Sunday, September 8

वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक… नागपंचमी की सभी शेष विशेष नाग नागिनों , आस्तीन के सांपो को बधाई मंगलकामनाएँ…

जमीन पर रेंगने वाले सरीसृपों में सांपो की प्रजाति में दो मुंहे साँप के अस्तित्व का मिथक है हाँलाकि मैंने आज तक देखा नहीं है । बताया जाता है दो मुहाँ सांप अपने सामने खतरे को भांप अपनी सुविधानुसार आगे या पीछे चलने में महारथी होता है । संभवतः इसी वजह से इसे दो मुहाँ सांप कहते है । जमीन पर रेंगने वाले सरीसृपों की प्रजाति सांपो से भी एक खतरनाक दो हाथ , पैर ,आंख , कान , एक नाक और एक दिमाग वाली प्रजाति इस ब्रह्मांड पर पाई जाती है जो जहरीले सांपो से काफी ख़तरनाक जीव है जिसे मानव प्रजाति के नाम से जाना व पहचाना जाता है । इन मानव मतलब इंसान में भी दोमुंहों की कई प्रजातियां पाई जाती है जैसे आस्तीन का सांप , मिठलबरा , चापलूस, नेता भक्त और चमचा। आज के समय में ज्यादातर इंसान दो मुंहे सांप की तरह आचरण व व्यवहार करते नजर आने लगे हैं , हर बात में सिर्फ हां में हां मिलाना , सही और गलत दोनो बात पर समर्थन करना , गलत होते देख कर भी चुप्पी साध जाना , किसी बात पर इंकार या विरोध करने का साहस नही जुटा पाना इसलिए झूठ,फरेब,मक्कारी को देखते समझते हुये भी खामोश रहते हैं , जो लोग सच का सामना कर बोलने का साहस जुटाते हैं वे बागी, बेवकूफ , देशद्रोही और जमाने से विपरीत चलने वाले कहलाते है ऐसे व्यक्ति व्यक्ति को हास्यापद नजरों से देख बेवकूफ कहा जाता है। कुछ मौक़ा परस्त अपने लाभ हानि ,फ़ायदा नुकसान देख कर व्यवहार और यार बदलते है , ऐसे अनोखे जीव राजनिति की दुनिया में ज्यादा पाये जाते है । अब चुनाव नजदीक है तो आस्तीन के सांपो की प्रजाति की जनसंख्या में अनायास ही बढोत्तरी होने लगी है । बहरहाल शेष और विशेष नाग नगीनों के साथ आस्तीन के सांपो को पुनः एक बार फिर नाग पंचमी की बधाई मंगलकामनाएँ ..
और अंत में:-
इसलिए भी मौजूद है , लहज़े में थोड़ी तल्खियां ।
सबसे जो मिला , वो थोड़ा ज़हर मुझमें भी है ।।

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