ही करा दिया। अरे भाई संसद से बाहर ही तो किया है, जेल के अंदर तो नहीं किया है। मोदी जी को थैंक्यू नहीं देना है, तो न दो, पर कम से कम डैमोक्रेसी की मम्मी जी की बदनामी तो मत करो। वर्ना फिर मत कहना कि डैमोक्रेसी की मम्मी जी की मानहानि के लिए जेल कैसे हो गयी! और हां! बाकी विपक्ष वालेे भी सुन लें, जो भी राहुल की तरह, डैमोक्रेसी की मम्मी की बदनामी करता पाया जाएगा, राहुल को तो फिर भी तीस दिन की मोहलत मिल गयी, ...
लड़किया लीडर बनेगी तभी उनकी दुनिया बदलेगी लेख  -प्रियंका सौरभ
खास खबर, देश-विदेश, लेख-आलेख

लड़किया लीडर बनेगी तभी उनकी दुनिया बदलेगी लेख -प्रियंका सौरभ

  लड़कियों में नेतृत्व के गुणों का निर्माण करने के सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक है लड़कियों को नेतृत्व की भूमिकाओं में रखना। जब लड़कियों से दूसरों का नेतृत्व करने की उम्मीद की जाती है, तो उन्हें अपने भीतर वह शक्ति मिल जाती है, जिसके बारे में उन्हें पता भी नहीं होता। यह लड़कियों के बीच औपचारिक पदों या अनौपचारिक संबंधों के रूप में आ सकता है। रचनात्मक कार्यक्रम के नेता और प्रशिक्षक इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और नेतृत्व के सभी रूपों का समर्थन करने के लिए सूक्ष्म तरीके ढूंढते हैं। -प्रियंका सौरभ आज दुनिया 900 मिलियन किशोर लड़कियों और युवा महिलाओं की परिवर्तनकारी पीढ़ी का घर है जो काम और विकास के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार है। यदि युवा महिलाओं के इस समूह को 21वीं सदी के कौशलों को पोषित करने के लिए सही संसाधनों और अवसरों से सुसज्जित किया जा सकता है, तो वे इतिहास में म...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम टेक इट ईज़ी, बस आज के दिन के लिये ही राहुल ने राहुल गांधी को मार दिया था
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, देश-विदेश, लेख-आलेख

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम टेक इट ईज़ी, बस आज के दिन के लिये ही राहुल ने राहुल गांधी को मार दिया था

बेहद चतुर और दूरदर्शी राजनेता हैं राहुल गांधी... । उन्हे पता था कि एक न एक दिन ये होगा। ऐसा होगा। और कांग्रेस पार्टी अनाथ होने की स्थिति में आ जाएगी। लेकिन अपनी दूदर्शिता से उन्होंने अपने विरोधियों को धता बता दी। उखाड़ लो जो उखाड़ सकते हो.... क्योंकि राहुल गांधी तो कही है ही नहीं... राहुल गांधी ने तो पहले ही राहुल गांधी को मार दिया है.... अब सजा किसको दोगे ? एक मानहानि के मामले में सूरत की एक कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुना दी है। लेकिन सूरत में मामला दायर करने वालों को जीतकर भी हार की सूरत दिख रही है। क्योंकि बकौल राहुल गांधी राहुल गांधी तो कहीं है ही नहीं... भारत की यात्रा के बाद दिये गये उनके बयान को देखें.... ‘राहुल गांधी आपके दिमाग में है मैने मार दिया उसको। वो है ही नहीं, मेरे माईण्ड में है ही नहीं। गया वो गया। जिस व्यक्ति को आप देख रहो हो वो राहुल गांधी नहीं है वो आपको ...
जीवन की खुशहाली और अखंड सुहाग का पर्व ‘गणगौर'(लेख प्रियंका सौरभ)
खास खबर, देश-विदेश, लेख-आलेख

जीवन की खुशहाली और अखंड सुहाग का पर्व ‘गणगौर'(लेख प्रियंका सौरभ)

