Saturday, September 7

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पं.दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (25 सितंबर) पर विशेष, भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता -प्रो.संजय द्विवेदी
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पं.दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (25 सितंबर) पर विशेष, भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता -प्रो.संजय द्विवेदी

(प्रो.संजय द्विवेदी) वे सही मायनों में भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता थे। भारतीय राजनीति में उनके आगमन ने एक नया विमर्श खड़ा कर दिया और वैकल्पिक राजनीति को मजबूत आधार प्रदान किया। आज भरोसा करना कठिन है कि श्री दीनदयाल उपाध्याय जैसे साधारण कद-काठी और सामान्य से दिखने वाले मनुष्य ने भारतीय राजनीति और समाज को एक ऐसा वैकल्पिक विचार और दर्शन प्रदान किया कि जिससे प्रेरणा लेकर हजारों युवाओं की एक ऐसी मालिका तैयार हुयी, जिसने इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में भारतीय राजसत्ता में अपनी गहरी पैठ बना ली। क्या विचार सच में इतने ताकतवर होते हैं या यह सिर्फ समय का खेल है? किसी भी देश की राजनीतिक निष्ठाएं एकाएक नहीं बदलतीं। उसे बदलने में सालों लगते हैं। डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी से लेकर श्री नरेंद्र मोदी तक पहुंची यह राजनीतिक विचार यात्रा साधारण नहीं है। इसमें इस विचार को समर्पित लाखों-लाखों अनाम सहयोगियों को भु...