Sunday, September 8

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बैग में जाती बैगा संस्कृतिराह से भटक रहा भोरमदेव महोत्सव 1994 में शुरू हुआ भोरमदेव महोत्सव
खास खबर, छत्तीसगढ़ प्रदेश, रायपुर

बैग में जाती बैगा संस्कृतिराह से भटक रहा भोरमदेव महोत्सव 1994 में शुरू हुआ भोरमदेव महोत्सव

प्रशासन की जिद ने 3 दिवसीय को 2 दिवसीय किया आचार संहिता के नाम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमो का नहीं हो रहा आयोजन चंद्र शेखर शर्मा कवर्धा -भोरमदेव में प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तेरस को दशकों से बैगा आदिवासी बाबा भोले नाथ जिसे वे आदि देव बूढ़ादेव के रूप में पूजते है की विशेष पूजा अर्चना करते आ रहे है । इस दिन यहाँ दशको से भव्य और विशाल मेला भी भरते आ रहा है । इस मेले में शामिल होने आज भी दूर - दूर से बीहड़ जंगलो व दुर्गम पहाड़ीयो में बसे बैगा आदिवासी रात दिन पैदल चल सपरिवार बाबा भोरमदेव का दर्शन कर पारंपरिक रीती रिवाजो से पूजन कर आशीर्वाद लेने एवं मेले का लुफ्त उठाने पहुचते है । मेले में शामिल होने बैगा आदिवासी अपनी परंपरिक वेश भूषा में साज श्रृंगार के साथ पहुंचते थे और अपनी पारंपरिक रितिरिवाजो से पूजा अर्चना करते थे । पर समय के साथ बदलाव भी आये है ।आधुनिकता की छाप...