गणगौर एक ऐसा त्यौहार है, जो जन मानस की भावनाओं से जुड़ा है। ग्राम्य जीवन की वास्तविकताओं के दर्शन है इसमें। देवी देवताओं और धार्मिक आस्था से जुड़े ये त्यौहार जीवन की वास्तविकताओं से परिचित करवाते है। गणगौर का त्यौहार ऐसे समय में आता है जब फसल कटकर आ चुकी है। कृषक वर्ग फुरसत में है। आर्थिक रूप से भी हाथ मजबूत है। ऐसे में माहौल और खुशमिजाज हो जाता है। लोगों की धार्मिक आस्था भी मजबूत हो जाती है। दुगुने जोश खरोश से जिंदगी चलने लगती है। एक नई ऊर्जा पैदा हो जाती है। एक और खास बात धर्म के माध्यम से, मीठे मीठे गीतों के जरिये बेटियों को जीवन जीने की उचित शिक्षा मिल जाती है। वो भी बिना कुछ कहे। यह पर्व नारी को शक्तिशाली और संस्कारी बनाने का अनूठा माध्यम है। वैयक्तिक स्वार्थों को एक ओर रखकर औरों को सुख बांटने और दुःख बटोरने की मनोवृत्ति का संदेश है। गणगौर संपूर्ण मानवीय संवेदनाओं को प्रेम और एकता म...
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम टेक इट ईज़ी केजरीवाल,राहुल,तेजस्वी,ममता सबके सुर एक हैं साख फिर भी मोदी की बढ़ी,क्योंकि नीयत नेक है
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, देश-विदेश, लेख-आलेख

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम टेक इट ईज़ी केजरीवाल,राहुल,तेजस्वी,ममता सबके सुर एक हैं साख फिर भी मोदी की बढ़ी,क्योंकि नीयत नेक है

।         { सच के करीब का चुटकुला:- ‘राहुल बेटे क्या अपनी पार्टी के बारे में कुछ सोचा है’ मम्मी अभी अभी तो कांग्रेस हारी है। तुरंत पार्टी करेंगे तो अच्छा लगेगा’ ? } तमाम तरह के झूठ, एक के बाद एक बचकाने आरोप, जिन्हें सुनकर सिवाए हंसने के कुछ नहीं किया जा सकता। ऐसे बयान देते हैं राहुल गांधी। एक न्यूज़ चैनल में बहस के दम्र्यान एक प्रवक्ता ने तो यहां तक कह दिया कि ‘बेचारे कांग्रेस के प्रवक्ता राहुल की बातें सुनकर हंस भी नहीं पाते। अपने ही बाॅस के बात पर कोई चाहकर भी नहीं हंस सकता न’। विदेश में अपनी एक स्पीच में भैया ने फिर शिगूफा छोड़ा है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। ऐसा कहने का आधार क्या है इसका कोई तर्क नहीं मगर खतरे में है। देश की कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां तिलमिला रही हैं उसका एक बड़ा कारण मोदी की विश्व में बढ़ती साख है। मोदी के हर काम में विश्व कल्याण छिपा है और सुयोग से ...
 (क्रांति की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है) हर देशवासी के दिल में है ‘शहीदों के राजकुमार’ भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव
खास खबर, देश-विदेश, लेख-आलेख

 (क्रांति की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है) हर देशवासी के दिल में है ‘शहीदों के राजकुमार’ भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव

