Saturday, September 7

Tag: जिस के लिये राहुल ने फटा कुर्ता दिखाया आज कोर्ट ने उस बात को सही ठहराया: वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम ,सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल,,,जिस के लिये राहुल ने फटा कुर्ता दिखाया आज कोर्ट ने उस बात को सही ठहराया
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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम ,सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल,,,जिस के लिये राहुल ने फटा कुर्ता दिखाया आज कोर्ट ने उस बात को सही ठहराया

जिस के लिये राहुल ने फटा कुर्ता दिखाया आज कोर्ट ने उस बात को सही ठहराया छह साल पहले 2016 में 8 नवंबर की ‘दो नंबरियों’ के लिये वो खौफनाक रात थी जब आठ बजे प्रधानमंत्री ने हजार और पांच सौ के नोटों को ‘इल्लीगल’ घोषित कर दिया था। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि रात 12 बजे के बाद ये नोट नहीं चलेंगे। उनकी इस घोषणा से उन लोगों की धड़कनें चलने में अटक आने लगी जिनके पास इफरात दो नंबर का पैसा था। क्योंकि पुराने नोटों को नये नोटों से बदलने का प्रोग्राम रखा गया था। अब जो अपने पुराने नोट बैंक जाकर बदलता या खाते में जमा करता उसे बाद में बताना भी तो पड़ता न कि वो पुराने कहां से आए थे। सब जानते हैं कि देश में ऐसे नगण्य हांेगे जिनके पास पूरा पैसा एक नंबर का होगा। कहीं न कहीं टैक्स पटाने के लिये सारी आबादी कुछ न कुछ पेंच डालकर ही चलती है। क्योंकि टैक्स देना एक सरकारी जुल्म लगता है। और जैसे-जैसे टैक्स ब...
जिस के लिये राहुल ने फटा कुर्ता दिखाया आज कोर्ट ने उस बात को सही ठहराया: वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव
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जिस के लिये राहुल ने फटा कुर्ता दिखाया आज कोर्ट ने उस बात को सही ठहराया: वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव

छह साल पहले 2016 में 8 नवंबर की ‘दो नंबरियों’ के लिये वो खौफनाक रात थी जब आठ बजे प्रधानमंत्री ने हजार और पांच सौ के नोटों को ‘इल्लीगल’ घोषित कर दिया था। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि रात 12 बजे के बाद ये नोट नहीं चलेंगे। उनकी इस घोषणा से उन लोगों की धड़कनें चलने में अटक आने लगी जिनके पास इफरात दो नंबर का पैसा था। क्योंकि पुराने नोटों को नये नोटों से बदलने का प्रोग्राम रखा गया था। अब जो अपने पुराने नोट बैंक जाकर बदलता या खाते में जमा करता उसे बाद में बताना भी तो पड़ता न कि वो पुराने कहां से आए थे। सब जानते हैं कि देश में ऐसे नगण्य हांेगे जिनके पास पूरा पैसा एक नंबर का होगा। कहीं न कहीं टैक्स पटाने के लिये सारी आबादी कुछ न कुछ पेंच डालकर ही चलती है। क्योंकि टैक्स देना एक सरकारी जुल्म लगता है। और जैसे-जैसे टैक्स बचाने के प्रयास होते हैं वैसे-वैसे कालाधन उत्पन्न होता है। ऐसे में कुछ ही दिनों में म...