Saturday, September 7

कन्याकुमारी से कश्मीर से तक राष्ट्रव्यापी संकल्प यात्रा

*दुर्ग। राजनांदगांव।।* आत्मज्ञान की विस्मृति ही दुखों का कारण है।

हमारा अज्ञान ही हमारे दुखों का कारण है। कोई व्यक्ति अयोग्य नहीं। अच्छाइयां – बुराइयां सबके भीतर है। हमे दुर्बलताओं, कठिनाइयों से घबराना नहीं है। उन कठिनाइयों को दूर करने की जो प्रेरणा, जो शक्ति, जो सामर्थ्य है वह अध्यात्म के आलोक से, स्वर्वेद के स्वर से एक साधक को अवश्य ही प्राप्त होता है। क्योंकि हमारे भीतर अंतरात्मा रूप से परमात्मा ही तो स्थित है।

उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने संकल्प यात्रा के क्रम सन मैरिज पैलेस में आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किये।

संत प्रवर विज्ञान देव महाराज जी ने बताया कि आज मन पर नियंत्रण न होने से समाज में विसंगतियाँ बढ़ रहीं हैं। युनेस्को की एक प्रस्तावना कहती है कि युद्ध की प्राचीरें कुत्सित मन से निकलती हैं। अतः मन पर नियंत्रण आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हमारे मन में असीम शक्ति है। ईश्वर ने हमें बड़ी शक्तियों वाला अन्तःकरण दिया है। मानव के मन में अशांति है और जब तक यह अशांति है तब तक विश्व में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती। मन की अशांति को विहंगम योग की ध्यान साधना के द्वारा दूर किया जा सकता है।

उन्होंने जय स्वर्वेद कथा के क्रम में कहा कि *भारत की आत्मा का नाम अध्यात्म है*। आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा।

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया। कहा कि *यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने के लिए है।*

संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई । स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।

 

आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज 7 जुलाई को संकल्प यात्रा का शुभारंभ दक्षिण भारत की धरती से हो चुका है। संकल्प यात्रा के प्रथम चरण में तमिलनाडु, केरल, बैंगलोर, चेन्नई, नागपुर(महाराष्ट्र)के बाद छत्तीसगढ़ में बलरामपुर, अम्बिकापुर, बिलासपुर के बाद भिलाई और राजनांदगांव (एलबी) नगर में पहुँच चुकी है।

6 एवं 7 दिसंबर 2024 को विशालतम ध्यान – साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले। इस शताब्दी समारम्भ महोत्सव में विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफल देव जी महाराज की 135 फिट से भी ऊंची प्रतिमा (Statue of Spirituality) का भी शिलान्यास होगा।

इस अवसर पर बबन सिंह ( निदेशक), प्रेम प्रकाश मिश्रा (व्यवस्थापक रायपुर आश्रम), सत्येंद्र स्वर्वेदी, कोटेश्वर चापड़ी उपाध्यक्ष, सुश्री श्याम कुमारी उसेंडी , दिनेश सिंह, उमेश साहू, दयाराम साहू, जाधव राम साहू, मानेश्वर नाग,पुरुषोत्तम सपहा, योगेश्वरानंद नेताम, मुकेश सोनी, कौलेश्वर प्रसाद, मुन्नी लाल शर्मा, डी एन सिंह, आर के सिंह, सतेंदर सिंह, बंश बहादुर, हरे राम, सत्रुहन साहू, गोविंद पटेल, बी पी पटेल, बृजेश सोनी, प्रमोद सोनी, वी के साव, रामलाल, मूलचंद, लिखन, अनिकेत, एकांत, आदि लोग उपस्थित रहे।

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