Saturday, September 7

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया शंकराचार्य जी ने माना, वाक्य पर लगाई मुहर !

*ब्राम्हण का धन लूटकर अपनी संम्पति में मिलाने वालो की संपत्ति अवश्य होगी बर्बाद – शंकराचार्य जी*

*कुत्ता पालने से लगता है दोष ? शंकराचार्य जी ने बताई सच्चाई ….*

कबीरधाम। ‘परमाराध्य’ परमधर्माधिस उत्तराम्नाय ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ महाराज जी छत्तीसगढ़ के एक दिवसीय प्रवास पर रहें। शंकराचार्य जी महाराज कबीरधाम और बेमेतरा के विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए।

शंकराचार्य जी के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया पूज्यगुरुदेव शंकराचार्य जी महाराज आज लघान पंडरिया में बहुत से भक्तों ने दीक्षा ली व सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपने आचार्य शंकराचार्य महाराज जी का दर्शन लाभ लिया। पंडरिया से बानो गये, वहां महामाया मंदिर का भूमिपूजन हुआ व शंकराचार्य जी का आशीर्वचन हुआ।

इसके पश्चात बनो से शंकराचार्य जी श्रीरुद्र महायज्ञ बिपतरा में आये, जहां सर्वप्रथम पीठ पादुका का पूजन किया गया।इसके साथ ही आज बिपतरा में प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम हुआ जिसमें जिज्ञासु जनों के द्वारा प्रश्न पूछा गया, जिसका उत्तर परम पूज्य शंकराचार्य जी द्वारा दिया गया।

हजारों श्रद्धालुओं व भक्तों के द्वारा श्रवण लाभ लिया गया। यज्ञाचार्य पं श्री शिव विलाश शर्मा जी के द्वारा उद्बोधन दिया गया और भजन सुनाया गया।

इस दौरान शंकराचार्य महाराजजी ने कहा कि सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया आप कहते हैं। आप छत्तीसगढ़ के हो इसलिए बोलते हो अपने आप को बेहतर दिखने के लिए लेकिन कोई अपने आप को लाख बेहतर कह ले जब तक कोई बाहर का व्यक्ति उसको बेहतर नहीं कहेगा। तब तक उसमें मुहर नही लग सकता हैं और हम इस वाक्य पर मुहर लगाते हैं।

इस वाक्य पर मुहर इसलिए लगाया कि जब हमारा ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में अभिषेक किया गया तो हमने ज्योतिर्मठ का मुख्य कार्य अधिकारी आपके छत्तीसगढ़ के चंद्र प्रकाश उपाध्याय को बनाया। यह आपके छत्तीसगढ़ के गौरव पूरे विश्व में इस समय ज्योर्तिमठ की कृति पताका को फहराने का कार्य कर रहे हैं, लेकिन हमारे पास नहीं रहते हैं क्योंकि ज्योर्तिमठ के कार्यों के लिए कभी इधर कभी उधर आते जाते हैं।

इस वाक्य को और भी ज्यादा पुष्ट करने के लिए अपने साथ एक और छत्तीसगढ़ के बालक को रखा है जोकि हमारा धर्म कमंडल पकड़कर हमारे साथ खड़ा हैं। वही, शंकराचार्य जी मजाकिया अंदाज में कहा कि आजकल वीडियो बनाने का जमाना है। वीडियो बनाकर वायरल कर दिया जाएगा और फिर पूरे देश में घुमाया जाएगा अब सब शिकायत करेंगे कि छत्तीसगढ़ वालों को हम बढ़िया कह रहे हैं, परंतु जो बढ़िया है उसे बढ़िया कहना पड़ता है।

समय को लेकर शंकराचार्य जी ने कहा कि आजकल समय बहुत कम पड़ता है परंतु कई ऐसे लोग भी हैं, जिनका समय काटना मुश्किल है। परंतु हमें हर जगह समय काम पड़ता है आपकी श्रद्धा और प्यार स्नेह को देखते हुए मन ऐसा करता है कि यहीं रुक जाएं।

*शंकराचार्य महाराज ने दिया प्रश्नों का जवाब -*

*सवाल 1*

शंकराचार्य महाराज जी से गिरधर चंद्राकर ने सवाल पूछा कि ब्राह्मण से लिया गया धन यदि न लौटाया जाए तो क्या यह पाप है ? इस पर शंकराचार्य महाराज ने कहा कि धन किसी का भी हो लौटाना जरूर पड़ता है परंतु यदि ब्राह्मण से लिया गया है, तो थोड़ा ज्यादा भोग कर लौटना पड़ेगा। यदि धन मन से लौटा दिया जाए तो अच्छा होगा और यदि मन से नहीं लौटाएंगे तो मजबूर कर दिए जाएंगे। आपको अगले जन्म में बैल, कुत्ता व घोड़ा बनकर भोगना पड़ेगा। यदि बैल बनेंगे तो उसका खेत जोत के कमाई करके उसे लौटाएगे। कुत्ता बने तो घर की रखवाली करनी होगी और यदि घोड़ा बने तो उसका सामान ढोना होगा।

