Friday, July 26

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हिंदी साहित्य के मौन साधक – प्रो.संजय द्विवेदी
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हिंदी साहित्य के मौन साधक – प्रो.संजय द्विवेदी

- प्रो.संजय द्विवेदी हिंदी का एक मौन साधक, महर्षि, मनीषी, जिसके आगे हर हिंदी प्रेमी नतमस्तक है, जिसके कर्म से हिंदी भाषा समृद्ध बनी, ऐसे सजग हिंदीचेता, यशस्वी लेखक, रचनाकार एवं समन्वयवादी-जुनूनी व्यक्तित्व डॉ. देवेंद्र दीपक का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। उन जैसा हिंदी भाषा का तपस्वी ऋषि आज की तारीख में हिंदी में कोई दूसरा नहीं है। दसवें दशक की उम्र में आज भी वह हिंदी के लिए जी-जान लगाये हुए हैं। मुझे लगता है कि हिंदी को यदि उनके जैसे दो-चार शब्द-शिल्पी और मिल जाते, तो हिंदी के माथे से उपेक्षा का दंश हट जाता और वह दुनिया की प्रथम भाषा होने के साथ भारत की राष्ट्र-भाषा होने के गौरव को भी पा लेती। डा. दीपक को मैंने पहली बार 1994 में देखा, जब मैं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल का छात्र था। विश्वविद्यालय की पुराना भवन त्रिलंगा में था और दीपक जी उसी सड़क पर ...