जो कहा सो किया! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
एक बात तो भगवाइयों के विरोधियों को भी माननी पड़ेगी। भगवाई जो कहते हैं, वो करते जरूर हैं। हमेशा की तो हम नहीं कहते, पर पिछले चालीस साल से ज्यादा से ही तो हम ही देख रहे हैं। तब कहा था कि मंदिर वहीं बनाएंगे। मंदिर वहीं बन रहा है या नहीं! हां! चार दशक से ज्यादा लग गए। बेशक, इस बीच अडवाणी जी पीएम के डिप्टी के डिप्टी ही रह गए और मोदी जी गुजरात से आकर पीएम बन गए। सारथी जी रथी बन गए और रथी जी मार्गदर्शक बनकर राह देखते ही रह गए। वही मोदी जी अगले साल बड़े चुनाव से पहले, भव्य मंदिर का उद्घाटन करने जा रहे हैं। इसीलिए, तो कहते हैं कि भगवाइयों के घर में देर तो हो सकती है, पर जो कह दिया, सो पूरा जरूर करते हैं। अपने भगवाई, रघुकुल वालों से कम हैं क्या? रघुकुल की रीत रही है -- प्राण जाय, पर वचन न जाई। भगवाइयों की रीत और आगे वाली है--न प्राण जाएं, न वचन ही जाई!
पर स्मृति ईरानी के दरबार में तो चालीस साल तो...