इसके विपरीत यदि ब्राह्मण का उधर नहीं चुकाया है तो उस परिस्थिति में मामला थोड़ा बड़ा हो जाता हैं। क्योंकि ब्राह्मण के पास धन नहीं होता देखो एक बात हम बहुत साफ बता दे आज के ब्राह्मण में और जो हमारे शास्त्र में वर्णित ब्राह्मण है उसमें थोड़ा अंतर हो गया है, आज का ब्राह्मणआप जैसा हो गया है। हमारे शास्त्र में जो ब्राह्मण है इसके बारे में चर्चा कर लेते हैं वह ब्राह्मण बिल्कुल भी आपके जैसा नहीं है। वह पूरे जीवन को एक कठिन तपस्या में रहता हैं। वह पैसों के पीछे नही भागता हैं। केवल सम्मान ही उसका धन होता हैं।

इस संसार में 2 चीज पाने की है एक पैसा और एक सम्मान, तो 3 तरह के लोग हैं, एक जिसको कहते हैं पैसा कमाना है और दूसरे कहते हैं पैसा नहीं मान कामना है सम्मान कामना है और तीसरे कहते हैं कि थोड़ा मान और थोड़ा धन दोनों चाहिए। आप लोग ऐसे ही हो ना थोड़ा धन भी चाहिए और थोड़ा मान भी लेकिन जो एक्सट्रीम वाले हैं कोई कोई ऐसे हैं जिनको धन चाहिए मान नहीं चाहिए। वह कहते हैं की मान लेकर हम चाटेंगे क्या ? वह चोरी कर रहे हैं, डकैती कर रहे हैं घोटाला कर रहे हैं। उन्हें बदनामी से कोई फर्क नहीं पड़ता हैं, वे सिर्फ पैसों के भूखे हैं।

कुछ ऐसे लोग हैं जो सम्मान के लिए सब कुछ छोड़ दे रहे हैं घर परिवार तक छोड़ दे रहे हैं और अपनों से भी दुश्मनी हो जा रही है। क्योंकि उनको सच काम करना है सच बोलना है और सत्य राह पर चलना है चाहे उनके घर वाले ही विपरीत क्यों ना हो जाएंलेकिन वह अटल है उनके हाथ में कुछ नहीं है केवल मान है व इस मान के सहारे जिंदगी कट रही है तो तीन तरह के लोग हो गए उत्तम मध्यम और अधम। ब्राम्हण का धन लूटकर अपनी संम्पति में मिलाने वालो की संपत्ति बर्बाद हो जाती हैं।

*सवाल 2*

शंकराचार्य महाराज जी से तामेश्वर चंद्राकर ने सवाल किया कि क्या घर के अंदर कुत्ता पालना ठीक है जिसपर महाराज जी ने कहा कि कुत्ता हर कोई पाल सकता हैं, लेकिन घर के अंदर का प्राणी वह नही हैं। घर के बाहर रख के यदि आप उसका पालन करते हैं, तो कोई बाधा नही हैं। निश्चित रूप से वह भी एक प्राणी है। उसकी रक्षा करना उचित है।

निश्चित रूप से कुत्ता पालने में कोई दोष नहीं लेकिन उसको छूने के बाद 21 दिन तक देवता को नहीं छू सकते हैं। इतना ध्यान जरूर रखिए पालने में कोई समस्या नहीं है किसी को पालने का मतलब उसको भोजन, प्यार देना, संरक्षण करना यदि कोई उसको मार रहा तो बचा लेना यह सब रक्षा है कुत्ते की भी कोई यदि रक्षण करें उसमें कोई बाधा नहीं है लेकिन उसके स्पर्श में दोष है।

यदि उसकी लार अगर छू जाए, तो उसमें रेबीज है आप सब जानते हैं जब कुत्ता काटता है तो उसके दांत भी हड्डी के ही है लेकिन दांत के साथ-साथ उसकी लार आपकी त्वचा में आ जाती है व उसकी वजह से रेबीज हो जाता है और 14 इंजेक्शन नाभि में लगवाना पड़ता है। आजकल कम हो गए हैं अब 5-6 लगवाना पड़ता है लेकिन लगवाना तो पड़ता ही है और नहीं तो जब बादल छाते हैं आषाढ़ में तो आदमी भी कुत्ते जैसा भौकने लगता हैं।

इस कार्यक्रम में ज्योतिर्मठ के सी ई ओ विशेष कार्याधिकारी चंद्र प्रकाश उपाध्याय, सर्व ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष बंटी तिवारी, मोतीराम चंद्रवंशी, उमंग पाण्डेय, नीलकंठ चंद्रवंशी, कलब सिंह ठाकुर गेगडा, के के वैष्णव दिलीप राजपूत, बिन्दु शर्मा, घनश्याम शर्मा सहित बहुत से गणमान्य लोग उपस्थित थे।

मंच का संचालन धर्मान्सद पंडित आनंद उपाध्याय भागवत कथा वाचक ने किया। बिपतरा से परमहंसी जाते समय बिरकोना कवर्धा पोड़ी और बोड़ला में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने परम पूज्य शंकराचार्य जी का पूजन और वंदन किया। पोड़ी में शंकराचार्य ने विशाल स्वरूप में विराजमान श्री हनुमान जी महाराज का पूजन किया आशीर्वचन देते हुए शंकराचार्य ने बताया कि भगवा ध्वज के अपमान के बाद हमारी वाणी को भगवान हनुमानजी ने सत्य किया पूर्ण किया। इसलिए हमने आज श्री हनुमान जी महाराज का पूजन किया।

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