Sunday, September 8

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की ताक… धिना… धिन गांधी परविार का एक भाई मानता है, एक नहीं मानता एक भाई जानता है, एक नहीं जानता दोनों ही मोदीजी से नाराज़ हैं

दो भाई एक ही खानदान के। गांधी परिवार के। एक वरूण गांधी जो मेनका और संजय गांधी के पुत्र हैं, दूसरे राहुल गांधी जो सोनिया और राजीव गांधी के पुत्र हैं।

  वरूण पीलीभीत से भाजपा के सांसद हैं, राहुल वायनाड से कांग्रेस के सांसद हैं। वरूण को प्रधानमंत्री बनने का अरमान नहीं है, राहुल को प्रधानमंत्री बनने की चाहत है।

वरूण दबे-छिपे शब्दों मे अपनी ही पार्टी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बयान देते रहते हैं, राहुल भाजपा से देश के प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकते रहते हैं। यानि दोनो भाई अपने-अपने संदर्भ में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को कोसते हैं।
वरूण को इस बार शायद सांसद बनने के लाले पड़ जाएं क्यांेकि वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी उन्होंने मोल ली है जिससे टिकट मिलने की संभावना कम है। जबकि राहुल फिर से सांसद चुने जाएंगे इसकी संभावना है।

पिछले चुनाव में उन्हें कांग्रेस की टिकट पर उनकी परंपरागत सीट अमेठी मे जनता ने अस्वीकार कर उनकी जगह भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी को चुन लिया था। इस बात का  अंदेशा होने के कारण वे वायनाड से भी लड़े थे जहां से चुन लिये गये।

एक राम को मानता है
एक पहले नहीं मानता था
अब मानने लगा है

दोनों चचेरे भाईयों में से मेनकापुत्र वरूण का कहना है कि ‘मै भारत माता को मानता हूं। हनुमानजी का भक्त हूं और भगवान राम को अपना इष्ट मानता हूं’।
जबकि सोनिया पुत्र राहुल पहले भगवान राम को केवल एक कल्पना मात्र मानते थे। बता दें कि उनकी पार्टी के वकील ने उनकी ही सरकार की तरफ से कोर्ट में ऐसा एफिडेविड दिया था कि राम केवल कल्पना मात्र हैं।

लेकिन आग चलकर राहुल गांधी भी राम को भगवान मानने लगे हैं। वे शिवजी को भी मानने लगे हैं। जहां तक भारत माता को मानने का प्रश्न है तो वरूण गांधी का बयान है कि वे भारत माता को मानते हैं।

इस बाबत् हाल ही में एक बयान राहुल गांधी का आया था कि कौन है ये भारत माता… जब लोग चैंके तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ये धरती और ये जनता ही भारत माता है। लेकिन स्वाभाविक ही भाजपा ने इस बयान को आधा हिस्सा लपक लिया और प्रचार होने लगा कि राहुल गांधी पूछ रहे हैं कि भारत माता कौन है…..

एक ही परिवार के होने के अलावा
एक समानता और

एक ही परिवार के होने के अलावा एक समानता और है कि दोनों मोदीजी से नाराज़ हैं। वरूण तो हल्का-फुल्का विरोध दिखाते रहते हैं जबकि राहुल डंके की चोट पर किसी भी स्तर पर जाकर उन्हें कोसते हैं।
कुछ मामलों मे उन्हें कोर्ट मे माफी भी मांगनी पड़ गयी थी। जिसमें से एक मोदीजी के बारे में ‘चैकीदार चोर है’ कहना भी है।
अभी हाल ही में राहुल गांध्ंाी ने मोदीजी के बारे में कह दिया कि ‘क्रिकेट मैच मे हरवा दिया… पीएम मतलब पनौती मोदी’। यानि मोदीजी को पनौती कह दिया। जिससे सारे देश में हड़कम्प मच गया।

नेता भावावेष में बोल पड़ते हैं, लेकिन इससे पार्टियों को फायदा नहीं होता है। मोदी को कोसकर यदि राहुल फायदा उठाना चाहते हैं तो ऐसा नहीं है।
उस पर भी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल तो जनता को खल ही जाता है खासतौर पर जब वो मोदीजी के बारे मे कहे गये हों।
इससे पहले भी जब-जब जिन-जिन नेताओं ने मोदीजी को कोसा है, उन्हे फायदा होना तो दूर बल्कि जनता ने उन्हें एक तरह से नकार ही दिया।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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