वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… मोदीजी दें ध्यान, धंधे में ‘रेल्वे’ बेईमान
एक सज्जन ने एक सवाल किया कि जब बाईक पर तीन सवारी चलते हैं तो सरकार चालान बना देती है। जुर्माना भरना पड़ता है। दो की ही व्यवस्था है तीन नहीं चल सकते। ऐसे में जब रेल्वे एक जनरल डिब्बे में तय संख्या से अधिक यात्रियों को भर लेती है तो उसका जुर्माना क्यांे नहीं होना चाहिये ?
72 के या 80 के जनरल डब्बे मे सौ से अधिक यात्री भरे होते हैं। लेकिन इतिहास में कभी उसे कानून के उल्लंघन की तरह नहीं देखा गया। ये एक सामान्य बात है।
जबकि जो नियम एक दोपहिया पर और बसों पर लागू होता है वही रेल्वे पर भी क्यों नहीं होना चाहिये। बस में भी संख्या निर्धारित है। अधिक सवारी भरने पर जुर्माना लगता है। रेल्वे को छूट क्यों ? क्या सिर्फ इसलिये कि वो सरकारी है।
रेल्वे को ईमानदार व्यवसाय करे
लालचभरी दुकानदारी नहीं
ईधर रेल्वे का रवैया एक प्रोफेशनल की तरह हो गया है। इसे काॅमर्शियल तो माना ही जाता है लेकिन काॅमर्शियल ...