वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ती की टेढ़ी चाल कौन कब मारे पलटी, चलता नहीं पता मांग है सियासत की, नहीं किसी की खता
जब भूपेश के दर पर मुर्मु
राष्ट्रपति के चुनाव में समर्थन लेने के लिये द्रोपदी मुर्मु भाजपा के विरोधियों के दर पर भी गयीं। बरसों से चुनावों से जुड़ा अनुभव कहता है कि वोट मांगने निकली टोली में ये चर्चा होती ही है कि ‘इसके घर जाएं या न जाएं, ये तो विरोधी है’। लेकिन बाद में वरिष्ठजन ये कहते हैं ‘हमें सबके पास जाना है। हर किसी से निवेदन करना है। चाहे वो अपने पक्ष का हो या विरोधी। पता नहीं कब कोई अपने नेता से नाराज चल रहा हो। उसे पलटाया जा सकता है’। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता कांग्रेेस के नेताओं को रिझाने में कहीं भी पीछे नहीं रहे। एक किस्सा कांग्रेसी सांसद अरविंद नेताम का पार्टी के विरूद्ध जाकर राष्ट्रपति पद के लिये विपक्ष के प्रत्याशी को वोट करने का प्रसिद्ध है।
हाल ही मे जो माहौल दिखता रहा है उसमें साफ दिख रहा है कि विपक्षी पार्टी भाजपा कांगे्रसी दिग्गज टीएस सिंहदेव की ओर आस लगाए बैठी है।
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