इसमें चिंता, चेतावनी और सबक तीनों है!! (आलेख : बादल सरोज)
🔵 सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों के साथ दिए गए स्पष्ट आदेश को उलटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हठ और जिद के साथ लाया और 3 अगस्त को लोकसभा और 7 अगस्त को राज्य सभा में पारित कराया गया कथित दिल्ली सेवा क़ानून एक साथ चिंता, चेतावनी और सबक की बात है। चिंता इस बात की है कि अब धीरे-धीरे हमला भारत के संविधान की मूल अवधारणाओं को अपने निशाने पर ले रहा है ।
🔵 संविधान की शुरुआत की पहली धारा ही भारत की ख़ास पहचान को दर्ज करती है। यह धारा कहती है कि "भारत दैट इज इंडिया राज्यों का एक संघ होगा।" खुद डॉ. अम्बेडकर द्वारा प्रस्तावित और बहस के दौरान स्वयं उन्ही के द्वारा दिए गए संशोधन के साथ सर्वसम्मति से पारित भारत की यह पहचान सिर्फ शब्दों भर का मामला नहीं है। इसमें केंद्र और राज्यों के अधिकारों और कार्यक्षेत्रों को भी बाद में साफ़ साफ़ परिभाषित किया गया है। यह समझदारी सिर्फ संविधान निर्माताओं की सद्बुद्धि ...