प्रियंका सौरभ भगत सिंह ने अदालत में कहा था, "क्रांति जरूरी नहीं कि खूनी संघर्ष शामिल हो, न ही इसमें व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए कोई जगह है। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं है। क्रांति से हमारा तात्पर्य चीजों की वर्तमान व्यवस्था से है, जो स्पष्ट अन्याय पर आधारित है, इसे बदलना होगा।"भगत ने मार्क्सवाद और समाज के वर्ग दृष्टिकोण को पूरी तरह से स्वीकार किया- "किसानों को न केवल विदेशी जुए से बल्कि जमींदारों और पूंजीपतियों के जुए से भी खुद को मुक्त करना होगा।" उन्होंने यह भी कहा, "भारत में संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक मुट्ठी भर शोषक अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए आम लोगों के श्रम का शोषण करते रहेंगे। -प्रियंका सौरभ भगत सिंह, एक प्रतिष्ठित क्रांतिकारी, विचारक, तामसिक पाठक और उस समय के पढ़े-लिखे राजनीतिक नेताओं में से एक, एक बुद्धिजीवी थे। अंग्रेजों के खिलाफ हिंसक रूप से लड़ने के बावजूद, उन्हों...
चुनावी निरंकुश तंत्र बनाम आलोचना की स्वतंत्रता (आलेख : राजेंद्र शर्मा)
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, देश-विदेश, रायपुर, लेख-आलेख

चुनावी निरंकुश तंत्र बनाम आलोचना की स्वतंत्रता (आलेख : राजेंद्र शर्मा)

बजट सत्र के उत्तरार्द्ध के आरंभ से सत्ताधारी पार्टी ने पहले पूरे हफ्ते जो किया है और दूसरे हफ्ते में भी जिसे जारी रखने पर तुली नजर आती है, जैसा कि आम तौर पर सभी टिप्पणीकारों ने दर्ज किया है, बेशक स्वतंत्र भारत के संसदीय इतिहास में अकल्पित-अभूतपूर्व है। यह निर्विवाद है कि यह पहली ही बार है जब खुद सत्ताधारी पार्टी द्वारा संसद को नहीं चलने दिया जा रहा है। सच तो यह है कि यह खुद मोदी राज के अपने रिकार्ड के हिसाब से भी यह अभूतपूर्व है। बेशक, मोदी राज ने इस सुस्थापित संसदीय परंपरा को तोड़ने की शुरूआत तो काफी पहले ही कर दी थी कि तरह-तरह से विरोध जताना, संसदीय काम-काज को रुकवाकर अपनी बात सुनाने की कोशिश करना, विपक्ष के ही विशेषाधिकार हैं, जिनके जरिए वह संसद को कार्यपालिका के बहुमत के लिए, रबर ठप्पा बनने से बचाता है। जाहिर है कि इस परंपरा के सर्वमान्य होने के पीछे, स्वतंत्रता के बाद से आयी प्राय: ...
(22 मार्च जल दिवस विशेष) *अब हमारी आदत ही पानी बचा सकती है।*
खास खबर, देश-विदेश, लेख-आलेख

(22 मार्च जल दिवस विशेष) *अब हमारी आदत ही पानी बचा सकती है।*

(22 मार्च जल दिवस विशेष) *अब हमारी आदत ही पानी बचा सकती है।* हर घर, नल से जल योजना 2019 में लॉन्च की गई। जल शक्ति मंत्रालय की इस स्कीम का उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में पाइप से पीने का पानी उपलब्ध कराना है और यह सरकार के जल जीवन मिशन का एक घटक है। यह योजना एक अनूठे मॉडल पर आधारित है, जहां ग्रामीणों की पानी समितियां (जल समिति) तय करेंगी कि वे अपने द्वारा उपभोग किए जाने वाले पानी के लिए क्या भुगतान करेंगे। वे जो टैरिफ तय करते हैं वह गांव में सभी के लिए समान नहीं होगा। जिनके घर बड़े हैं उन्हें अधिक भुगतान करना होगा, जबकि गरीब घर या ऐसे परिवार जहां कोई कमाने वाला सदस्य नहीं है, उन्हें छूट दी जाएगी। -प्रियंका सौरभ   नीति आयोग की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 600 मिलियन भारतीय अत्यधिक जल संकट का सामना करते हैं और सुरक्षित पानी तक अपर्याप्त पहुंच के कारण हर साल लगभग दो ...